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लेह बुधवार को उग्र विरोध प्रदर्शनों से थर्रा उठा जब हजारों युवाओं ने राज्य का दर्जा और छठी अनुसूची के अंतर्गत संवैधानिक संरक्षण की मांग को लेकर सड़कों पर उतरकर बंद का समर्थन किया। शांतिपूर्ण रैली अचानक हिंसक हो गई जब प्रदर्शनकारियों ने सुरक्षा बलों पर पथराव किया और भाजपा कार्यालय व सीआरपीएफ के वाहन में आग लगा दी। पुलिस ने हालात काबू में करने के लिए आंसू गैस के गोले दागे और लाठीचार्ज किया। झड़पों में 70 से अधिक लोग घायल हुए, जबकि कम से कम चार मौतों की खबरें भी सामने आईं, हालांकि प्रशासनिक पुष्टि अभी बाकी है।

यह आंदोलन 10 सितंबर से जलवायु कार्यकर्ता सोनम वांगचुक और लेह एपेक्स बॉडी के युवा प्रकोष्ठ द्वारा शुरू किए गए अनशन का हिस्सा है। मंगलवार को दो अनशनकारियों की तबीयत बिगड़ने और उन्हें अस्पताल में भर्ती कराने के बाद माहौल और गरमा गया।

वांगचुक ने बुधवार को अपना अनशन खत्म करते हुए शांति की अपील की और युवाओं से हिंसा से दूर रहने का आग्रह किया। इस बीच, लेह प्रशासन ने कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए भरतीय न्याय संहिता (BNS) के तहत धारा 163 लागू कर दी है।

केंद्र ने लेह एपेक्स बॉडी और करगिल डेमोक्रेटिक अलायंस के साथ 6 अक्टूबर को नई वार्ता तय की है। तब तक लद्दाख अशांत लेकिन अपने अधिकारों को लेकर दृढ़ बना हुआ है।