
नई दिल्ली
145 सांसदों ने हाईकोर्ट के न्यायाधीश यशवंत वर्मा को पद से हटाने की मांग करते हुए लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को सोमवार को एक ज्ञापन सौंपा। यह कदम उस विवाद के बाद उठाया गया जिसमें उनके सरकारी आवास से जले और अधजले ₹500 के नोट मिलने का आरोप है।
यह महाभियोग प्रस्ताव भारतीय संविधान के अनुच्छेद 124, 217 और 218 के तहत लाया गया है और इसमें कांग्रेस, टीडीपी, जेडीयू, जेडीएस, जन सेना पार्टी, एजीपी, शिवसेना (शिंदे गुट), एलजेपी, एसकेपी, माकपा सहित कई दलों के सांसदों ने हस्ताक्षर किए हैं।
प्रमुख नेताओं में राहुल गांधी, अनुराग ठाकुर, रविशंकर प्रसाद, राजीव प्रताप रूड़ी, पी.पी. चौधरी, सुप्रिया सुले और के.सी. वेणुगोपाल शामिल हैं।
कांग्रेस सांसद के. सुरेश ने पुष्टि की कि पार्टी इस महाभियोग प्रयास का पूरा समर्थन कर रही है और उन्होंने बताया कि कांग्रेस की ओर से पहले ही 40 हस्ताक्षर दिए जा चुके हैं। “आईएनडीआईए गठबंधन के अन्य दल भी समर्थन दे रहे हैं और प्रस्ताव पर हस्ताक्षर कर रहे हैं,” उन्होंने संसद के मानसून सत्र से पहले बुलाई गई सर्वदलीय बैठक के बाद बताया।
यह कदम 15 मार्च को दिल्ली स्थित न्यायमूर्ति वर्मा के सरकारी आवास से जले हुए नोट मिलने के बाद उठाया गया। तत्पश्चात तत्कालीन भारत के मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना द्वारा गठित तीन जजों की समिति ने न्यायमूर्ति वर्मा को प्रथम दृष्टया दोषी पाया और राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू व प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को रिपोर्ट भेजते हुए उनकी बर्खास्तगी की सिफारिश की। वर्मा के इस्तीफा न देने के बाद यह सिफारिश की गई।
रविवार को संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने पुष्टि की थी कि 100 से अधिक सांसद इस प्रस्ताव पर हस्ताक्षर कर चुके हैं। न्यायमूर्ति वर्मा ने समिति की रिपोर्ट को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है।
