नीलम जीना / नई दिल्ली

दिल्ली नगर निगम के द्वारा संचालित शिक्षण संस्थाअेां को तंबाकू मुक्त बनाने के लिए विभाग ने कमर कस ली है। जिसके तहत इन शिक्षणसंस्थाअेां के प्रंधानाध्यापकों को तंबाकू मुक्त शिक्षण संस्थान का प्रशिक्षण देकर जागरुक किया जा रहा है। इसके लिए आजादपुर कालोनी में संबध हैल्थ फाउंडेशन, मैक्सइंडिया फाउंडेशन व शिक्षा विभाग ने संयुक्त रुप तंबाकु मुक्त शिक्षण संस्थान जागरुकता कार्यक्रम का शुक्रवार को आगाज किया है। जिसमें प्रधानाध्यापकेां को तंबाकूमुक्त शिक्षण संस्थान के बारें में तकनीकी जानकारी दी गई।

एमसीडी नार्थ शिक्षा विभाग के निदेशक कृष्ण कुमार ने बताया कि 719 स्कूलेां को तंबाकू मुक्त बनाया जायेगा। जिसके तहत सभी स्कूलों के प्रधानाध्यापकेंा को इनसभी शिक्षण संस्थाअेंा को किस प्रकार से तंबाकु मुक्त बनाया जाये इसके लिए तकनीकी जानकारी देकर प्रशिक्षित किया जा रहा है।

उन्होने बताया कि बच्चों व भावी युवा पीढ़ी को तंबाकू व अन्य धूम्रपान उत्पादों से बचाना सबसे बड़ा कठिन कार्य है, इसलिए यदि स्कूल स्तर से ही ऐसे संस्कार इनबच्चांे में डाले जाए कि वे इनसे हमेशा दूर रहें तो इनके भविष्य को सुरक्षित, शारिरीक व मानसिक रुप से ताकतवर बनाया जा सकेगा। इसके लिए शिक्षकेां के साथ साथअभिभावकेंा को भी सकारात्मक रुप से सहयेाग करना चाहिए।

इस दौरान संबध हैल्थ फाउंडेशन की प्रोजेक्ट मैनेजर डा.हिना श्ेाख ने बताया कि दिल्ली नगर निगम के द्वारा संचालित स्कूलों को तंबाकू मुक्त बनाने के लिएजागरुकता कार्यक्रमेंा का आयोजन किया जा रहा है।

वे बतातीं है कि दिल्ली में 24.3 (30 लाख ) प्रतिशत लोग किसी न किसी रुप में तंबाकू उत्पादों का प्रयोग करतें है वंही देश में 14.6 प्रतिशत विद्यार्थी किसी न किसी रूपमें तम्बाकू उत्पादेां का उपयोग कर रहे है। दिल्ली में प्रतिदिन 81 बच्चे इसकी शुरुआत करतें है वंही देश में 5500 बच्चे हर दिन तंबाकू सेवन की शुरुआत करते हैं औरवयस्क होने की आयु से पहले ही तम्बाकू के आदी हो जाते हैं। इसी कारण दिल्ली मंे प्रतिवर्ष 10 हजार 6 सौ लोग अपनी जान गंवा देते है। तंबाकू उपयोगकर्ताओं में से केवल 3 प्रतिशत ही इस लत को छोड़ने में सक्षम हैं। इसीलिए यह आवश्यक है की हम बच्चों को तम्बाकू सेवन की पहल करने से ही रोके।

मैक्स इंडिया फाउंडेशन के कैंसर रोग विशेषज्ञ डा सोरव गुप्ता ने तंबाकू व अन्य धूम्रपान उत्पादों के दुष्प्रभावेंा के बारे में जानकारी देते हुए इससे बच्चों का शारिरीक वमानसिक विकास रुक जाता है, जिससे वे पढ़ाई मंे भी अपना मन नही लगा पाते। इसलिए प्राईमरी स्तर से बच्चेंा मंे इन नशों के प्रति संदेश डाले जाते है तो उनमेंइसकी लत लगने की संभावनांए घट जाती है।

वे बतातें है कि इनमें एक चौथाई ऐसे विद्यार्थी है जिनके माता पिता में से कोई एक या दोनों धूम्रपान करते है। हालंाक तंबाकू के उपयोग का कोई सुरक्षित स्तर नहीं है।तंबाकू उत्पादों के उपभोक्ताओ की सुरक्षा इसी में है वह पूरी तरह इसके उपयोग को रोक दे।

उन्होने बताया कि शिक्षण संस्थाअेंा में कोटपा (सिगरेट एंव अन्य तंबाकू उत्पाद अधिनियम 2003 ) की धारा 4 एंव 6 ब के तहत् तंबाकू मुक्त शिक्षण संस्थान घोषितजायेगा। जिसमें शिक्षण संस्थाअेां के अंदर व बाहर तंबाकू निषेध के चेतावनी बोर्ड, शिक्षण संस्थाअेंा के परिसर में किसी भी विद्यार्थी, स्टाफॅ व आगंतुकेंा के द्वाराकिसी भी प्रकार के तंबाकू उत्पाद का उपयोग प्रतिबंध, शिक्षण संस्थाअेंा के एक सौ गज के दायरे में किसी भी के तंबाकू उत्पाद की बिक्री निषेध की चेतावनी का प्रदर्शनतथा शिक्षण संस्थाअेंा में तंबाकू के दुष्प्रभावेां पर विभिन्न गतिविधियों का आयेाजन करना शामिल है।

क्या है कोटपा अधिनियम
इस अधिनियम के तहत सार्वजनिक स्थान का तात्पर्य ऐसे किसी स्थान से है,जिसका सार्वजनिक उपयेाग होता है वंहा पर धूम्रपान निषेध एंव संवैधानिक चेतावनी।
अधिनियम 6 अ
समस्त तंबाकू विक्रय स्थलों पर नाबालिगों केा तंबाकू न बेचने की वैधानिक चेतावनी।
अधिनियम 6 ब
सभी शिक्षण संस्थाअेंा से 100गज की दूरी में तंबाकू उत्पादों की बिक्री निषेध।
यह जुर्माना
सार्वजनिक स्थल,महाविद्यालय परिसर के अंदर व चारदीवारी के सौ गज के दायरे में किसी भी प्रकार के तंबाकू उत्पादों की बिक्री या सेवन करते पाए जाने पर कोटपाकानून के तहत 200 रुपये तक का जुर्माना किया जा सकता है।