बच्चों और बुजुर्गों की विशेष देखभाल करनी चाहिए
यह साल का वो समय है जब मानसून आता है। मानसून के साथ, भारत में वर्षा ऋतु शुरू हो जाती है। आयुर्वेद में, यह समय वात या शरीर में हलचल पैदा होने का टाइम होता है। हालांकि यह आनंद का समय होता है, लेकिन इस समय में कुछ सावधानियां बरतने की भी आवश्यकता होती है, विशेष रूप से बच्चों में। ऐसा न करने पर वे कई बीमारियों और संक्रमणों के शिकार हो सकते हैं।
मानसून वह समय है जब ‘इलाज से बचाव बेहतर है’ की कहावत चरितार्थ होती है। मच्छरों से उत्पन्न बीमारियों जैसे डेंगू, मलेरिया और चिकनगुनिया से सभी माता-पिता डरते हैं। पिछले कुछ वर्षों में डेंगू से बड़ी संख्या में बच्चे प्रभावित हुए हैं।
इस बारे में बोलते हुए, एचसीएफआई के अध्यक्ष पùश्री डॉ. के के अग्रवाल ने कहा, ‘मानसून का स्वागत है, लेकिन यह कई बीमारियों के साथ आता है, क्योंकि शरीर की प्रतिरक्षा कम हो जाती है। मानसून से जुड़ी बीमारियां मलेरिया, डेंगू, चिकनगुनिया, जॉन्डिस, गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल संक्रमण जैसे टाइफॉइड और कॉलरा आदि हैं। इनके अलावा, ठंड और खांसी जैसे वायरल संक्रमण भी आम हैं। बच्चों और बुजुर्गों में प्रतिरक्षा कम होती है। इसलिए वे अधिक संवेदनशील होते हैं। बारिश के कारण एकत्र होने वाला पानी मच्छरों के लिए प्रजनन स्थल बन जाता है। पीने के पानी का प्रदूषण भी आम है। दस्त और गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल संक्रमण को रोकने के लिए स्वच्छ और शुद्ध पानी पीना महत्वपूर्ण है। इन दिनों भूमिगत कीड़े मकोड़े सतह पर आकर पानी को प्रदूषित कर देते हैं। कमजोर पाचन अग्नि के चलते गैस्ट्रिक गड़बड़ी हो सकती है। इस कारण से इन दिनों सामूहिक भोज से बचना चाहिए।’
मानसून का बुखार भ्रामक हो सकता है। इन दिनों होने वाली अधिकांश बीमारियां 4 से 7 दिन में अपने आप ठीक हो जाती हैं। बुनियादी सावधानी में उचित हाइड्रेशन खास है, विशेषकर उन दिनों में जब बुखार उतर रहा हो। हालांकि, संबंधित स्थितियों वाले किसी भी बुखार को अनदेखा नहीं किया जाना चाहिए और डॉक्टर से परामर्श लेना चाहिए।
डॉ. अग्रवाल, जो आईजेसीपी के समूह संपादक भी हैं, ने आगे बताया, ‘बरसात के मौसम में गंदे पानी में घूमने से कई फंगल संक्रमण हो जाते हैं, जो पैर की उंगलियों और नाखूनों को प्रभावित करते हैं। मधुमेह के रोगियों को संक्रमणों का ख्याल रखना चाहिए जो पैर की उंगलियों और नाखूनों को प्रभावित करते हैं। उन्हें हमेशा सूखा और साफ रखना चाहिए। गंदे पानी में चलने से बचें। घर पर और उसके आसपास कवक (मोल्ड) की वृद्धि को रोकने के लिए सावधानी बरतनी चाहिए। अस्थमा रोगियों के मामले में दवा के छिड़काव से बचें।’
एचसीएफआई के कुछ सुझाव
ऽ इस मौसम में पेट की शिकायतें आम हैं। हल्का भोजन खाएं, क्योंकि शरीर की जीआई प्रणाली भारी भोजन को पचा नहीं सकती है।
ऽ बिना धाये या उबाले पत्तेदार सब्जियां न खाएं क्योंकि उन पर कीड़ों के अंडे हो सकते हैं। बाहरी स्टाल से लेकर स्नैक्स खाने से बचें।
ऽ इस सीजन में बिजली से होने वाली मौतों से सावधान रहें, क्योंकि बिना अर्थिंग वाले बिजली कनेक्शन से झटका लग सकता है।
ऽ नंगे पैर नहीं चलें, क्योंकि अधिकांश कीड़े बाहर आ जाते हैं और संक्रमण का कारण बन सकते हैं। गीले कपड़े और चमड़े को उचित तरीके से सुखाने के बाद ही अंदर रखें। वे फंगस को आकर्षित कर सकते हैं।
ऽ बारिश के दिनों में नहाने के साथ, बीपी में उतार-चढ़ाव हो सकता है, इसलिए दवाओं का पुनरीक्षण किया जाना चाहिए।
ऽ रुके हुए पानी में बच्चों को न खेलने दें। इसमें चूहे का मूत्र मिला होने से लैक्टोसिरोसिस (पीलिया के साथ बुखार) हो सकता है।
ऽ घर या आस-पास के इलाकों में पानी जमा न होने दें। उबला हुआ या आरओ का पानी पीएं, क्योंकि दूषित पानी से दस्त, पीलिया और टाइफोइड की संभावना रहती है।