
अमेरिका से 104 भारतीय नागरिकों को निर्वासित कर एक विशेष विमान बुधवार को अमृतसर अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर उतरा। इन नागरिकों को अवैध रूप से अमेरिका में रहने के आरोप में वापस भेजा गया है। निर्वासित लोगों में 25 महिलाएं और 12 नाबालिग शामिल हैं, जिनमें से सबसे कम उम्र का बच्चा केवल 4 वर्ष का है और गुजरात से है।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार इनमें पंजाब के 30, हरियाणा के 33, चंडीगढ़ के 2, गुजरात के 33, उत्तर प्रदेश के 3 व महाराष्ट्र के 3 लोग शामिल हैं। इनमें 48 लोग ऐसे हैं, जिनकी उम्र 25 वर्ष से कम है। हालांकि अभी तक किसी अधिकारी ने इस संबंध में पुष्टि नहीं की है।
इससे पहले, विमान के सुबह उतरने की उम्मीद थी। अभी तक विमान में सवार लोगों के बारे में विस्तृत जानकारी उपलब्ध नहीं है।
खबरों के अनुसार, अमेरिका के सैन्य विमान सी-17 में पंजाब और पड़ोसी राज्यों के 205 अवैध अप्रवासी हैं। पंजाब के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) गौरव यादव ने मंगलवार को बताया कि राज्य सरकार प्रवासियों की अगवानी करेगी और हवाई अड्डे पर काउंटर स्थापित करेगी।
पंजाब के अनिवासी भारतीय (एनआरआई) मामलों के मंत्री कुलदीप सिंह धालीवाल ने मंगलवार को अमेरिकी सरकार के फैसले पर निराशा व्यक्त की और कहा कि इन लोगों को निर्वासित करने के बजाय स्थायी निवास प्रदान किया जाना चाहिए था जिन्होंने उस देश की अर्थव्यवस्था में योगदान दिया है।
उन्होंने कहा कि कई भारतीय ‘वर्क परमिट’ पर अमेरिका में प्रवेश करते हैं और वह बाद जब इसकी अवधि समाप्त हो जाती है तो वे अवैध प्रवासी बन जाते हैं। मंत्री ने कहा कि अमेरिका में रहने वाले पंजाबियों की चिंताओं और हितों पर चर्चा करने के लिए उनका अगले सप्ताह विदेश मंत्री एस जयशंकर से मिलने की योजना है।
धालीवाल ने पंजाबियों से अवैध तरीकों से विदेश यात्रा न करने की भी अपील की थी और दुनिया भर में अवसरों का लाभ उठाने के लिए कौशल और शिक्षा प्राप्त करने के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने लोगों को विदेश यात्रा करने से पहले कानूनी तरीकों की जानकारी प्राप्त करने, शिक्षा और भाषा कौशल हासिल करने के लिए प्रोत्साहित किया।
पिछले माह डोनाल्ड ट्रंप के अमेरिकी राष्ट्रपति के रूप में पदभार संभालने के बाद देश की कानून प्रवर्तन एजेंसियों ने अवैध प्रवासियों के खिलाफ कार्रवाई शुरू कर दी है। पंजाब के कई लोग जो लाखों रुपये खर्च करके ‘डंकी रूट’ या अन्य अवैध तरीकों से अमेरिका में प्रवेश कर चुके हैं अब वे निर्वासन का सामना कर रहे हैं।