BIZ DESK

शुक्रवार को घरेलू बाज़ार मजबूती के साथ बंद हुए, जहाँ निफ्टी ने मनोवैज्ञानिक रूप से अहम 26,000 का स्तर फिर हासिल किया। अमेरिकी फेडरल रिज़र्व की 25 बेसिस पॉइंट की दर कटौती के बाद वैश्विक स्तर पर तरलता (Liquidity) को लेकर आशावाद बढ़ा, जिसका असर भारतीय बाज़ार में तेज़ी के रूप में दिखा।

निफ्टी 148.40 अंक (0.57%) चढ़कर 26,046.95 पर, जबकि सेंसेक्स 449.53 अंक (0.53%) बढ़कर 85,267.66 पर बंद हुआ।

यह बढ़त ऐसे समय आई जब रुपया डॉलर के मुकाबले नए रिकॉर्ड निचले स्तर पर फिसला, और लगातार FII (विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक) निकासी ने मुद्रा पर दबाव बनाए रखा। इसके बावजूद वैश्विक केंद्रीय बैंकों के समर्थनकारी रुख और बेहतर तरलता के अनुमान ने इक्विटी बाज़ार को सहारा दिया।

विनोद नायर, प्रमुख अनुसंधान, जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज़ ने कहा— “यूएस फेड की दर कटौती के बाद वैश्विक जोखिम–रुचि में सुधार हुआ, जिससे बाज़ार में तरलता को लेकर सकारात्मकता बढ़ी। रुपये के नए रिकॉर्ड निचले स्तर और FII बिकवाली के बावजूद घरेलू इक्विटीज़ में मजबूती दिखी। ऑटो, मेटल, कंज़्यूमर ड्यूरेबल्स और रियल्टी सेक्टर ने नेतृत्व किया, जबकि FMCG और PSU बैंक पिछड़ते रहे।”


सेक्टर-वाइज प्रदर्शन

शीर्ष बढ़त वाले सेक्टर

1. मेटल्स

  • चीन की ओर से नीतिगत नरमी के संकेतों पर वैश्विक मांग में सुधार की उम्मीद बढ़ी।
  • कमजोर रुपये से मेटल एक्सपोर्टर्स को अतिरिक्त फायदा मिला।
  • निफ्टी मेटल इंडेक्स ने 2–4% की मजबूत बढ़त दिखाई।

2. ऑटो

  • वैश्विक दरों में नरमी का संकेत मिलने से ऑटो फाइनेंसिंग पर दबाव कम होने की उम्मीद।
  • त्योहारों से पहले मांग मजबूत।
  • EV और प्रीमियम सेगमेंट में भी खरीदारी बढ़ी।

3. कंज़्यूमर ड्यूरेबल्स

  • डिस्क्रिशनरी खर्च में बढ़ोतरी और इनपुट कॉस्ट में नरमी से सेक्टर को मजबूती।
  • ग्रामीण माँग में सुधार के संकेतों से अतिरिक्त बढ़त मिली।

4. रियल्टी

  • ब्याज दरों में नरमी की संभावनाओं से हाउसिंग ऑफ़टेक और नई लॉन्चिंग्स में उत्साह।
  • मजबूत बिक्री आंकड़ों ने डेवलपर स्टॉक्स को सहारा दिया।

कमज़ोर प्रदर्शन वाले सेक्टर

1. FMCG

  • ऊँचे वैल्यूएशन पर मुनाफ़ावसूली का दबाव।
  • ग्रामीण खपत अभी भी अपेक्षा से धीमी।
  • निवेशकों ने डिफेंसिव सेक्टरों से पैसा निकालकर हाई-बेटा स्टॉक्स में रोटेशन किया।

2. PSU बैंक

  • रुपये की कमजोरी और वैश्विक बॉन्ड यील्ड की अनिश्चितता से दबाव।
  • FII आउटफ्लो का सबसे ज़्यादा असर फाइनेंशियल्स पर पड़ा।
  • निवेशकों ने निजी बैंकों को अधिक प्राथमिकता दी।

व्यापक बाज़ार का रुझान

  • मिडकैप और स्मॉलकैप इंडेक्स भी हरे निशान में बंद हुए, जिससे मार्केट ब्रेड्थ मजबूत रही।
  • वोलैटिलिटी में गिरावट, वैश्विक जोखिम–रुचि में सुधार का संकेत देती है।
  • आगे बाज़ार की दिशा इन पर निर्भर रहेगी:
    • रुपये की चाल
    • अमेरिकी मैक्रो डेटा
    • वैश्विक केंद्रीय बैंकों की टिप्पणी
    • FII फ्लो का रुझान

मुद्रा दबाव के बावजूद, मजबूत घरेलू निवेशक आधार और बेहतर तरलता की उम्मीदों ने बाजार को सहारा दिया।