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भारतीय जनता पार्टी ने आज पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ को उपराष्ट्रपति पद के लिए एनडीए का उम्मीदवार घोषित किया है। नई दिल्ली में भाजपा संसदीय बोर्ड की बैठक के दौरान यह निर्णय लिया गया। बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, पार्टी अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा, गृह मंत्री अमित शाह, रक्षामंत्री राजनाथ सिंह और अन्य वरिष्ठ नेता उपस्थित थे।
धनखड़ के नाम का ऐलान भी अचानक नहीं हुआ है। असल में इसके पीछे किसान आंदोलन के दौरान पश्चिमी उत्तर प्रदेश समेत विभिन्न राज्यों में जाटों की नाराजगी की एक बड़ी भूमिका है। माना जा रहा है कि जाट समुदाय और किसानों को मनाने के लिए भाजपा ने धनखड़ को उपराष्ट्रपति चुनाव में उम्मीदवार बनाया है। इसके अलावा इस कदम को भाजपा द्वारा सत्यपाल मलिक से दिए जा रहे नुकसान की भरपाई के तौर पर भी देखा जा रहा है। असल में मेघालय के राज्यपाल जाट नेता सत्यपाल मलिक लगातार केंद्र सरकार पर हमलावर हैं। उनकी बातों से जाट समुदाय की भी सरकार से दूरी बन रही थी। ऐसे में धनखड़ को आगे करके केंद्र की तरफ से जाट समुदाय को बड़ा संदेश देने की कोशिश की गई है।
जगदीप धनखड़ के नाम का फायदा भाजपा हरियाणा, राजस्थान के साथ-साथ अगले लोकसभा चुनाव में भी उठाने की तैयारी में है। भाजपा अध्यक्ष ने ऐलान के दौरान और पीएम मोदी ने अपने ट्वीट में किसान पुत्र के तौर पर संबोधित किया। इससे साफ संकेत मिलते हैं कि अगले चुनावों में वह किसानों पर भी फोकस किए हुए है। गौरतलब है कि जगदीप धनखड़ मूल रूप से राजस्थान के झुंझुनूं के रहने वाले हैं। यहां पर 2023 में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। वहीं 2024 में हरियाणा के चुनाव और लोकसभा चुनाव भी हैं। भाजपा को उम्मीद है कि आदिवासियों को बाद किसानों का चुनावों में समर्थन मिलेगा।
कुछ दिन पहले ही भाजपा ने राष्ट्र्रपति उम्मीदवार के रूप में द्रौपदी मुर्मू के नाम का ऐलान किया था। आदिवासी महिला का नाम आगे करके भाजपा ने कई राज्यों में आदिवासी समुदाय को साधा था। विशेषज्ञों के मुताबिक इस कदम से भाजपा ने छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश समेत विभिन्न राज्यों में मौजूद आदिवासी वोटरों को अपने पक्ष में करने की दिशा में पहल की है। बता दें कि मुर्मू के नाम के ऐलान के साथ ही कई राज्यों में भाजपा को चिर-परिचित प्रतिद्वंद्वियों से भी समर्थन मिल गया। यहां तक कि विपक्ष का उम्मीदवार चुनने में अहम भूमिका निभाने वाली ममता बनर्जी को भी कहना पड़ा था कि अगर भाजपा ने पहले बताया होता तो वह भी मुर्मू का ही समर्थन करतीं। इस बात से अंदाजा लगाया जा सकता है कि भाजपा ने द्रौपदी मुर्मू के रूप में कितना बड़ा दांव खेला है।