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भारतीय सशस्त्र बलों द्वारा कल रात चलाया गया ऑपरेशन सिंदूर 25 मिनट का था और इस जवाबी कार्रवाई में पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत जम्मू-कश्मीर में नौ आतंकी ठिकानों को नष्ट कर दिया गया।
इन आतंकी ठिकानों में पाकिस्तान के सियालकोट में सरजाल कैंप, महमूना जोया और मरकज तैयबा मुरीदके तथा बहावलपुर में मरकज सुभानल्लाह शामिल थे।
पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में सवाई नाला और मुजफ्फराबाद में सैयद ना बिलाल, कोटली गुलपुर, बिम्बर और कोटली अब्बास में आतंकी ठिकानों को नष्ट कर दिया गया।
नई दिल्ली में भारतीय सेना, भारतीय वायु सेना और विदेश मंत्रालय की संयुक्त प्रेस वार्ता में भारतीय सेना की कर्नल सोफिया कुरैशी और भारतीय वायु सेना की विंग कमांडर व्योमिका सिंह ने बताया कि पहलगाम आतंकी हमले के पीड़ितों को न्याय दिलाने के लिए ऑपरेशन सिंदूर शुरू किया गया था।
उन्होंने बताया कि ऑपरेशन कल रात एक बजकर पांच मिनट से एक बजकर तीस मिनट तक चलाया गया। उन्होंने कहा कि पिछले तीन दशकों से पाकिस्तान आतंकी ढांचे का निर्माण कर रहा है, जिसमें भर्ती, आतंकवादी विचारधारा और आतंकी कार्रवाइयों का प्रशिक्षण तथा लॉन्च पैड शामिल हैं जो पाकिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले जम्मू-कश्मीर में फैला हुआ है।
प्रैस वार्ता में हमले में नष्ट किए गए आतंकवादी स्थल और सैन्य तथा नागरिक प्रतिष्ठानों को निशाना बनाए बिना सफलतापूर्वक चलाए गए ऑपरेशन सिंदूर की विस्तृत जानकारी दी गई।
कर्नल सोफिया कुरैशी और विंग कमांडर व्योमिका सिंह ने कहा कि भारतीय सशस्त्र बल भविष्य में पाकिस्तान के किसी भी दुस्साहस का मुंहतोड़ जवाब देने के लिए पूरी तरह तैयार हैं।
कर्नल सोफिया कुरैशी ने आतंकी शिविरों और भारत के खिलाफ आतंकी गतिविधियों में उनके शामिल होने का विवरण देते हुए कहा कि आतंकी ठिकानों का चयन विश्वसनीय सूचना और सीमा पार आतंकवाद में उनकी संलिप्तता के आधार पर किया गया था।
इस अवसर पर विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने कहा कि पहलगाम आतंकी हमले की जांच से पाकिस्तान के आतंकियों से संबंधों का पर्दाफाश हुआ है। उन्होंने कहा कि आतंकी गतिविधियों पर नजर रखने वाली भारत की खुफिया एजेंसियों ने संकेत दिया है कि भारत पर और भी हमले हो सकते हैं।
पहलगाम आतंकी हमले का जिक्र करते हुए मिसरी ने कहा कि इस कायराना हमले का उद्देश्य जम्मू-कश्मीर में पर्यटन को नुकसान पहुंचाना और जम्मू-कश्मीर तथा देश के अन्य हिस्सों में सांप्रदायिक तनाव को भड़काना था।
श्री मिसरी ने इस बात पर प्रकाश डाला कि पहलगाम की घटना 2008 के मुंबई हमले के बाद सबसे गंभीर आतंकी हमला था, क्योंकि इसमें नागरिकों पर हमला किया गया था।
श्री मिसरी ने कहा कि रेजिस्टेंस फ्रंट नामक समूह ने पहलगाम हमले की जिम्मेदारी ली है और यह समूह लश्कर-ए-तैयबा से जुड़ा है। उन्होंने कहा कि इस हमले के तार पाकिस्तान से जुड़े हुए हैं।
उन्होंने कहा कि यह जरूरी समझा गया कि पहलगाम हमले के अपराधियों और षडयंत्रकर्ताओं को न्याय के कटघरे में लाया जाए।
आकाशवाणी संवाददाता ने बताया कि संयुक्त प्रैस वार्ता के दौरान भारतीय सशस्त्र बलों की जवाबी कार्रवाई की सटीकता और लक्षित स्थलों के आतंकी गतिविधियों से संबंधों को उजागर करने के लिए ऑडियो और वीडियो इनपुट के साथ एक विस्तृत प्रस्तुति दी गई।