
स्टाफ रिपोर्टर / नई दिल्ली
कांग्रेस ने रविवार को नरेंद्र मोदी सरकार के खिलाफ एक व्यापक राजनीतिक अभियान छेड़ते हुए रामलीला मैदान में “वोट चोर, गद्दी छोड़” मेगा रैली का आयोजन किया। तिरंगे झंडों, पोस्टरों और गगनभेदी नारों से सजा यह मैदान हजारों कांग्रेस समर्थकों से खचाखच भरा रहा। रैली के जरिए पार्टी ने केंद्र सरकार पर देश की चुनावी प्रक्रिया की निष्पक्षता को कमजोर करने का गंभीर आरोप लगाया।
इस विशाल जनसभा का नेतृत्व कांग्रेस के शीर्ष नेताओं ने किया, जिनमें पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी, प्रियंका गांधी वाड्रा, सोनिया गांधी, के.सी. वेणुगोपाल, जयराम रमेश, सचिन पायलट सहित कई वरिष्ठ नेता मौजूद थे। मंच से नेताओं ने “वोट चोरी” के आरोप लगाते हुए संवैधानिक संस्थाओं से जवाबदेही तय करने की मांग की।
कांग्रेस नेताओं का आरोप था कि सत्तारूढ़ भाजपा लोकतांत्रिक मानदंडों को लगातार कमजोर कर रही है और जनादेश के बजाय संस्थाओं और नियमों को दरकिनार कर सत्ता में बने रहने की कोशिश कर रही है। वक्ताओं ने कहा कि यह सिर्फ एक राजनीतिक विरोध नहीं, बल्कि लोकतंत्र को बचाने की लड़ाई है।
रैली में यह भी आरोप लगाया गया कि चुनावी पारदर्शिता को लेकर विपक्ष द्वारा बार-बार उठाए गए सवालों को नजरअंदाज किया गया है, जिससे जनता के बीच अविश्वास बढ़ा है और चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर गंभीर सवाल खड़े हुए हैं।
लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने इस अवसर पर चुनाव आयोग (ईसीआई) और भाजपा-नीत केंद्र सरकार पर तीखा हमला बोला। उन्होंने बड़े पैमाने पर चुनावी हेरफेर, संस्थागत पक्षपात और संविधान को कमजोर करने के प्रयासों का आरोप लगाया।
राहुल गांधी ने अपने संबोधन में मौजूदा राजनीतिक स्थिति को “सत्य और असत्य के बीच की लड़ाई” करार दिया। उन्होंने धार्मिक और दार्शनिक संदर्भों का उल्लेख करते हुए कहा कि भारत की सभ्यतागत परंपरा — चाहे वह हिंदू धर्म हो या अन्य कोई आस्था — सत्य को सर्वोपरि मानती है, लेकिन आज सत्ता को सत्य से ऊपर रखा जा रहा है।
उन्होंने कहा, “आज भारत में लड़ाई सत्य और असत्य के बीच है। इस देश की विचारधारा, हिंदू धर्म और दुनिया के हर धर्म की विचारधारा कहती है कि सत्य सर्वोपरि है। लेकिन आज सत्ता को सत्य से ज्यादा महत्वपूर्ण बना दिया गया है।”
राहुल गांधी ने सीधे तौर पर चुनाव आयोग को निशाने पर लेते हुए आरोप लगाया कि यह संवैधानिक संस्था भाजपा सरकार के साथ मिलकर काम कर रही है। उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग अपनी स्वतंत्र भूमिका छोड़कर सत्तारूढ़ दल के हित में फैसले कर रहा है।
उन्होंने चुनाव आयुक्तों को चेतावनी देते हुए कहा, “आप भारत के चुनाव आयुक्त हैं, नरेंद्र मोदी के चुनाव आयुक्त नहीं।” गांधी ने जोर देकर कहा कि संवैधानिक संस्थाओं की निष्पक्षता ही लोकतंत्र की सबसे बड़ी ताकत है और यदि यही कमजोर हो गई तो देश का लोकतांत्रिक ढांचा खतरे में पड़ जाएगा।
रैली के अंत में कांग्रेस नेताओं ने जनता से लोकतंत्र की रक्षा के लिए एकजुट होने और संविधान व चुनावी प्रणाली को बचाने की अपील की।
