Staff Reporter / New Delhi

पिछले कुछ सप्ताहों में देश ने बाढ़ और भूस्खलन जैसी प्राकृतिक आपदाओं का गंभीर रूप से सामना किया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘मन की बात’ कार्यक्रम में कहा कि इन घटनाओं ने पूरे राष्ट्र को व्यथित किया है और जिन्होंने अपने प्रियजन खोए हैं, उनका दर्द हम सभी का साझा दर्द है।

उन्होंने कहा कि संकट की इस घड़ी में एनडीआरएफ-एसडीआरएफ, सुरक्षा बलों, स्थानीय प्रशासन, सामाजिक कार्यकर्ताओं, डॉक्टरों और आम नागरिकों ने मिलकर राहत और बचाव का कार्य किया। आधुनिक तकनीक जैसे ड्रोन सर्विलांस, थर्मल कैमरे और स्निफर डॉग्स ने भी राहत कार्यों को गति दी। प्रधानमंत्री ने कहा कि इस समय मानवता को सर्वोपरि रखकर किए गए प्रयास वास्तव में प्रेरणादायी हैं।

प्रधानमंत्री मोदी ने अपने संबोधन की शुरुआत यह याद दिलाते हुए की कि भारत को ‘वोकल फॉर लोकल’, ‘आत्मनिर्भर भारत’ और ‘विकसित भारत’ के मंत्र को आगे बढ़ाना है। उन्होंने कहा कि त्योहारों के मौसम में स्वदेशी को कभी नहीं भूलना चाहिए। उपहार से लेकर परिधान और सजावट तक हर चीज भारतीय होनी चाहिए। साथ ही, स्वच्छता पर विशेष ध्यान देना चाहिए क्योंकि स्वच्छता से त्योहारों की खुशी और बढ़ जाती है।

उन्होंने कहा कि एक भारत-श्रेष्ठ भारत की भावना विकास के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है और इसमें खेलों की बड़ी भूमिका है। उन्होंने श्रीनगर के डल झील पर आयोजित पहले “खेलो इंडिया वाटर स्पोर्ट्स फेस्टिवल” का जिक्र किया, जिसमें 800 खिलाड़ियों ने भाग लिया। इस अवसर पर उन्होंने ओडिशा की रश्मिता साहू और श्रीनगर के मोहसिन अली से बातचीत की, जिन्होंने गोल्ड मेडल जीते। पुलवामा में हुए पहले डे-नाइट क्रिकेट मैच का भी उल्लेख किया, जहां हजारों युवाओं ने उत्साह से खेल का आनंद लिया।

प्रधानमंत्री ने रोजगार से जुड़े डिजिटल प्लेटफॉर्म प्रतिभा सेतु का जिक्र किया। इसके माध्यम से यूपीएससी परीक्षा के अंतिम मेरिट से बाहर रह गए प्रतिभाशाली युवाओं को निजी क्षेत्र में नौकरी मिलने लगी है। उन्होंने कहा कि इस पहल से सैकड़ों युवाओं को तुरंत रोजगार मिला है।

खेलों के प्रति वैश्विक रुचि पर बात करते हुए उन्होंने बताया कि जर्मन फुटबॉल कोच डाइटमार बायर्सडॉर्फर शाहडोल के फुटबॉल खिलाड़ियों से प्रभावित होकर उन्हें जर्मनी में प्रशिक्षित करने की पेशकश कर रहे हैं। यह भारतीय खेलों के लिए एक नया अध्याय है।

किसानों के जीवन में सौर ऊर्जा के महत्व पर उन्होंने बिहार के मुजफ्फरपुर की देवकी का उदाहरण दिया, जिन्होंने सोलर पंप से अपने गाँव की 40 एकड़ भूमि को सिंचित करने में मदद की।

भारतीय संस्कृति के वैश्विक प्रभाव पर प्रधानमंत्री ने रूस के व्लादिवोस्तोक में आयोजित रामायण प्रदर्शनी, इटली में महर्षि वाल्मीकि की प्रतिमा और कनाडा में भगवान श्रीराम की प्रतिमा के अनावरण का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि यह भारतीय परंपराओं की बढ़ती वैश्विक स्वीकृति का प्रमाण है।

प्रधानमंत्री ने सरदार पटेल के 1947 के हैदराबाद एकीकरण भाषण की रिकॉर्डिंग साझा करते हुए कहा कि अगले महीने हम हैदराबाद मुक्ति दिवस मनाएंगे और उन वीरों को याद करेंगे जिन्होंने निज़ाम और रज़ाकारों की तानाशाही के खिलाफ संघर्ष किया।

उन्होंने इंजीनियर दिवस (15 सितंबर) और विश्वकर्मा जयंती (17 सितंबर) का भी जिक्र किया। मोदी ने कहा कि इंजीनियर देश के सपनों को हकीकत में बदलने वाले कर्मयोगी हैं। वहीं विश्वकर्मा समाज के कारीगर – बढ़ई, सुनार, कुम्हार और मूर्तिकार – भारत की समृद्धि की आधारशिला रहे हैं। इन्हें सशक्त बनाने के लिए सरकार ने विश्वकर्मा योजना शुरू की है।

प्रधानमंत्री मोदी ने अपने संबोधन को इस संदेश के साथ समाप्त किया कि चाहे प्राकृतिक आपदाओं से जूझना हो, या संस्कृति और विकास के नए अध्याय लिखने हों – भारत को आत्मनिर्भरता और एकता के संकल्प के साथ आगे बढ़ना होगा।