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विदेश मंत्री एस जयशंकर ने मनामा संवाद में पश्चिम एशिया के बारे में भारत का व्यापक कार्यनीतिक दृष्टिकोण रखा है। उन्होंने भारत के आर्थिक और कार्यनीतिक हितों में इस क्षेत्र की महत्वपूर्ण भूमिका पर बल दिया। वे बहरीन की राजधानी में इस संवाद के पूर्ण सत्र को संबोधित कर रहे थे। डॉ जयशंकर ने इस बात पर प्रकाश डाला की भारत ने खाडी सहयोग परिषद-जीसीसी, ईरान और इराक के साथ एक सौ 70 से एक सौ 80 अरब डालर का वार्षिक व्यापार किया है। उन्होंने कहा कि भारत ने भूमध्यसागर के देशों के साथ भी 80 से 90 अरब डालर का व्यापार किया है।
डॉ जयशंकर ने कहा कि खाडी क्षेत्र में भारतीय मूल के करीब एक करोड लोग रहते है जबकि भूमध्यसागर के देशों में करीब 50 लाख भारतवंशी हैं। उन्होंने कहा कि प्रवासी समुदाय भारत और पश्चिम एशिया के बीच द्विपक्षीय संबंधों और आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण योगदान कर रहा है।
अपने संबोधन में डॉ जयशंकर ने भारत की भावी ऊर्जा सुरक्षा, विशेष रूप से ग्रीन हाइड्रोजन और ग्रीन अमोनिया जैसे नये क्षेत्रों में पश्चिम एशिया के प्रमुख योगदान की सराहना की। उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र ने परम्परागत ऊर्जा संसाधनों से परे, उर्वरकों के आयात के जरिए भारत के कृषि क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान किया है। उन्होंने कहा कि यह क्षेत्र प्रौद्योगिकी और निवेश में सहयोग के लिए प्रमुख भागीदार के रूप में उभरा है। विदेश मंत्री ने क्षेत्रीय समुद्री सुरक्षा, रणनीतिक नौसेनिक उपस्थिति और अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा कार्रवाइयों में भारत की सक्रिय भूमिका को उजागर किया।
डॉ जयशंकर ने भारत की विकास यात्रा पर प्रकाश डालते हुए कहा कि देश की करीब 4 ट्रिलियन डालर की अर्थव्यवस्था के इस दशक के अंत तक दो गुना हो जाने की उम्मीद है। इससे पश्चिम एशिया के साथ भारत की धनिष्ठता और बढेगी। विदेश मंत्री ने क्षेत्र में जारी संघर्षो की भी चर्चा की इनमें गजा, लेबनान और सीरिया की स्थिति शामिल थी।
पूर्ण सत्र के दौरान विचार व्यक्त करने वाले वक्ताओं में चेक गणराज्य के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार टोमाज पोजार और बहरीन के विदेश मंत्री डॉ अब्दुल आतिफ बिन राशिद अल ज़ायानी शामिल थे।