केंद्र सरकार 4 सप्ताह में लंबित केस पर जवाब दाखिल करे: SC

AMN

सुप्रीम कोर्ट ने आज एक अहम फैसले में निर्देश दिया कि 1991 के पूजा स्थल अधिनियम पर आधारित विवादों पर कोई भी अदालत अंतरिम या अंतिम आदेश या सर्वेक्षण के आदेश पारित नहीं करेगी।

शीर्ष अदालत ने कहा कि चूंकि शीर्ष अदालत अधिनियम की जांच कर रही है, इसलिए अगर कोई (निचली अदालत) इस मुद्दे पर कोई आदेश पारित करती है तो यह अनुचित होगा।

हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने निचली अदालत में चल रही कार्यवाही पर रोक नहीं लगाई, लेकिन उसने निर्देश दिया कि जब तक सुप्रीम कोर्ट पूजा स्थल अधिनियम की वैधता पर फैसला नहीं ले लेता, तब तक कोई भी प्रभावी आदेश नहीं दिया जाएगा।

सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया है कि धार्मिक स्थलों को लेकर कोई भी नया मुकदमा दर्ज नहीं होगा. जो मुकदमे लंबित हैं, उनमें सुनवाई जारी रह सकती है लेकिन निचली अदालत कोई भी प्रभावी या अंतिम आदेश नहीं दें. निचली अदालत फिलहाल सर्वे का भी आदेश नहीं दे. केंद्र सरकार 4 सप्ताह में लंबित केस पर जवाब दाखिल करे. याचिकाकर्ता भी उसके बाद 4 सप्ताह में जवाब दाखिल करें.

सुनवाई के दौरान कुछ वकीलों ने विभिन्न अदालतों के सर्वे के आदेशों पर एतराज जताया. हालांकि, कोर्ट ने उस पर टिप्पणी नहीं की. एक वकील ने बताया कि इस समय 10 धार्मिक स्थलों को लेकर 18 मुकदमे अलग-अलग कोर्ट में लंबित हैं.

केंद्र ने कहा- दाखिल करेंगे हलफनामा

केंद्र सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता पेश हुए। उन्होंने कोर्ट को बताया कि सरकार इस मामले में हलफनामा दाखिल करेगी। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जब तक केंद्र का जवाब दाखिल नहीं होता, तब तक मामले की सुनवाई पूरी तरह संभव नहीं है। कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया कि मामले की सुनवाई के दौरान किसी भी तरह के नए मुकदमे दर्ज नहीं किए जा सकते।

सीजेआई ने कहा, नए मुकदमे दाखिल हो सकते हैं, पर कोर्ट उन्हें दर्ज न करे (यानि आगे कार्रवाई न करे)। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से लंबित याचिकाओं पर जवाब दाखिल करने को कहा। इसके अलावा सीजेआई ने पूछा कि मथुरा और ज्ञानवापी समेत कितने मुकदमे हैं?

सर्वे के आदेशों पर कोर्ट ने नहीं की टिप्पणी

सुनवाई के दौरान कुछ वकीलों ने विभिन्न अदालतों के सर्वे के आदेशों पर एतराज जताया। हालांकि, कोर्ट ने उस पर टिप्पणी नहीं की। एक वकील ने बताया कि इस समय 10 धार्मिक स्थलों को लेकर 18 मुकदमे अलग-अलग कोर्ट में लंबित हैं।

जस्टिस के वी विश्वनाथन ने कहा, अगर सुप्रीम कोर्ट में कोई सुनवाई लंबित है, तो सिविल कोर्ट उसके साथ रेस नहीं लगा सकते। सीजेआई ने कहा, 4 सप्ताह में केंद्र जवाब दाखिल करे। सभी पक्ष अगले 4 सप्ताह में उस पर जवाब दाखिल करें।

सीजेआई संजीव खन्ना ने कहा, एक पोर्टल या कोई व्यवस्था बनाई जाए, जहां सभी जवाब देखे जा सकें। इस पर सॉलिसिटर जनरल ने कहा, गूगल ड्राइव लिंक बनाया जा सकता है।