
ज़ाकिर हुसैन / ढाका
भारत और बांग्लादेश के बीच बढ़ते कूटनीतिक तनाव के बीच, बांग्लादेश के अंतरिम मुख्य सलाहकार मुहम्मद यूनुस ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को 1,000 किलोग्राम हरिभंगा आम भेंट कर संदेशों की मिठास के जरिए संबंधों को सुधारने की कोशिश की है। भारतीय उपमहाद्वीप में ‘आम कूटनीति’ का लंबा इतिहास रहा है, और यह ताजा कदम पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के अगस्त 2024 में सत्ता से हटने के बाद आई तल्ख़ी के बीच महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
यह आमों की खेप केवल प्रधानमंत्री मोदी तक सीमित नहीं है—पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और त्रिपुरा के मुख्यमंत्री माणिक साहा को भी भेजी गई है।
हरिभंगा आम, बांग्लादेश के उत्तरी क्षेत्र रंगपुर से आने वाली एक लोकप्रिय प्रजाति है। गोल आकार, रसीले गूदे और सुगंधित स्वाद वाले ये आम आमतौर पर 200 से 400 ग्राम तक होते हैं, जबकि कुछ फल 700 ग्राम तक भी पहुँचते हैं। वर्ष 2021 में, शेख हसीना की सरकार ने भी भारत को 2,600 किलोग्राम हरिभंगा आम भेजे थे—जिसे उस समय ‘मिठास से भरा संदेश’ कहा गया।
2024 में छात्र आंदोलन के बाद हसीना की सत्ता से बर्खास्तगी के बाद ढाका में राजनीतिक अस्थिरता गहरा गई थी। इस उथल-पुथल के बीच यूनुस के नेतृत्व में एक अंतरिम सरकार बनी, जबकि हसीना भारत में शरण लेने को मजबूर हुईं। इसी बीच बांग्लादेश के अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण ने हसीना के प्रत्यर्पण की मांग की, जिससे भारत-बांग्लादेश संबंधों में दरार और बढ़ गई। भारत ने भी धार्मिक अल्पसंख्यकों पर बढ़ते हमलों और कट्टरपंथी ताकतों के उभार पर चिंता जताई।
यूनुस, जो पहले भारत को लेकर आलोचनात्मक रुख रखते थे, ने मार्च 2025 में ब्रिटिश मीडिया को दिए एक साक्षात्कार में अपने रुख में बदलाव दिखाया। उन्होंने कहा, “बांग्लादेश और भारत के रिश्ते अच्छे हुए बिना रह ही नहीं सकते।” उन्होंने साझा इतिहास और आर्थिक जुड़ाव की बात करते हुए कहा, “हमारे रिश्ते गहरे हैं… हम इससे अलग नहीं हो सकते।”
मोदी और यूनुस की पहली औपचारिक मुलाकात अप्रैल में बैंकॉक में BIMSTEC शिखर सम्मेलन के दौरान हुई, जहाँ प्रधानमंत्री मोदी ने बांग्लादेश में लोकतंत्र, स्थिरता और समावेशी विकास की प्रतिबद्धता दोहराई और अल्पसंख्यकों की सुरक्षा व संसदीय लोकतंत्र की बहाली पर जोर दिया।
हालाँकि यूनुस ने शुरुआत में चुनाव टालने की बात कही थी, पर हाल ही में उन्होंने घोषणा की है कि बांग्लादेश में अगले आम चुनाव अप्रैल 2026 के पहले चरण में कराए जाएंगे। इसी दौरान एक नया छात्र-आधारित राजनीतिक दल ‘नेशनल सिटिज़न पार्टी (NCP)’ भी उभरकर सामने आया है, जिसने राजनीतिक परिदृश्य को और जटिल बना दिया है।
जहाँ शेख हसीना का कार्यकाल भारत से करीबी संबंधों और आम-हिल्सा कूटनीति के लिए जाना जाता था, वहीं यूनुस सरकार ने हाल ही में बीजिंग और इस्लामाबाद की ओर झुकाव दिखाया, जिससे नई दिल्ली में रणनीतिक चिंता बढ़ी। चीन की ऋण, हथियार सौदों और बुनियादी ढांचा निवेश के ज़रिए क्षेत्र में बढ़ती उपस्थिति भारत के लिए चिंता का कारण बनी हुई है।
ऐसे समय में यूनुस द्वारा भेजे गए आमों को भारत-बांग्लादेश संबंधों में ‘मीठी शुरुआत’ के संकेत के रूप में देखा जा रहा है। हालांकि, जानकारों का मानना है कि यह देखना बाकी है कि “क्या आम की मिठास रणनीतिक खटास को कम कर पाएगी?” एक विश्लेषक ने व्यंग्य करते हुए कहा, “क्या मिठास वहां सफल हो सकती है, जहां रणनीति विफल रही?“
