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राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने कहा है कि उच्च शिक्षा संस्थान न्याय, समानता, भाई-चारे, व्यक्तिगत प्रतिष्ठा और महिलाओं के लिए सम्मान के हमारे संवैधानिक आदर्शों को बढावा देने के सबसे प्रभावी मंचों में से एक हैं। उन्होंने ये बात आज शाम राष्ट्रपति भवन में कुलाध्यक्ष सम्मेलन के समापन सत्र के दौरान कही। राष्ट्रपति ने मूल्यवान बौद्विक सम्पदा बनाने वाले तथा ऐसे पेटेन्ट और नवाचारों के जरिए राजस्व पैदा करने वाले उच्च शिक्षा संस्थानों को मान्यता तथा सम्मानित करने के तरीके विकसित करने का सुझाव दिया। उन्होंने कहा कि नवाचार और आधुनिक अनुसंधान तथा विकास देश के आर्थिक और समाजिक विकास के प्रमुख वाहकों में से एक हैं।
राष्ट्रपति मुर्मु ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 रचनात्मकता और नवाचार पर विशेष जोर देती है। उन्होंने कहा कि उत्कृष्ट अनुसंधान को बढावा देना इस नीति के मूल सिद्धान्तों में शामिल हैं। राष्ट्रपति ने कहा कि विश्व में प्रमुख विश्व विद्यालयों और प्रौद्योगिकी संस्थानों ने नवाचार पर जोर दिया है। उन्होंने कहा कि हमारे देश में उच्च शिक्षा संस्थानों में अनुसंधान और नवाचार का प्रमुख केन्द्र बनने की क्षमता है।
राष्ट्रपति ने देश में उच्च शिक्षा संस्थानों द्वारा स्टार्टअप को बढावा देने पर प्रसन्नता व्यक्त की। डिजिटल समावेशन के बारे में राष्ट्रपति ने कहा कि भारत के डिजिटल अवसंरचना और समावेशन के बारे में दुनियाभर में चर्चा हो रही है। उन्होंने कहा कि विश्व में 46 प्रतिशत डिजिटल लेन-देन भारत में होता है।
राष्ट्रपति मुर्मु ने कहा कि इस सम्मेलन के विषय हमारे देश तथा समूचे विश्व के लिए पूरी तरह से उपयुक्त थे। उन्होंने कहा कि सम्मेलन में प्रस्तुत किये गये विचार सटीक और कार्रवाई योग्य हैं। डिजिटल इंडिया का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि भारतीय समाज को डिजिटली सशक्त करने और देश की अर्थव्यवस्था में बदलाव लाने का लक्ष्य रखा गया है।
राष्ट्रपति ने कहा कि इस प्रयास के परिणाम बहुत उत्साहजनक रहे हैं। उन्होंने कहा कि प्रभावी कार्यान्वयन और सार्वजनिक भागीदारी से बहुत कम समय में क्रान्तिकारी बदलाव हुए हैं।
राष्ट्रपति मुर्मु ने विश्वास व्यक्त किया कि ऐसे ही परिवर्तनकारी और समावेशी परिणाम उच्च शिक्षा के क्षेत्र में भी हासिल होंगे। उन्होंने कहा कि ‘अन्तर्राष्ट्रीय प्रयास और जी-20’ विषय पर चर्चा भारत को ज्ञान महाशक्ति के रूप में स्थापित करने में बहुत उपयुक्त है। उन्होंने कहा कि भारत एक पृथ्वी, एक कुटुम्ब और एक भविष्य के मंत्र के साथ जी-20 देशों के साथ मौजूदा वैश्विक चुनौतियों का मिलकर समाधान ढूढने का प्रयास कर रहा है।
इस अवसर पर शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान भी उपस्थित थे।