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विश्व बैंक ने वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए भारत की आर्थिक वृद्धि दर 6.3 प्रतिशत पर स्थिर रखी है। ग्लोबल इकोनॉमिक प्रॉस्पेक्ट्स रिपोर्ट के अनुसार, भारत वैश्विक स्तर पर सबसे तेज़ी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था बना रहेगा।

रिपोर्ट में कहा गया है कि वित्तीय वर्ष 2024-25 में भारत की वृद्धि दर थोड़ी धीमी रही, जिसका मुख्य कारण औद्योगिक उत्पादन में गिरावट था। हालांकि, निर्माण और सेवा क्षेत्रों की मजबूती तथा कृषि क्षेत्र में सूखे से उबरने के चलते समग्र आर्थिक गतिविधि में स्थिरता बनी रही। ग्रामीण क्षेत्रों में मांग का मजबूत बने रहना भारत की अर्थव्यवस्था के लिए एक सकारात्मक संकेत रहा।

रिपोर्ट के अनुसार, अगले दो वर्षों (FY2026/27 और उसके बाद) में भारत की विकास दर औसतन 6.6 प्रतिशत रहने की उम्मीद है, जिसे सेवाओं के क्षेत्र में मजबूती और निर्यात में बढ़ोतरी से समर्थन मिलेगा।

वैश्विक स्तर पर मंदी का खतरा नहीं, लेकिन सुस्ती साफ नजर आ रही है

विश्व बैंक का कहना है कि दुनिया भर में व्यापार तनाव और नीतिगत अनिश्चितताओं के कारण वैश्विक अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर 2025 में घटकर 2.3 प्रतिशत रह सकती है — जो कि 2008 के बाद सबसे कम होगी (गंभीर वैश्विक मंदियों को छोड़कर)। दुनिया भर में लगभग 70% देशों के विकास अनुमानों में कटौती की गई है।

विश्व बैंक समूह के मुख्य अर्थशास्त्री इंदरमीत गिल ने कहा, “एशिया को छोड़कर विकासशील दुनिया अब ‘विकास-विहीन क्षेत्र’ बनती जा रही है।” उन्होंने बताया कि विकासशील देशों की औसत वृद्धि दर 2000 के दशक में 6%, 2010 में 5%, और अब 2020 के दशक में 4% से भी नीचे आ गई है।

नीतिगत सुझाव भी दिए गए

रिपोर्ट में विकासशील देशों को सलाह दी गई है कि वे रणनीतिक व्यापार और निवेश साझेदारियाँ बनाएं, क्षेत्रीय समझौतों को प्रोत्साहन दें, और अपने व्यापार को विविध बनाएं। साथ ही सरकारों को सीमित संसाधनों के बीच राजस्व जुटाने, कमजोर वर्गों के लिए खर्च को प्राथमिकता देने और मजबूत वित्तीय ढांचे बनाने की सलाह दी गई है।