कुंभ में आने वाले तीर्थ यात्रियों की संख्या भगदड़ की घटना के बाद घट रही है

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ARUN SRIVASTAVA IN MAHAKUMBH
अरुण श्रीवास्तव
सरकारी आंकड़ों को अलग रखिए। जमीनी हालत यह है कि कुंभ में आने वाले तीर्थ यात्रियों की संख्या मौनी अमावस्या के स्नान और दुर्भाग्य पूर्ण भगदड़ की घटना के बाद घट रही है। प्रमुख संगम घाट पर यात्रियों की संख्या कम हो रही है। इसके पीछे मुझे दो कारण लगते हैं।
पहला, कुंभ का सबसे प्रमुख अमृत स्नान —मौनी अमावस्या— बीत चुका है। उसके बाद आने वाले पंचमी, बसंत पंचमी का स्नान भी 3 फरवरी को बिना किसी दुघर्टना के बीत चुका है। पूर्व में कुंभ में अखाड़े और संतों द्वारा प्रमुख रूप से तीन स्नान में ही भाग लिया जाता था। पंचमी के बाद नागा व दूसरे संत वापस अपने क्षेत्रों में चले जाते हैं। इसबार भी ऐसा ही हो रहा है।
दूसरा, सोशल मीडिया में मौनी अमावस्या के बाद चल रही खबरों के फैलाव भी तीर्थ यात्रियों के प्रयागराज न आने का कारण बन रहा है। मेरे कई जानने वालों ने, जो पूर्व में प्रयागराज कुंभ में आने की बात कह रहे थे वो अब नहीं आ रहे हैं।
इस बीच कुंभ क्षेत्र में रहने वाले प्रत्यक्ष दर्शियों की बातें भी अब सोशल मीडिया पर तेजी से फैलाव पा रही है। नाम न छापने की शर्त पर मेडिकल अस्पताल के एक वरिष्ठ चिकित्सक ने बताया कि मॉरचरी में उन्होंने 29 व 30 तारीख को 148 पोस्टमार्टम किये। सभी मृतकों को कागजों में दिखा दिया गया कि वो अस्पताल में भर्ती थे और वहीं इलाज के दौरान उनकी मृत्यु हो गई। इसी तरह काली सड़क बांध के नजदीक एक कैंप के लोगों ने बताया कि 29—30 की दरमियानी रात में उनके कैंप पर भी श्रृद्वालुओं का रेला दरवाजों को तोड़कर भीड़ से बचाव के लिए आना चाहता था। यह भी बताया कि बांध के ढलान पर भी भीड़ से कुचल कर लोग मरे थे।
यह भी खबर आ रही है कि जहां मेला क्षेत्र के कैंप पर रहने वालों ने भीड़ को आश्रय नहीं दिया वहीं आस—पास के शहरी क्षेत्रों के मुस्लिम आबादी के लोगों ने लोगों को आश्रय देकर उनकी जान बचाई। मैं उन लोगों से सीधे मुलाकात कर हकीकत नहीं जान पाया परंतु मेरे जानने वाले कई पत्रकार मित्रों ने इस तथ्य की पुष्टि की है।