अलीगढ़, 10 अगस्त 2025 — अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) में फीस वृद्धि को लेकर छात्रों का विरोध लगातार दूसरे सप्ताह में प्रवेश कर गया है। अब यह आंदोलन और तेज हो गया है क्योंकि जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) सहित अन्य संस्थानों के छात्र भी समर्थन में सामने आए हैं।

यह विवाद तब शुरू हुआ जब छात्रों को पता चला कि विभिन्न पाठ्यक्रमों की फीस में 36–42% तक की वृद्धि की गई है, जिसकी जानकारी उन्हें पंजीकरण पोर्टल खुलने पर मिली। छात्रों का आरोप है कि यह वृद्धि बिना किसी पूर्व सूचना या परामर्श के लागू की गई है, जिससे आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के छात्रों में नाराज़गी फैल गई है।

एएमयू प्रशासन ने इस वृद्धि को “न्यूनतम और आवश्यक” बताया है, जो ₹500 से ₹1500 के बीच है। प्रोवोस्ट वसीम अली ने कहा कि यह वृद्धि विश्वविद्यालय की आधारभूत संरचना को बेहतर बनाने के लिए की गई है और ₹40,000 की वृद्धि की अफवाहों को खारिज किया।

हालांकि, छात्रों का कहना है कि यह वृद्धि अनुचित और असहनीय है। एक प्रदर्शनकारी छात्रा सबिया ने कहा, “यह जानते हुए कि यहां के अधिकांश छात्र गरीब परिवारों से आते हैं, इतनी बड़ी फीस वृद्धि कैसे उचित हो सकती है?”

विरोध तब और बढ़ गया जब छात्राओं ने प्रॉक्टोरियल टीम और पुलिस द्वारा उत्पीड़न का आरोप लगाया। रक्षाबंधन के अवसर पर छात्राओं ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और अन्य अधिकारियों को राखी भेजी, ताकि वे उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करें। साथ ही उन्होंने प्रॉक्टोरियल टीम को काली डोरी दिखाकर अविश्वास जताया।

छात्रों की मुख्य मांगें हैं:

  • फीस वृद्धि को तुरंत वापस लिया जाए
  • निलंबित और हिरासत में लिए गए छात्रों को बहाल किया जाए
  • प्रॉक्टोरियल टीम इस्तीफा दे
  • प्रदर्शनकारियों पर दर्ज एफआईआर रद्द की जाए

राजनीतिक समर्थन भी मिल रहा है। एआईएमआईएम अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने छात्रों का समर्थन करते हुए कहा कि गरीब छात्रों के लिए यह वृद्धि असहनीय है।

इस बीच, जेएनयू छात्र संघ (JNUSU) ने भी आंदोलन को समर्थन दिया है। उन्होंने एएमयू में छात्र संघ की बहाली की मांग की और नई शिक्षा नीति (NEP) की आलोचना करते हुए इसे शिक्षा के निजीकरण और बहिष्करण की दिशा में कदम बताया।

जैसे-जैसे आंदोलन तेज हो रहा है, एएमयू प्रशासन पर दबाव बढ़ता जा रहा है। अब देखना यह है कि विश्वविद्यालय प्रशासन छात्रों की मांगों को मानता है या नहीं।

अगर आप चाहें तो मैं इसे पोस्टर, प्रेस विज्ञप्ति या सोशल मीडिया पोस्ट के रूप में भी तैयार कर सकता हूँ।

पुलिस हस्तक्षेप और हिंसा के आरोप

लगातार छह दिनों से चल रहे विरोध प्रदर्शनों के बीच शुक्रवार को तनाव उस समय बढ़ गया जब उत्तर प्रदेश पुलिस परिसर में प्रवेश कर गई। छात्रों का आरोप है कि जुमे की नमाज़ के दौरान पुलिस ने छात्रों और नमाज़ियों को घसीटा, आंसू गैस का इस्तेमाल किया और प्रदर्शनकारियों पर लाठीचार्ज किया। एक महिला छात्रा ने आरोप लगाया कि पुलिसकर्मी ने उनके साथ अभद्रता की।
इस घटना के विरोध में विश्वविद्यालय के डॉक्टर्स रेज़िडेंस एसोसिएशन ने “व्हाइट कोट मार्च” निकाला, जबकि जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) और दिल्ली विश्वविद्यालय के छात्र संगठनों ने भी एएमयू छात्रों के आंदोलन के प्रति एकजुटता जताई।


आंकड़ों पर टकराव

शुल्क वृद्धि को लेकर विश्वविद्यालय प्रशासन और छात्रों के दावों में बड़ा अंतर सामने आया है। एएमयू अधिकारियों का कहना है कि यह वृद्धि “मध्यम” है और केवल 15–20 प्रतिशत तक है, जबकि छात्रों का कहना है कि वास्तविक वृद्धि 36 प्रतिशत से लेकर कुछ पाठ्यक्रमों में 61 प्रतिशत तक है। इस विरोधाभास ने छात्रों के गुस्से और पारदर्शिता की मांग को और तेज़ कर दिया है।


छात्रों की मुख्य मांगें

विरोध कर रहे छात्रों ने अब सिर्फ शुल्क वापसी ही नहीं, बल्कि कई और मांगें भी उठाई हैं:

  • शुल्क वृद्धि को तुरंत वापस लिया जाए।
  • प्रोक्तोरियल टीम इस्तीफा दे, जिस पर छात्रों की सुरक्षा में लापरवाही के आरोप हैं।
  • हिरासत में लिए गए छात्रों को रिहा किया जाए और पुलिस की कथित हिंसा की जांच हो।

प्रशासन का रुख

एएमयू प्रशासन का कहना है कि शुल्क वृद्धि rising खर्च और छात्रों को दी जाने वाली सुविधाओं व बुनियादी ढांचे में सुधार के लिए ज़रूरी है। लेकिन परिसर का माहौल तनावपूर्ण है और विरोध प्रदर्शन धीमा पड़ने के कोई संकेत नहीं दिखा रहे।


जो विवाद अचानक शुल्क वृद्धि से शुरू हुआ था, अब एएमयू में छात्र अधिकारों, सुरक्षा और प्रशासनिक जवाबदेही की बड़ी लड़ाई का रूप ले चुका है। राजनीतिक समर्थन, अन्य विश्वविद्यालयों की एकजुटता और लगातार बढ़ती छात्र भागीदारी से आने वाले कुछ दिन तय करेंगे कि प्रशासन बातचीत का रास्ता अपनाता है या टकराव और गहरा होता है।