वरिष्ठ पत्रकार गौरी लंकेश की बंगलुरू में सनसनीखेज़ हत्या के बाद जहाँ पूरे देश की मिडिया जगत शोक का माहौल हैं वहीँ राजनितिक छेत्र में खलबली मची हुई है।
गौरतलब है के बेंगलुरु में वरिष्ठ पत्रकार गौरी लंकेश की सनसनीखेज तरीके से हत्या कर दी गई है। वह 55 साल की थीं . मशहूर कन्नड़ पत्रकार और सामाजिक कार्यकर्ता गौरी लंकेश को राज राजेश्वरी नगर स्थित आवास पर अज्ञात हमलावरों ने गोली मार दी। वह चर्चित कन्नड़ टैब्लॉइड लंकेश पत्रिके की संपादक भी थीं।
बंगलुरू के पुलिस कमिश्नर ने बताया कि गौरी लंकेश का शव खून से सना हुआ मिला. उन्होंने बताया कि घटनास्थल से कारतूस के चार खोके मिले. उन्होंने बताया कि हमलावरों की संख्या का अभी पता नहीं लग पाया है. पुलिस कमिश्नर ने जानकारी दी कि घर के सामने लोगों ने फायर की आवाज सुनी.
वरिष्ठ पत्रकार और दक्षिणपंथियों की आलोचक रही गौरी लंकेश ने लंकेश पत्रिका के जरिए ‘कम्युनल हार्मनी फोरम’ को काफी बढ़ावा दिया. लंकेश पत्रिका को उनके पिता ने 40 साल पहले शुरू किया था और इन दिनों वो इसका संचालन कर रही थीं.
बेंगलुरु के पुलिस कमिश्नर सुनील कुमार ने बताया, ”मंगलवार शाम गौरी जब अपने घर लौट रही थीं, तब उनके घर के बाहर ये हमला हुआ. ये हमला किस वजह से किया गया, इस बारे में अभी कुछ नहीं कहा जा सकता.”
इससे पहले डॉ एमएम कलबुर्गी और डॉ पंसारे की भी हमलावरों ने हत्या की थी. 12वीं सदी के संत बश्वेश्वरा और रैशनजिल्म पर गौरी के विचार काफी हद तक कलबुर्गी जैसे ही थे.
डॉ कलबुर्गी की भी उनके घर के दरवाजे पर हत्या कर दी गई थी. गौरी को हाल ही में बीजेपी और सांसद प्रहलाद जोशी से जुड़े एक मानहानि केस में दोषी ठहराया गया था. गौरी के पिता पी लंकेश एक पुरस्कार विजेता फिल्ममेकर थे, जिन्होंने 1980 में लंकेश पत्रिका शुरू की थी.
मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने कहा, ”ये बेहद दुखद खबर है. गौरी पत्रकार, लेखक और विकासशील विचारों की थीं. उन्होंने हमेशा कट्टरपंथियों के खिलाफ आवाज़ उठाई थी. ये बेहद दुखद है कि उनकी हत्या कर दी गई.
सिद्धारमैया ने कहा, ”मैंने पुलिस कमिश्नर से बात करके केस की जांच के लिए तीन टीमें बनाने और मुझे रिपोर्ट देने के लिए कहा है.”
इससे पहले, कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने ट्वीट कर कहा, ”जानी-मानी पत्रकार गौरी लंकेश की हत्या से हैरान हूं. इस जघन्य अपराध की निंदा करने के लिए मेरे पास शब्द नहीं हैं. ये लोकतंत्र की हत्या है. गौरी शंकर की मौत से कर्नाटक ने एक विकासशील आवाज खोई है. मैंने एक दोस्त खोया है.”
दिल्ली के प्रेस क्लब में बुधवार दोपहर तीन बजे इस हत्या के विरोध में पत्रकार एकजुट हो रहे हैं.
हिंदुत्ववादी राजनीति की मुखर आलोचक थीं
गौरी लंकेश कन्नड़ भाषा की साप्ताहिक गौरी लंकेश पत्रिका की संपादक थीं। उन्हें निर्भीक और बेबाक पत्रकार माना जाता था। वह कर्नाटक की सिविल सोसायटी की चर्चित चेहरा थीं। गौरी कन्नड़ पत्रकारिता में एक नए मानदंड स्थापित करने वाले पी. लंकेश की बड़ी बेटी थीं। वह वामपंथी विचारधारा से प्रभावित थीं और हिंदुत्ववादी राजनीति की मुखर आलोचक थीं।
गौरी लंकेश कई समाचार पत्र-पत्रिकाओं में कॉलम लिखती थीं। गौरी लंकेश राइट विंग की मुखर आलोचक मानी जाती थी। बताया जा रहा है कि वैचारिक मतभेद को लेकर गौरी लंकेश कुछ लोगों के निशाने पर थी। गौरी लंकेश जिस साप्ताहिक पत्रिका का संचालन करतीं थी उसमे कोई विज्ञापन नहीं लिया जाता था। उस पत्रिका को 50 लोगों का एक ग्रुप चलाता था। पिछले साल बीजेरी सांसद प्रह्लाद जोशी की तरफ से दायर मानहानि मामले में गौरी लंकेश को दोषी करार दिया गया था, जिन्होंने उनके टैब्लॉयड में भाजपा नेताओं के खिलाफ एक खबर पर आपत्ति जताई थी। गौरी लंकेश मीडिया की आजादी की पक्षधर थीं।