
AMN / NEW DELHI
‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद देश के भीतर उभरे राजनीतिक तापमान के बीच 16 विपक्षी दलों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर संसद का विशेष सत्र बुलाने की मांग की है। विपक्ष का आरोप है कि सरकार अंतरराष्ट्रीय मंचों पर तो बयान दे रही है, लेकिन संसद को अंधेरे में रखा गया है।
दिल्ली के संविधान क्लब में मंगलवार को आईएनडीआईए गठबंधन की अहम बैठक हुई, जिसमें कांग्रेस, टीएमसी, समाजवादी पार्टी, शिवसेना (उद्धव गुट), आरजेडी और डीएमके समेत प्रमुख विपक्षी दलों के नेता शामिल हुए। बैठक के बाद प्रस्तावित प्रेस कॉन्फ्रेंस में साझा रणनीति पेश की गई।
“दुनिया को बता रहे, संसद को नहीं” — विपक्ष का आरोप
टीएमसी सांसद डेरेक ओ’ब्रायन ने प्रेस को संबोधित करते हुए कहा, “16 राजनीतिक दलों ने प्रधानमंत्री को पत्र भेजा है। सरकार की जवाबदेही संसद के प्रति है, न कि केवल विदेशी मंचों पर।” विपक्ष का कहना है कि सरकार को आतंकवाद, भारत-पाक संबंध और हालिया आतंकी घटनाओं पर संसद के भीतर चर्चा करनी चाहिए।
“सेना का सम्मान, पर रणनीति पर भी हो चर्चा”
कांग्रेस सांसद दीपेंद्र हुड्डा ने कहा कि अमेरिका द्वारा सीज़फायर की घोषणा के बाद यह जरूरी हो गया है कि संसद में विशेष सत्र बुलाया जाए। “हम सेना को धन्यवाद देना चाहते हैं, लेकिन साथ ही यह भी ज़रूरी है कि आगे की नीति और रणनीति पर खुलकर चर्चा हो,” उन्होंने कहा।
“ट्रंप के लिए युद्धविराम, विपक्ष के लिए सत्र नहीं?”
शिवसेना (उद्धव गुट) के संजय राउत ने कटाक्ष करते हुए कहा, “अगर ट्रंप के बयान पर युद्धविराम हो सकता है तो क्या विपक्ष को विशेष सत्र बुलाने के लिए भी ट्रंप से कहना होगा? क्या लोकतंत्र में संसद से बड़ा कोई मंच है?”
“1962 में सत्र बुला सकते हैं, आज क्यों नहीं?”
राजद नेता मनोज झा ने कहा, “पहलगाम हमला केवल एक राज्य की नहीं, पूरे देश की पीड़ा थी। 1962 के युद्ध के समय भी संसद का विशेष सत्र बुलाया गया था। आज भी वही ज़रूरत है, क्योंकि देश की भावना आहत हुई है।”
कूटनीति पर भी उठे सवाल
समाजवादी पार्टी के रामगोपाल यादव ने कहा, “सरकार दुनिया को जानकारी दे रही है, लेकिन संसद में चुप्पी साधी हुई है। ट्रंप ने मध्यस्थता की बात कह दी और हमारी सरकार प्रतिक्रिया नहीं दे रही। यह सीधे-सीधे कूटनीतिक विफलता है।”
इन दलों ने पत्र पर किए हस्ताक्षर
विशेष सत्र की मांग करने वाले दलों में शामिल हैं:
कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, टीएमसी, डीएमके, शिवसेना (उद्धव गुट), आरजेडी, नेशनल कॉन्फ्रेंस, सीपीआई, सीपीआई(एम), सीपीआई(एम-एल) लिबरेशन, आईयूएमएल, आरएसपी, जेएमएम, वीसीके, केरल कांग्रेस और एमडीएमके।