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संसद ने बैंकिंग कानून संशोधन विधेयक 2024 पारित कर दिया है। इसे आज राज्यसभा से मंजूरी मिल गई। लोकसभा पहले ही इस विधेयक को पारित कर चुकी है। विधेयक में भारतीय रिजर्व बैंक अधिनियम 1934, बैंकिंग विनियमन अधिनियम 1949, भारतीय स्टेट बैंक अधिनियम 1955, बैंकिंग कंपनियां (उपक्रमों का अधिग्रहण और हस्तांतरण) अधिनियम 1970 और बैंकिंग कंपनियां (उपक्रमों का अधिग्रहण और हस्तांतरण) अधिनियम 1980 में संशोधन करने के प्रावधान हैं। इस विधेयक का उद्देश्य बैंक खाते में नामांकित व्यक्तियों के लिए मौजूदा विकल्पों की संख्या एक से बढ़ाकर चार करना है। विधेयक में निदेशक पदों के लिए पर्याप्त ब्याज को फिर से परिभाषित करने का भी प्रस्ताव है। इसे मौजूदा पांच लाख रुपये की सीमा के बजाय दो करोड़ रुपये तक बढ़ाया जा सकता है। विधेयक बैंकों को अपने लेखा परीक्षकों के पारिश्रमिक को तय करने का अधिकार देता है।
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारामन ने चर्चा का उत्तर देते हुए कहा कि सरकार ने देश में बैंकिंग क्षेत्र को मजबूत करने के लिए कई सुधार किए हैं। उन्होंने कहा कि वर्ष 2014 में बैंक दबाव में थे और नरेंद्र मोदी सरकार के सत्ता में आने पर एक मजबूत बैंकिंग प्रणाली ढांचा तैयार किया, जिससे बैंकों की वित्तीय स्थिति मजबूत बनी रहे।
श्रीमती सीतारामन ने कहा कि गैर निष्पादित परिसंपत्तियों-एनपीए में भारी कमी आई है। उन्होंने कहा कि सरकार जानबूझकर कर्ज न चुकाने वालों के खिलाफ वसूली के लिए कड़ी कार्रवाई करने के लिए प्रतिबद्ध है।
विधेयक पर चर्चा शुरु करते हुए कांग्रेस के शक्तिसिंह गोहिल ने कहा कि कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में ही बैंकों का राष्ट्रीयकरण हुआ था। उन्होंने कहा कि विधेयक में सरकार ने सहकारी बैंक में निदेशक का कार्यकाल आठ वर्ष से बढ़ाकर 10 वर्ष करने के लिए संशोधन का प्रस्ताव रखा है।
भाजपा के अरुण सिंह ने कहा कि बैंकिंग प्रणाली देश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ है। उन्होंने कहा कि इस कानून का उद्देश्य बैंकिंग प्रणाली को बेहतर बनाना है। उन्होंने कहा कि सत्ता में आने के बाद नरेन्द्र मोदी सरकार ने वित्तीय समावेशन पर ध्यान केंद्रित किया है और देश के दूरदराज के इलाकों में बैंकिंग सुविधाएं प्रदान की हैं। उन्होंने कहा कि वर्तमान में देश में 54 करोड़ बैंक खाते चालू हैं और खाताधारकों को दुर्घटना बीमा और रुपे कार्ड की सुविधा प्रदान की जाती है।
द्रविड़ मुनेत्र कझगम के के. आर. एन. राजेश कुमार ने कहा कि तमिलनाडु सरकार किसानों के लिए अलग बजट लेकर आई है और उनके लिए विभिन्न कल्याणकारी योजनाएं भी शुरू की हैं।
आम आदमी पार्टी के राघव चड्ढा ने कहा कि ग्रामीण भारत का 50 प्रतिशत हिस्सा अभी बैंकिंग प्रणाली से दूर है और 30 प्रतिशत ग्रामीण परिवार अब भी बैंकिंग से वंचित हैं। उन्होंने कहा कि देश में साइबर धोखाधड़ी और डिजिटल गिरफ्तारी की घटनाएं बढ़ी हैं और पिछले वर्ष दो लाख 92 हजार मामले सामने आए हैं।
अखिल भारतीय अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कझगम के एम. थम्बी दुरई ने तमिलनाडु सरकार पर किसानों और विद्यार्थियों से किए गए वादों को पूरा नहीं करने का आरोप लगाया। तृणमूल कांग्रेस के साकेत गोखले ने कहा कि देश में असुरक्षित ऋण बढ़ गए हैं।