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सुधीर कुमार NEW DELHI

दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को सीबीआई ने शराब नीति घाटाले के मामले में गिरफ्तार कर लिया है.मनीष सिसोदिया से सुबह से शराब घोटाले के मामले में पूछताछ की जा रही थी और 8 घंटे से अधिक समय के बाद उनकी गिरफ्तारी हुई.

बताया गया है कि आबकारी विभाग के एक IAS अफसर ने CBI की पूछताछ में सिसोदिया का नाम लिया था। अफसर ने कहा- सिसोदिया ने ऐसी शराब नीति बनवाई थी, जिससे सरकार को मुनाफा नहीं हो, व्यापारियों को मोटा फायदा हो। इसी बयान के आधार पर सिसोदिया से पूछताछ की गई थी।

 सत्येंद्र जैन के बाद मनीष सिसोदिया के रूप में अरविंद केजरीवाल का एक और विश्वस्त सहयोगी जेल की सलाखों के पीछे पहुंच चुका है। सिसोदिया को आपराधिक साजिश रचने के गंभीर आरोपों में गिरफ्तार किया गया है। ऐसे मामलों में जमानत मिलना टेढ़ी खीर होता है। यानी सत्येंद्र जैन की तरह सिसोदिया को भी लंबे समय तक जेल में रहना पड़ सकता है। ऐसे में बड़ा प्रश्न यह है कि इसके बाद अरविंद केजरीवाल की रणनीति क्या होगी?  

सूत्रों की मानें तो अफसर ने सिसोदिया पर सबूत नष्ट करने का भी आरोप लगाया था। CBI ने सिसोदिया और अफसर को आमने-सामने बैठाकर पूछताछ की तो, उन्होंने कई सवालों के जवाब नहीं दिए। यही सिसोदिया की गिरफ्तारी की वजह बनी। सिसोदिया को कल कोर्ट में पेश किया जाएगा। इससे पहले उनका मेडिकल टेस्ट होगा। सिसोदिया की गिरफ्तारी के बाद CBI मुख्यालय के बाहर सुरक्षा बढ़ा दी गई है।

AAP ने कहा- सिसोदिया को सरकारी स्कूलों सुधारने की सजा मिली

AAP प्रवक्ता सौरभ भारद्वाज ने कहा- मनीष के खिलाफ कोई सबूत नहीं मिला, फिर गिरफ्तारी कैसे हुई। दोनों चार्जशीट में सिसोदिया का नाम नहीं है। अब CBI कोर्ट में कहेगी, ये बड़े प्रभावी हैं। इसलिए इन्हें जांच होने तक जेल में रखा जाए।
AAP विधायक आतिशी ने कहा- मनीष सिसोदिया ने पिछले आठ साल में दिल्ली के सरकारी स्कूलों की काया पलट कर दी। उन्हें इसी की सजा मिल रही है। भाजपा कह रही है कि ये 10 हजार करोड़ रुपए का घोटाला है। ये पैसा कहां हैं। CBI ने सिसोदिया के घर, उनके रिश्तेदारों, दोस्तों तक की तलाशी ली, लेकिन ये रुपया नहीं मिला। ये रुपए कहां हैं। सरकार ये नहीं बता पा रही है।
आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने कहा- सिसोदिया की गिरफ्तारी तानाशाही की इंतेहा है। वहीं, आम आदमी पार्टी ने ट्वीट कर लिखा- यह लोकतंत्र के लिए काला दिन।


भाजपा ने कहा- अगला नंबर केजरीवाल का
भारतीय जनता पार्टी ने कहा- सिसोदिया को तो गिरफ्तार होना ही था, अगला नंबर मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का है। भाजपा नेता कपिल मिश्रा ने ट्वीट किया- मैं शुरू से कह रहा हूं केजरीवाल, मनीष सिसोदिया और सत्येंद्र जैन जेल जाएंगे। इनमें से दो लोग जेल जा चुके, अगला नंबर केजरीवाल का है। संबित पात्रा बोले- सिसोदिया दुनिया के पहले शिक्षा मंत्री जो शराब घोटाले में अरेस्ट हुए भाजपा प्रवक्ता संबित पात्रा ने कहा- सिसोदिया पहले ऐसे शिक्षा मंत्री हैं, जो शराब घोटाले में गिरफ्तार हुए हैं। उन्होंने स्कूल के आसपास शराब दुकानें खुलवाकर बच्चों उनकी जिंदगी से खिलवाड़ किया। केवल कमीशन के लिए आम आदमी पार्टी ने स्कूल, मंदिर के पास और मोहल्लों में शराब की दुकानें खुलवाईं। एक साल से केजरीवाल या उनके किसी साथी ने आबकारी नीति पर कोई प्रेस कांफ्रेस नहीं की। इस नीति को आनन-फानन में वापस लिया गया।

अरविंद केजरीवाल बोले- मनीष बेकसूर हैं

वहीं सिसोदिया की गिरफ्तारी पर आप संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि मनीष बेकसूर हैं, उनकी गिरफ्तारी गंदी राजनीति है. मनीष की गिरफ्तारी से लोगों में बहुत रोष है. लोग सब देख रहे हैं. लोगों को सब समझ आ रहा है. लोग इसका जवाब देंगे. इस से हमारे हौसले और बढ़ेंगे, हमारा संघर्ष और मजबूत होगा.

सिसोदिया के घर पहुंचे दिल्ली और पंजाब के CM
मनीष सिसोदिया की गिरफ्तारी के बाद दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान उनके घर पहुंचे हैं। उन्होंने उनकी मां और पत्नी समेत अन्य परिजन से मुलाकात की। उन्होंने कहा- संघर्ष में पूरी पार्टी उनके परिवार के साथ है। सिसोदिया ने सुबह ट्वीट किया था कि मेरे परिवार का ध्यान रखना। इस पर केजरीवाल ने लिखा था- मनीष चिंता मत करो, हम परिवार का ध्यान रखेंगे।

मां का आशीर्वाद लेकर निकले थे सिसोदिया, 15 मिनट लेट CBI दफ्तर पहुंचे
जांच में शामिल होने के लिए सिसोदिया घर से निकलने से पहले अपनी मां से मिले और उनका आशीर्वाद लिया। इसके बाद रोड शो करते हुए CBI दफ्तर पहुंचे। सिसोदिया के साथ उनके हजारों समर्थक भी थे। सभी हेडक्वार्टर के पास धरने पर बैठ गए और केंद्र सरकार के खिलाफ नारेबाजी करने लगे थे।

पिछले रविवार (19 फरवरी) को मनीष सिसोदिया ने दावा किया था कि उनकी गिरफ्तारी हो सकती है। उन्होंने कहा कि मुझे सुबह से ही से ही आशंका थी कि भाजपा मुझे अरेस्ट करवाएगी, लेकिन मैं गिरफ्तारी से नहीं डरता हूं और न ही CBI के सवालों से भाग रहा हूं। मैं CBI के हर सवाल का जवाब दूंगा। दरअसल, सिसोदिया को CBI ने रविवार को शराब घोटाला मामले में पूछताछ के लिए बुलाया था, लेकिन वे नहीं गए। उन्होंने कहा कि दिल्ली बजट 2023-24 की तैयारी चल रही है और मैं इसी काम में बिजी हूं। इसलिए मुझे एक हफ्ते का समय दिया जाए।

डिप्टी सीएम की गिरफ्तारी के बाद एक बार फिर से शराब घोटाले की चर्चा शुरू हो गई है। सवाल उठ रहे हैं कि आखिर वह नई शराब नीति क्या थी जिसकी वजह से ये सारा बवाल शुरू हुआ? शराब घोटाला हुआ कैसे? भाजपा के आरोप क्या हैं? CBI की चार्जशीट में क्या है? आरोपों पर आप सरकार का क्या जवाब है? आइये जानते हैं…

दिल्ली की नई शराब नीति क्या थी?
17 नवंबर 2021 को दिल्ली सरकार ने राज्य में नई शराब नीति लागू की। इसके तहत राजधानी में 32 जोन बनाए गए और हर जोन में ज्यादा से ज्यादा 27 दुकानें खुलनी थीं। इस तरह से कुल मिलाकर 849 दुकानें खुलनी थीं। नई शराब नीति में दिल्ली की सभी शराब की दुकानों को प्राइवेट कर दिया गया। इसके पहले दिल्ली में शराब की 60 प्रतिशत दुकानें सरकारी और 40 प्रतिशत प्राइवेट थीं। नई पॉलिसी लागू होने के बाद 100 प्रतिशत प्राइवेट हो गईं। सरकार ने तर्क दिया था कि इससे 3,500 करोड़ रुपये का फायदा होगा।

सरकार ने लाइसेंस की फीस भी कई गुना बढ़ा दी। जिस एल-1 लाइसेंस के लिए पहले ठेकेदारों को 25 लाख देना पड़ता था, नई शराब नीति लागू होने के बाद उसके लिए ठेकेदारों को पांच करोड़ रुपये चुकाने पड़े। इसी तरह अन्य कैटेगिरी में भी लाइसेंस की फीस में काफी बढ़ोतरी हुई।
सब अच्छा तो घोटाले के आरोप क्यों लग रहे हैं?
नई शराब नीति से जनता और सरकार दोनों को नुकसान होने का आरोप है। वहीं, बड़े शराब कारोबारियों को फायदा होने की बात कही जा रही है। भारतीय जनता पार्टी का यही आरोप है। तीन तरह से घोटाले की बात सामने आ रही है। इसे समझने के लिए हम थोड़ा आंकड़ों पर नजर डाल लेते हैं।

लाइसेंस फीस में भारी इजाफा करके बड़े कारोबारियों को लाभ पहुंचाने का आरोप
शराब ब्रिकी के लिए ठेकेदारों को लाइसेंस लेना पड़ता है। इसके लिए सरकार ने लाइसेंस शुल्क तय किया है। सरकार ने कई तरह की कैटेगिरी बनाई है। इसके तहत शराब, बीयर, विदेशी शराब आदि को बेचने के लिए लाइसेंस दिया जाता है। अब उदाहरण के लिए पहले जिस लाइसेंस के लिए ठेकेदार को 25 लाख रुपये का भुगतान करना पड़ता था, नई शराब नीति लागू होने के बाद उसी के लिए पांच करोड़ रुपये देने पड़े।

आरोप है कि दिल्ली सरकार ने जानबूझकर बड़े शराब कारोबारियों को फायदा पहुंचाने के लिए लाइसेंस शुल्क बढ़ाया। इससे छोटे ठेकेदारों की दुकानें बंद हो गईं और बाजार में केवल बड़े शराब माफियाओं को लाइसेंस मिला। विपक्ष का आरोप ये भी है कि इसके एवज में आप के नेताओं और अफसरों को शराब माफियाओं ने मोटी रकम घूस के तौर पर दी।

सरकार बता रही फायदे का सौदा: सरकार का तर्क है कि लाइसेंस फीस बढ़ाने से सरकार को एकमुश्त राजस्व की कमाई हुई। इससे सरकार ने जो उत्पाद शुल्क और वैट घटाया उसकी भरपाई हो गई।