अशफाक कायमखानी / सीकर
जीद करो दूनीया बदलो की तर्ज पर सीकर की बेटियों को तालीम के जैवर से आरस्ता करने के लिये सीकर मे ऐक्सीलैंस नोलेज सीटी कायम करने की प्लानिंग की शुरुवात से लेकर कायम होने के बाद से लेकर आज तक वाहिद चोहान के अलावा जिस महिला की प्रमुख भूमिका मानी जा रही है। वो है मुम्बई मे पली पढी व बढी हुई हालीवुड के मशहुर फिल्म निर्माता मरहुम इस्माईल मर्चेन्ट की बहन रुकसाना चोहान।
हालांकि पीछले पैंतीस सालो से सीकर मे हर मोसम मे अक्सर आकर ऐक्सीलैंस स्कूल व कालेज की छात्राओं के अलावा सीकर मे अन्यंत्र तालीम हासिल करने वाली सीकर की बेटीयो के मध्य कई कई दिनो तक रहकर उनकी रहबरी करते हुये जो शिक्षा की ताकत पर समाज को बदलकर मिशाली काम करके दिखाया है। इतनी जल्द इस तरह के आश्चर्यजनक बदलाव लाकर रुकसाना चोहान द्वारा सीकर की महिला शिक्षा को बदलकर रखने की उम्मीद शायद किसी ने भी पहले की नही होगी।
महिला शिक्षा के लिये अपने पति वाहिद चोहान का हर कदम पर साथ देते हुये उन पुराने हालात को बदलकर जिन हालात मे सीकर की बेटीयो का स्कूल के नाम पर मदरसो मे जाकर नाजरा कुरान पढने के अलावा मामूली हिन्दी भाषा का नोलेज प्राप्त करना मात्र से आज बदलकर बेटिया ऐकेडमिक व प्रोफेशनल डीग्री हासिल करने के साथ साथ हिन्दी भाषा के अलावा अंग्रेजी व अन्य भाषाओं का आला तरीन नोलेज पाकर दूनीया मे सीकर का नाम रोशन करने लगी है।
कुल मिलाकर यह है कि शांत स्वभाव व एकाग्रता के साथ अपने गोल पर फोकस करके सीकर की बेटीयो को आला तालीम याफ्ता करने के लिये सालो से हाड कंपकंपाने वाली सर्दी व पचास डीग्री वाली गर्मी की परवाह किये बीना अपने पति के मिसन को आगे बढाने मे लगातार काम करने वाली रुकसाना चोहान की खिदमात को सीकर की बेटियां की तालीम के सिलसिले मे जब भी सीकर का इतिहास लिखा जायेगा तो उसमे रुखसाना चोहान का नाम सूनहरे अक्षरो मे लिखा जाना तय है। सीकर की बेटियो मे रुकसाना मेम के नाम से मकबूल “रुखसाना चोहान” अब जाकर जनता मे एक जाना पहचाना चेहरा बनता जा रहा है।