शकील अख़्तर

सोनिया गांधी, मल्लिकार्जुन खड़गे बुधवार को कांग्रेस पार्टी के नए मुख्यालय का उद्घाटन किया जिसका नाम ‘इंदिरा गांधी भवन’ रखा गया है और इसका पता 9A, कोटला रोड, नई दिल्ली है

करीब 46 साल बाद पार्टी ने अपना पता बदला है। इससे पहले पुराना ऑफिस 24, अकबर रोड था। नए ऑफिस की आधारशिला 2009 में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और सोनिया गांधी ने रखी थी।

यह भाजपा मुख्यालय से 500 मीटर दूर है। इसे बनने में 252 करोड़ रुपए लगे। भाजपा दफ्तर डेढ़ साल में बना था। कांग्रेस नेता कमलनाथ ने 2019 में कहा था- भाजपा मुख्यालय 700 करोड़ में बना है।

कांग्रेसियों में ज्यादा खुशी इस बात की है कि सोनिया गांधी खुद भवन का उद्घाटन किया , इन्होंने ही 28 दिसंबर कांग्रेस की स्थापना दिवस 2009 को इसका शिलान्यास किया था। दुख है तो इस बात का कि उस समय उद्घाटन में शामिल तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह आज नहीं थे।

और राहत है तो इस बात की कि नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी अवसर के अनुकूल फार्मल ड्रेस में आए।

कांग्रेस के नए दफ्तर के उद्घाटन मौके पर सोनिया गांधी, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, रायबरेली सांसद राहुल गांधी, वायनाड से सांसद प्रियंका गांधी, CWC के सदस्य, पूर्व मुख्यमंत्री, केंद्रीय मंत्री और सांसदों समेत कई बड़े नेता इस मौके पर मौजूद थे। ‘इंदिरा भवन’ के साथ-साथ इसे ‘सरदार मनमोहन सिंह भवन’ भी कहा जा रहा है, जिसके पोस्टर भी वहां देखे गए। उद्घाटन मौके पर कांग्रेस के कुल 400 बड़े नेता मौजूद थे।

फिलहाल कांग्रेस वहां पूरी तरह शिफ्ट नहीं होगी। इस तरह के बहुमंजिले भवन कांग्रेस के ज्यादा खुले मिजाज के अनुकूल नहीं बैठते हैं।

करीब 45 साल पहले कांग्रेस ने संसद भवन के ठीक सामने ही बहुमंजिला जवाहर भवन बनाया था। राजीव गांधी जब वहां निरीक्षण करने पहुंचे तो उन्होंने कहा की कांग्रेस का कार्यकर्ता यहां शीशे के बंद कमरों में किससे मिल पाएगा?

शिफ्टिंग का इरादा टाल दिया गया था।

कांग्रेस का वह अपना दूसरा भवन था। अभी जिसका उद्घाटन सोनिया जी करने वाली है इन्दिरा भवन वह कांग्रेस का अपना तीसरा भवन है।

पहले भवन और जो कांग्रेस का राष्ट्रीय मुख्यालय भी था आनंद भवन वह इलाहाबाद में था। पंडित मोतीलाल नेहरू ने इसे सवा सौ पहले 1899 में खरीदा था। जिसे बाद में कांग्रेस के मुख्यालय के लिए दे दिया। आजादी का आंदोलन के कई महत्वपूर्ण फैसले यहां लिए गए हैं। भारत छोड़ो आंदोलन की रूपरेखा यही बनी थी। और अंग्रेजों ने फिर इसे 1942 में जप्त भी कर लिया था। 1948 में कांग्रेस का मुख्यालय इलाहाबाद से दिल्ली आया।

मोतीलाल नेहरू द्वारा अपना घर कांग्रेस के लिए दे दिए जाने के बाद ही देश भर में कांग्रेस के जिला मुख्यालय के लिए लोगों ने अपने घर देने की पेशकश की और अधिकांश जिला कांग्रेस कार्यालय कांग्रेस के नेताओं के दिए हुए घरों में ही खुले।

आजादी का आंदोलन और उसके लिए कांग्रेस का नेतृत्व आज कम करके दिखाए जाने की कोशिश हो रही है। मगर इतिहास के वे सुनहरे पृष्ठ कैसे मिटाए जा सकते हैं?

जवाहरलाल नेहरू ने लिखा है की पिता मोतीलाल नेहरू ने अपनी वकालत की मेहनत और बौद्धिक कौशल की कमाई से आनंद भवन खरीदा था। ‌जो पहले कांग्रेस को और फिर देश को दे दिया गया।

यह जो परिवारवाद का बार-बार जिक्र करते हैं वह यही है।

सवा सौ साल पहले एक राजा से 19 बीघा का बंगला खरीदा और उसे फिर आजादी का आंदोलन चलाने के लिए दे दिया। ऐसा कोई और उदाहरण कहीं नहीं मिलता है।

मोतीलाल नेहरू से लेकर आज तक एक सिलसिला है देश की सेवा करने और त्याग का। परिवारवाद!

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा है कि नए मुख्यालय इंदिरा गांधी भवन में एक लाइब्रेरी भी होगी जिसका नाम मनमोहन सिंह जी के नाम पर रखा जाएगा।

बहुत अच्छी बात है। पता नहीं उन्हें मालूम है या नहीं 24 अकबर रोड में एक लाइब्रेरी हुआ करती थी। अभी जहां कंट्रोल रूम है उस जगह। बहुत रेफरेंस था। अच्छी किताबें थीं।

‌वह पता नहीं क्यों खत्म कर दी। कांग्रेस बीजेपी से भिन्न इसीलिए थी कि कांग्रेस में पढ़ने लिखने का कल्चर था।

नए मुख्यालय इंदिरा गांधी भवन में मनमोहन सिंह जी के नाम से लाइब्रेरी अगर फिर से पढ़ने लिखने की संस्कृति विकसित कर सके तो बहुत अच्छी बात होगी।

कांग्रेस ने पिछले कुछ सालों में किताबें भी बहुत प्रकाशित की मगर उनमें से ज्यादातर कांग्रेस विरोधी विचारों के लोगों द्वारा संपादित की गईं। दक्षिणपंथी लेखक और पत्रकारों को इन किताबों के बहाने कांग्रेस ने बहुत पैसा दिया।

खड़गे जी ध्यान रखें कि वह सब यहां नए भवन में न आ जाए।

नेहरू जी अपने नेताओं को बताते थे की क्या पढ़ना चाहिए। लास्की ( हेराल्ड जे लास्की) की किताब ए ग्रामर आफ पालिटिक्स पढ़ने को प्रेरित करते थे।

बौद्धिक समृद्धता के लिए राजनीतिक क्लासें लगवाते थे। पार्टी विचारधारात्मक रूप से मजबूत थी इसीलिए जमीन पर मजबूत बनी रही।