कुशाल जीना

आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी द्वारा प्रमुख विपक्षी नेता चंद्रबाबू नायडू को भ्रष्टाचार के एक मामले में जेल भिजवाने का दांव उल्टा पड़ता दिख रहा है क्योंकि प्रदेश के दो सबसे ताकतवर समुदाय कम्मा और कप्पू समुदाय नायडू के साथ जुड़ गए हैं।यही कारण है कि जहां एक ओर कप्पू समुदाय के शक्तिशाली नेता पवन कल्याण ने अपनी जन सेना पार्टी और तेलुगु देसम पार्टी के बीच चुनावी तालमेल की घोषणा कर दी है, वहीं दूसरी ओर कांग्रेस और भाजपा ने इस मसले पर चुप्पी साध ली है।

दरअसल, दोनों राष्ट्रीय दल फिलहाल यह देखना चाहते हैं कि ऊंट किस करवट बैठता है खासतौर पर भाजपा। मुख्यमंत्री रेड्डी ने यह चाल नायडू की टीडीपी को भाजपा से दूर रखने के लिए ही चली है क्योंकि उनका मानना है कि भ्रष्टाचार और परिवारवाद के आरोपों से घिरे होने के कारण भाजपा टीडीपी से दूरी बनाए रखना चाहेगी।लेकिन, जगन यह भूल जाते हैं कि भाजपा रूपी वाशिंग मशीन में सभी भ्रष्टाचारी बेदाग हो जाते हैं। चुनावी फायदे के लिए भाजपा को किसी भी भ्रष्ट्राचारी से परहेज़ नहीं है। इसके कई उदाहरण जनता के सामने मौजूद हैं। पवन कल्याण के नायडू से मिलने के बाद से आंध्र प्रदेश की राजनीतिक स्थिति में एक जबरदस्त बदलाव आया है और वह है तेलुगु अस्मिता का खुलकर सामने आना।

 इसीलिए, नायडू के जेल जाने के बाद से ही टीडीपी और जन सेना पार्टी की रैलियों में खासी भीड़ देखी जा रही है। जगन की इस कार्यवाई ने नायडू को यकायक एक संवेदनशील चुनावी मुद्दा दे दिया है वरना वे अभी तक या तो जगन सरकार के खिलाफ मतदाता की नकारात्मक सोच या फिर भाजपा से चुनावी तालमेल पर ही निर्भर थे क्योंकि खुद एक सुधारवादी नेता की छवि रखने वाले नायडू के पास जगन सरकार की उन जनकल्याण योजनाओं और नीतियों का विरोध करने की क्षमता नहीं है जिनसे गरीबों का भला हुआ है।नायडू को कारावास के पीछेजगन मोहन का प्रमुख इरादा राज्य में आगामी चुनावों में मुकाबला टीडीपी बनाम वाईएसआरसीपी करना है क्योंकि वे कांग्रेस को आंध्र प्रदेश में दौड़ में शामिल मानते ही नहीं और भाजपा से चुनावी गठबंधन की कामना रखते हैं।

तभी तो अमित शाह ने नायडू से मिलने के बावजूद अपना निर्णय अभी तक टाले रखा है।उधर, कांग्रेस अपनी हर चाल संभाल कर चल रही है। नायडू की गिरफ्तारी के बाद बने नए समीकरणों के परिपेक्ष्य में अब कांग्रेस की रुचि नायडू में ज्यादा होगी क्योंकि उनके पास अब कम्मा के साथ साथ कप्पू समुदाय भी हैं जो दलित, मुस्लिम और उच्च जाति के साथ मिला एक मजबूत गठजोड़ हो सकता है। इस लिहाज से आने वाला समय आंध्र प्रदेश की राजनीति में उलटफेर कर सकता है क्योंकि भाजपा दक्षिण में पैर रखने को आतुर है लेकिन कांग्रेस और ज्यादातर स्थानीय दल भाजपा को दक्षिण में मौका देने पक्ष में नहीं दिखते हैं।इसका सीधा कारण है कि दक्षिण भारत की जनसंख्या का बहुमत दलित है जो भाजपा की उच्च जाति की उत्तर भारतीय राजनीति से कतई मेल नहीं खाता। तभी तो भाजपा का बरसों का साथी रहा अन्नाद्रमुक भी दामन छुड़ा कर भाग गया।मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी ने टीडीपी प्रमुख चंद्रबाबू नायडू को 371 करोड़ रूपए की एक स्किल डेवलपमेंट योजना में घोटाले के आरोप में गिरफ्तार करवाया है जो 2014 से 2019 तक के उनके मुखमंत्रित्व काल के दौरान हुआ बताया जाता है।

इस बीच हाल ही में तेलंगाना में हुई राहुल गांधी और प्रियंका गांधी की विशाल रैलियों और कालांतर में आई चुनाव पूर्ण टीवी सर्वेक्षणों में दर्शाई गई कांग्रेस की तेलंगाना सहित लगभग सभी पांच राज्यों में होने वाली जीत तेलेंगाना के साथ ही आंध्र प्रदेश में भी पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं में नया जोश भर दिया है और वे वहां भी ऐसी ही किसी स्थिति की संभावना की प्रतीक्षा में हैं।रही बात कांग्रेस और कई अन्य विपक्षी दलों द्वारा चुनावी राज्यों में घोषित मुफ्त दी जाने वाली योजनाओं की, तो अरविंद केजरीवाल की राजनीति को जनता की दो बार दिल्ली और एक बार पंजाब में मुहर लग जाने के बाद बकौल प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ये मुफ्त की सौगातें भारत की राजनीति खासकर चुनावी राजनीति का अभिन्न अंग बन गया है जिसे मोदी भले ही न स्वीकार करें पर मध्य प्रदेश में शिवराज सिंह चौहान ने सौगातों की ऐसी झड़ी लगा दी है कि केजरीवाल और राहुल भी पानी भरने लगे हैं।यह लालच भारतीय मतदाता और जनमानस में एक लंबे समय तक बरकरार रहने वाला है इसका साफ संकेत भाजपा, कांग्रेस से लेकर छोटी बड़ी सभी पार्टियां दे रही हैं जो यह जानती है कि यह मुफ्तखोरी वित्तीय प्रबंधन की शासकीय पद्धति से कहीं मेल नहीं खाता बल्कि सरकारों के वित्तीय घाटे को बढ़ाएगा।