
ज़ाकिर हुसैन / ढाका
बांग्लादेश के सिराजगंज जिले में नोबेल साहित्य पुरस्कार विजेता रवींद्रनाथ टैगोर के पुश्तैनी घर ‘रवींद्र कचहरीबाड़ी’ में हुई तोड़फोड़ की घटना ने बांग्लादेश और भारत दोनों में आक्रोश फैला दिया है। यह घटना पार्किंग शुल्क को लेकर हुए विवाद के बाद हुई, जिसके बाद भीड़ ने ऐतिहासिक स्थल पर हमला कर दिया।
इस घटना के बाद, बांग्लादेश पुरातत्व विभाग ने पर्यटकों की आवाजाही पर अस्थायी रोक लगा दी है और मामले की जांच के लिए तीन सदस्यीय कमेटी गठित की गई है।
पार्किंग विवाद बना हिंसा की वजह
8 जून को एक पर्यटक अपने परिवार के साथ रवींद्र कचहरीबाड़ी—जिसे अब रवींद्र स्मृति संग्रहालय के रूप में जाना जाता है—पहुंचा। प्रवेश द्वार पर बाइक पार्किंग शुल्क को लेकर उसका संग्रहालय स्टाफ से विवाद हो गया। स्थानीय मीडिया के अनुसार, मामला तब बिगड़ गया जब कथित तौर पर उस पर्यटक को एक कमरे में बंद कर दिया गया और उसके साथ मारपीट की गई।
विरोध प्रदर्शन से भड़की भीड़
इस घटना के विरोध में 11 जून को स्थानीय लोगों ने एक ह्यूमन चेन बनाकर प्रदर्शन किया। हालांकि यह विरोध जल्द ही उग्र रूप ले बैठा, जब गुस्साई भीड़ ने कचहरीबाड़ी में घुसकर सभागार में तोड़फोड़ की और संस्था के एक निदेशक पर हमला कर दिया। कुछ रिपोर्ट्स के मुताबिक, हमलावरों ने टैगोर विरोधी नारे लगाए और खिड़कियां तथा फर्नीचर भी तोड़ डाले।
जांच समिति गठित
घटना के बाद बांग्लादेश के पुरातत्व विभाग ने तीन सदस्यों वाली जांच समिति गठित की है, जिसे पांच कार्यदिवस के भीतर रिपोर्ट सौंपने को कहा गया है।
कचहरीबाड़ी के प्रभारी मो. हबीबुर रहमान ने पत्रकारों को बताया, “अवांछित परिस्थितियों के कारण पर्यटकों की एंट्री फिलहाल स्थगित कर दी गई है। पूरे परिसर पर निगरानी रखी जा रही है।”
ऐतिहासिक विरासत पर हमला
राजशाही डिवीजन के शाहजादपुर में स्थित रवींद्र कचहरीबाड़ी, 19वीं और 20वीं सदी की शुरुआत में टैगोर परिवार की रिहायश और राजस्व कार्यालय हुआ करती थी। रवींद्रनाथ टैगोर ने इस स्थान पर काफी समय बिताया और कई प्रसिद्ध कृतियों की रचना यहीं की। यह स्थल अब एक सांस्कृतिक संग्रहालय और धरोहर केंद्र के रूप में संरक्षित है।
भारत में भी आलोचना
इस हमले की भारत में भी आलोचना हुई है। भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने इस कृत्य को बंगाली संस्कृति और धरोहर पर हमला बताया। भाजपा के आईटी सेल प्रमुख अमित मालवीय ने X (पूर्व में ट्विटर) पर लिखा:
“टैगोर दुनिया के हैं, लेकिन हर बंगाली की शान भी हैं। सीमा पार उनकी विरासत रौंदी जा रही है — और यहां पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी के राज में भी कुछ वैसा ही होता दिख रहा है।”
सवाल उठे सुरक्षा को लेकर
घटना के बाद यह सवाल उठ खड़े हुए हैं कि क्या बांग्लादेश में सांस्कृतिक और ऐतिहासिक स्थलों की सुरक्षा और संरक्षण को पर्याप्त महत्व दिया जा रहा है, खासकर उन स्थलों की जो भारतीय उपमहाद्वीप की साझा विरासत से जुड़े हैं।