AMN / NEW DELHI

देश के विभिन्न हिस्सों से मानव-वन्यजीव संघर्ष की घटनाएं सामने आती रही हैं। हालांकि इस तरह की घटनाओं का केंद्रीकृत आंकड़ा मंत्रालय के स्तर पर नहीं रखा जाता, फिर भी केंद्र सरकार ने इन संघर्षों को कम करने और प्रभावित लोगों को राहत देने के लिए कई अहम कदम उठाए हैं। यह जानकारी पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन राज्य मंत्री श्री किर्ती वर्धन सिंह ने आज लोकसभा में लिखित उत्तर के रूप में दी।

सरकार ने फरवरी 2021 में राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के लिए एक परामर्श जारी किया था जिसमें संघर्ष-प्रवण क्षेत्रों की पहचान, विभागों के बीच समन्वय, त्वरित प्रतिक्रिया टीमों का गठन, और पीड़ितों को शीघ्र मुआवज़ा देने जैसे दिशा-निर्देश दिए गए। विशेष रूप से मृत्यु या गंभीर चोट के मामलों में 24 घंटे के भीतर अनुग्रह राशि देने की सिफारिश की गई।

3 जून 2022 को मंत्रालय ने फसल क्षति से जुड़े संघर्षों के प्रबंधन के लिए अतिरिक्त दिशानिर्देश भी जारी किए। इसमें प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY) के तहत वन्यजीव हमलों से फसल क्षति के लिए अतिरिक्त बीमा कवर देने की सलाह दी गई। इसके अलावा, जंगल के किनारे ऐसी फसलें लगाने को प्रोत्साहित किया गया जो वन्यजीवों को पसंद नहीं होती, जैसे मिर्च, लेमन ग्रास, खस आदि।

21 मार्च 2023 को मंत्रालय ने हाथी, गौर, तेंदुआ, भालू, मगरमच्छ, जंगली सूअर, नीलगाय, काला हिरण, rhesus बंदर और साँप जैसे जानवरों से जुड़े संघर्षों के लिए प्रजाति-विशेष दिशा-निर्देश जारी किए।

केंद्र सरकार राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को “वन्‍यजीव आवास विकास”, “प्रोजेक्ट टाइगर” और “प्रोजेक्ट एलिफेंट” जैसी योजनाओं के तहत वित्तीय सहायता देती है। इसके अंतर्गत फसल/पशुधन/मानव क्षति के लिए मुआवजा, और सुरक्षा के लिए कांटेदार बाड़, सौर चालित बाड़, बायो-फेंसिंग, और दीवारों के निर्माण जैसे कार्य शामिल हैं।

वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 के तहत ऐसे जानवरों के लिए विशेष प्रावधान हैं जो मानव जीवन के लिए खतरा बन जाते हैं। अधिनियम की धारा 11 के अंतर्गत राज्य के मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक को ऐसे जानवरों को मारने की अनुमति देने का अधिकार प्राप्त है।

देशभर में राष्ट्रीय उद्यानों, वन्यजीव अभयारण्यों और संरक्षण क्षेत्रों का एक व्यापक नेटवर्क भी बनाया गया है ताकि प्राकृतिक आवासों और वन्यजीवों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।

इसके अलावा, वन विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों के लिए प्रशिक्षण एवं तकनीकी सहायता वन्यजीव संस्थान (WII) और SACON जैसी संस्थाओं के माध्यम से प्रदान की जाती है। आधुनिक तकनीकों जैसे अर्ली वार्निंग सिस्टम और सर्विलांस उपकरणों को अपनाने पर जोर दिया जा रहा है।

राज्य सरकारें समय-समय पर जन जागरूकता अभियान भी चलाती हैं ताकि आम जनता को मानव-वन्यजीव संघर्ष से बचाव, सतर्कता और रिपोर्टिंग के बारे में जानकारी दी जा सके।