इंद्र वशिष्ठ
सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के जवानों के पेंशन खाते से 70 लाख रुपए निकाल लेने का मामला सामने आया है.दिल्ली पुलिस की साइबर क्राइम यूनिट/ आईएफएसओ ने इस मामले में बीएसएफ के ही एक बर्खास्त सिपाही को गिरफ्तार किया है.आईएफएसओ के डीसीपी प्रशांत गौतम ने बताया कि कि न्यू पेंशन स्कीम विभाग से शिकायत मिली थी कि बीएसएफ के 65 जवानों के न्यू पेंशन स्कीम के परमानेंट रिटायरमेंट एकाउंट नबंर/ खातों से 70 लाख रुपए जालसाज़ी से निकाल लिए गए.
पुलिस ने इस मामले में प्रयागराज में रह रहे घनश्याम यादव (मूल निवासी गाजीपुर) को गिरफ्तार किया है.आरोपी घनश्याम ने रकम निकालने की ऑनलाइन सुविधा के सिस्टम को भेद कर पहुंच बना ली. उसने 89 बार (ट्रांजेक्शन) में बीएसएफ के 65 कर्मियों के खातों से 70 लाख रुपए निकाल लिए.
एसीपी जयप्रकाश की देखरेख में इंस्पेक्टर राजीव मलिक, सब इंस्पेक्टर अजीत सिंह यादव, सब इंस्पेक्टर संदीप सिंह, सुरेन्द्र कुमार, एएसआई केपी शिबू, हवलदार सुनील, अभय सिंह, सिपाही राज पाल सिंह और दिनेश कुमार की टीम ने आरोपी को गिरफ्तार किया.यूपी पुलिस का फर्जी सिपाही बना-आरोपी घनश्याम प्रयागराज में श्याम सिंह के नाम से अपनी महिला मित्र के साथ रह रहा था.घनश्याम ने वहां पर खुद को उत्तर प्रदेश पुलिस का सिपाही बताया हुआ था. उसने कार पर उत्तर प्रदेश पुलिस का स्टीकर लगाया हुआ था. उसके पास से उत्तर प्रदेश पुलिस की वर्दी भी बरामद हुई है. उसके पास से कॉलेज प्रिंसिपल और प्रयागराज के सीएमओ के नाम की नकली मुहर भी मिली है. इसका इस्तेमाल उसने आधार कार्ड में अपना नाम बदलने के लिए किया था.
पुलिस के अनुसार कोरोना काल के दौरान आफलाइन आने वाली कठिनाई के कारण जवानों की सुविधा के लिए पेंशन खाते से ऑनलाइन लाइन 25 फीसदी अंशदान यानी आंशिक निकासी के लिए ओटीपी आधारित सुविधा शुरू की गई थी. रकम असली खाताधारक ही निकाले, यह सुनिश्चित करने और सत्यापन के लिए उसके ईमल और मोबाइल पर ओटीपी भेज कर दोहरा प्रमाणीकरण किया जाता था.सिस्टम में सेंध-आरोपी घनश्याम साल 2019 में मालदा , पश्चिम बंगाल में बीएसएफ की 122 वीं बटालियन में तैनात था, तब बिना अनुमति गैरहाजिर रहने के कारण उसे नौकरी से बर्खास्त कर दिया गया. इस दौरान ही आरोपी ने लेखा शाखा के डीडीओ का लॉगिन क्रेडेंशियल हासिल कर लिया. इसके माध्यम से उसकी एनपीसी पोर्टल तक अनधिकृत पहुंच हो गई. आरोपी घनश्याम ने संबंधित बटालियन के कर्मियों के डेटा बेस तक अनधिकृत पहुंच बनाई. घनश्याम ने उन जवानों को निशाना बनाया जिनके पेंशन खाते में ईमेल आईडी और मोबाइल नंबर नही जुड़े हुए थे अन्यथा उन्हें अलर्ट मिल जाता. घनश्याम ने उन खातों में अपना ईमेल आईडी, मोबाइल नंबर और बैंक खाता नंबर लिख दिया. इससे उन खातों से रकम निकालने से पहले सत्यापन के लिए ओटीपी घनश्याम के पास आए. इस तरह उसने जवानों के खाते से रकम निकाल ली. उसने यह रकम उसने जिन खातों में भेजी उसमें एक उसके ससुर का था. इस पैसे से उसने अपनी प्रेमिका के नाम से बलेनो कार भी खरीदी. प्रयागराज में फ्लैट खरीदने के लिए भी इस रकम का इस्तेमाल किया.आरोपी घनश्याम साल 2010 में बीएसएफ में सिपाही भर्ती हुआ. घनश्याम ने अपनी पटक पत्नी और तीन बच्चों से संबंध तोड़ रखे हैं.
आरोपी घनश्याम की दिल्ली के छावला थाना पुलिस को भी एक अन्य मामले में तलाश थी. घनश्याम ने बीएसएफ में नौकरी लगवाने के नाम पर लोगों से रकम ठगी थी, उसने जाली नियुक्ति पत्र भी लोगों को दे दिया था. इस मामले में उसके दो साथी पहले गिरफ्तार किए जा चुके हैं.