
लेखक: आर. सूर्यामूर्ति
भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने देश की आर्थिक रफ्तार को तेज़ करने और रियल एस्टेट सेक्टर को प्रोत्साहित करने के लिए बड़ा कदम उठाया है। RBI की मौद्रिक नीति समिति (MPC) ने पॉलिसी रेपो रेट में 50 बेसिस प्वाइंट की कटौती की है, जिससे यह अब घटकर 5.50% पर आ गई है। इसके साथ-साथ कैश रिज़र्व रेशियो (CRR) में भी कटौती की गई है, जिससे बैंकों की लोन देने की क्षमता में उल्लेखनीय वृद्धि होगी।
कम ईएमआई, ज्यादा घर खरीदार
इस फैसले का सबसे बड़ा फायदा उन लोगों को मिलेगा जो घर खरीदने की योजना बना रहे हैं। होम लोन की ब्याज दरों में कमी के साथ अब मासिक ईएमआई भी घटेगी। उदाहरण के लिए, ₹50 लाख के 20 साल के होम लोन पर अब हर महीने लगभग ₹1,960 की बचत होगी, जिससे पूरे लोन कार्यकाल में करीब ₹4.7 लाख की बचत संभव है।
ANAROCK ग्रुप के चेयरमैन अनुज पुरी ने कहा, “यह कटौती खासकर किफायती और मिड-सेगमेंट हाउसिंग के लिए वरदान साबित होगी, जो बीते वर्षों में धीमी पड़ गई थी। अब EMI में राहत से इन क्षेत्रों में बिक्री में बढ़ोतरी की उम्मीद है।”
डेवलपर्स को मिलेगी रफ्तार
केवल खरीदार ही नहीं, रियल एस्टेट डेवलपर्स भी इस फैसले से उत्साहित हैं। क्रेडिट सस्ता होने से निर्माण गतिविधियों में तेजी आएगी। Knight Frank India के शिशिर बैजल ने कहा, “बीते कुछ महीनों में कुल 100 बेसिस प्वाइंट की कटौती से डेवलपर्स को नई योजनाओं पर ध्यान केंद्रित करने और डिमांड बढ़ाने में मदद मिलेगी।”
बचत का गणित
RPS ग्रुप के डायरेक्टर अमन गुप्ता के अनुसार, ₹30 लाख के लोन पर हर महीने ₹1,176 की EMI बचत होगी। उधारकर्ता चाहें तो EMI घटा सकते हैं या वही EMI देकर लोन अवधि कम कर सकते हैं, जिससे ब्याज पर लाखों की बचत होगी। वहीं, क्रेडमैनेजर.इन के दीपक कुमार जैन के मुताबिक, ₹1 करोड़ के लोन पर हर महीने ₹6,329 और ₹1.5 करोड़ पर ₹9,493 तक की बचत हो सकती है।
बैंकों की तरलता बढ़ी, निर्माण को मिलेगी नई ऊर्जा
RBI के CRR कटौती के फैसले से बैंकों के पास ₹2.5 लाख करोड़ अतिरिक्त फंड आएगा। इससे डेवलपर्स को कर्ज मिलना आसान होगा और नए प्रोजेक्ट्स की शुरुआत तेज़ होगी। NAREDCO के अध्यक्ष निरंजन हीरानंदानी ने कहा, “यह तरलता विकास परियोजनाओं में निवेश को बढ़ावा देगी और हाउसिंग सेक्टर को नई दिशा देगी।”
Colliers India के विमल नाडर के अनुसार, यह फैसला खासकर शहरी रियल एस्टेट मार्केट में भरोसे को मजबूत करेगा और बिक्री में तेजी लाएगा। CBRE इंडिया के अंशुमन मैगजीन ने कहा, “ब्याज दरों में गिरावट और बैंकों की बढ़ी हुई तरलता रियल एस्टेट सेक्टर के लिए एक पॉजिटिव साइकिल की शुरुआत करेगी।”
कृषि और ग्रामीण मांग से मिली मजबूती
RBI के इस फैसले के पीछे मजबूत कृषि उत्पादन और ग्रामीण मांग की अहम भूमिका है। पिछले रबी और खरीफ फसलों की अच्छी पैदावार से खाद्य वस्तुओं की आपूर्ति में स्थिरता आई है, जिससे महंगाई नियंत्रण में रही है। GDP ग्रोथ 6.5% रहने का अनुमान है, जिसमें कृषि क्षेत्र की बड़ी हिस्सेदारी है।
RBI की नीति अब ‘न्यूट्रल’
RBI ने मौद्रिक नीति के रुख को ‘अकोमोडेटिव’ से बदलकर अब ‘न्यूट्रल’ कर दिया है। इसका मतलब यह है कि अब आगे के फैसले महंगाई और आर्थिक आंकड़ों के आधार पर लिए जाएंगे। फिलहाल RBI ने ग्रोथ को गति देने के लिए मजबूत संकेत दिए हैं।
RBI की यह दर कटौती केवल ब्याज दरों में बदलाव नहीं है, बल्कि यह रियल एस्टेट सेक्टर के लिए एक नई शुरुआत है। घर खरीदने की चाहत रखने वालों के लिए अब यह समय बेहद अनुकूल है। कम EMI, अधिक लोन पात्रता और बेहतर सौदे—यह सब मिलकर भारत के आवास क्षेत्र में नई ऊर्जा का संचार करेंगे।