AMN / पटना
राजधानी पटना के बिहार उर्दू अकादमी के सेमिनार हॉल में आज डॉ अहमद सोहेल द्वारा लिखित उपन्यास संग्रह ‘सौंपा हुआ ख्वाब ‘ का विमोचन प्रसिद्ध उर्दू उपन्यासकार एवं सूचना एवं जनसंपर्क विभाग के सेवानिवृत निदेशक प्रमुख शफी जावेद एवं पूर्व पुलिस निदेशक अभय कुमार बेबाक के हाथों संपन्न हुआ। इस मौके पर अपने संबोधन में शफी जावेद ने पुस्तक को आज के प्रसंग में बेहद महत्वपूर्ण बताया और कहा कि डॉ सोहेल अहमद , चिकित्सक थे ।बावजूद साहित्य में उनका लगाव हमें प्रेरणा देने वाला है। उपन्यास संग्रह ‘सौंपा हुआ ख्वाब ‘ की कहानिया अपनी वैचारिकता और भावपूर्ण संप्रेषण के कारण पाठकों पर गहरा प्रभाव डालने की क्षमता रखती है। डॉ सोहेल ने अपनी उपन्यास में अपनी जिंदगी के सच पर सामाजिक, पारिवारिक और मानवीय संबंधों का सूक्ष्म चित्रण करते हैं, जो दुलर्भ है। अभय कुमार बेबाक ने भी डॉ अहमद सोहेल के उपन्यास की प्रशंसा करते हुए कहा कि उन्होंने एइक चिकित्सक होने के साथ दुखी मानवता के संवेदनाओ को बड़ी करीब से देखा / उनकी कई कहानिया तो बिलकुल जीवंत मालूम होती है
पुस्तक विमोचन कार्यक्रम की शुरूआत पारंपरिक तौर पर हुई, जहां आगत अतिथियों को गुलदस्ता देकर सम्मानित किया। उसके बाद इस उपन्यास संग्रह के लेखक दिवंगत डॉ अहमद सोहेल के अनुज पूर्व केंद्रीय मंत्री डॉ शकील अहमद ने कहा कि वे विज्ञान के विद्यार्थी और चिकित्सक होते हुए भी मेरे बड़े भाई साहित्य से कॉलेज के दिनों से ही जुडे रहे। यही कारण है कि उन्होंने विभिन् ज्वलंत मुद्दों पर उपन्यास भी लिखा और कविताएँ भी लिखी उन्हें उपन्यास और काव्य विधा का व्याकरण ज्ञात था और न ही कभी सीखने की कोशिश की। उनके दिल ने जो कहा, कागज पर उतार दिया। मित्रों और परिजनों ने उन्हें संवरने और निखरने के लिए प्रोत्साहित किया। यही वजह है कि उनकी पुस्तक सौंपा हुआ ख्वाब अब आपके समक्ष है।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए पाटलिपुत्र विश्विदालय के उर्दू विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो मंज़र एजाज़ ने भी पुस्तक की सराहना की और कहा कि साहित्य के बिना समाज की कल्पना असंभव है। ऐसे में डॉ अहमद सोहेल की पुस्तक ‘सौंपा हुआ ख्वाब’ की प्रासंगिकता आज के समय में काफी बढ़ जाती है, वोह मेरे बहुत अच्छे दोस्त थे , तबियत से काफी गंभीर थे /उनकी कहानियो से उनकी संवेदनायो को महसूस किया जा सकता है / मुख्य अतिथि के रूप में पदमश्री प्रो कैप्टेन मो शर्फे आलम, प्रो अलिमुल्लाह हाली,, इम्तेयाज़ अहमद करीमी,मुफ्ती सनौल होदा कासमी, जबकि समानित अतिथि के रूप में अशरफ फरीद, डॉ रेहान गनी , डॉ शहनाज़ फातमी, डॉ सय्यद शाहबाज़ आलम, और डॉ नजीर अहमद ने भी डॉ अहमद सोहेल कि पुस्तक पर अपने विचार रखे. इसके बाद मोशैयरा का भी आयोजन हुआ / इसका सञ्चालन शादमा हसन ने किया, बारी अजमी ने धन्यवाद प्रस्ताव पेश किया