भगवान श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का पर्व आज पूरे देश में धूमधाम और श्रद्धा के साथ मनाया जा रहा है। भाद्रपद मास की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को भगवान कृष्ण का जन्म हुआ था और यह दिन धार्मिक, सांस्कृतिक और आध्यात्मिक महत्व का प्रतीक है।

सुबह से ही देशभर के मंदिरों में भजन-कीर्तन, झांकियों, और मटकी फोड़ प्रतियोगिताओं के साथ भक्तों का उत्साह देखने को मिल रहा है। छोटे-छोटे बच्चे राधा-कृष्ण की पोशाक में सजे दिखाई दिए और व्रतधारी श्रद्धालु भजन-पूजन में लीन रहे।

मथुरा और वृंदावन में जन्माष्टमी की तैयारियां कई दिनों पहले से शुरू हो गई थीं। मथुरा के श्रीकृष्ण जन्मभूमि मंदिर, वृंदावन के बांके बिहारी मंदिर, प्रेम मंदिर, और इस्कॉन मंदिर को अत्यंत भव्य ढंग से सजाया गया है। लाखों श्रद्धालु इन तीर्थस्थलों पर जुटे हैं। आधी रात को, जब भगवान श्रीकृष्ण का जन्म हुआ था, विशेष पूजा-अर्चना, अभिषेक और गीता पाठ का आयोजन होगा।

इस अवसर पर देशभर में रासलीला, धार्मिक कथाएं, और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन भी किया जा रहा है। यूपी, मध्य प्रदेश, गुजरात और महाराष्ट्र में विशेष सुरक्षा और भीड़ नियंत्रण के उपाय किए गए हैं।

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने जन्माष्टमी के शुभ अवसर पर देशवासियों को हार्दिक बधाई दी। उन्होंने कहा कि यह पर्व “आनंद, आस्था और अध्यात्म से भरपूर” है। अपने संदेश में राष्ट्रपति ने कहा कि भगवान श्रीकृष्ण का जीवन और उनके उपदेश हमें आत्मविकास और धर्म के पथ पर चलने की प्रेरणा देते हैं।

उन्होंने आगे कहा कि श्रीकृष्ण ने मानवता को यह सिखाया कि धर्म के मार्ग पर चलकर ही परम सत्य की प्राप्ति संभव है। राष्ट्रपति मुर्मु ने लोगों से आह्वान किया कि वे श्रीकृष्ण के जीवन-मूल्यों को अपनाएं और एक न्यायपूर्ण, मजबूत और समरस समाज के निर्माण में अपना योगदान दें।

प्रधानमंत्री और कई केंद्रीय मंत्रियों ने भी सोशल मीडिया के माध्यम से जन्माष्टमी की शुभकामनाएं दीं। कई राज्यों में इस अवसर पर अवकाश घोषित किया गया है और बड़े पैमाने पर सांस्कृतिक आयोजन हो रहे हैं।

जैसे-जैसे रात का समय नज़दीक आ रहा है, कृष्ण जन्म महोत्सव की तैयारियां चरम पर हैं। यह वह क्षण है जब वासुदेव ने नवजात कृष्ण को यमुना पार कर गोकुल पहुंचाया था — और यह स्मृति आज भी श्रद्धा से मनाई जाती है।