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आज पूरे देश में गणेश चतुर्थी 2025 हर्ष और श्रद्धा के साथ मनाई जा रही है। विघ्नहर्ता और बुद्धि–समृद्धि के देवता भगवान गणेश का जन्मोत्सव यह पर्व दस दिनों तक चलता है और 6 सितम्बर को गणेश विसर्जन के साथ संपन्न होगा। सुबह से ही घरों, मंदिरों और सार्वजनिक पंडालों में गणपति बप्पा की प्रतिमाओं की स्थापना हुई और वातावरण “गणपति बप्पा मोरया” के जयघोष से गूंज उठा।

दिन की शुरुआत विशेष पूजा और गणेश प्रतिमा की स्थापना से हुई। भक्तों ने मोदक और विभिन्न प्रसाद अर्पित कर सुख–समृद्धि की कामना की। मध्याह्न पूजा मुहूर्त को सबसे शुभ माना गया और इसी समय अधिकांश परिवारों और पंडालों में धार्मिक अनुष्ठान सम्पन्न हुए। ज्योतिषीय दृष्टि से इस वर्ष कई विशेष योग बन रहे हैं, जिनसे पर्व का महत्व और अधिक बढ़ा माना जा रहा है।

मुंबई में प्रसिद्ध लालबागचा राजा की झलक पाने के लिए भक्तों की भारी भीड़ उमड़ी। इस वर्ष की प्रतिमा को पर्यावरण–अनुकूल ढंग से तैयार किया गया है, जिससे बढ़ती पर्यावरण जागरूकता का संदेश भी मिल रहा है। हैदराबाद का खैरताबाद गणेश और अन्य प्रमुख शहरों की विशाल प्रतिमाएँ भी श्रद्धालुओं के आकर्षण का केंद्र बनी हुई हैं।

गणेश चतुर्थी केवल धार्मिक नहीं बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक एकता का पर्व भी है। ढोल-नगाड़ों, नृत्य और संगीत से सजी शोभायात्राओं ने सड़कों को उत्सवमय बना दिया है। कई स्थानों पर सामूहिक पूजा, सांस्कृतिक कार्यक्रम और परोपकारी गतिविधियाँ आयोजित की गई हैं, जिससे समाज में भाईचारे और सहयोग की भावना मजबूत होती है।

पारंपरिक मान्यताओं का पालन भी श्रद्धालुओं द्वारा किया जा रहा है, जैसे कि निर्धारित समय पर चंद्रमा न देखने की परंपरा। वहीं, कई राज्यों में आज स्कूल, बैंक और वित्तीय बाजार बंद रहे, जो इस पर्व के व्यापक महत्व को दर्शाता है।

गणेश चतुर्थी 2025 आस्था, सांस्कृतिक गौरव और आधुनिक चेतना का अद्भुत संगम है। करोड़ों भक्तों के लिए यह पर्व न केवल धार्मिक अनुष्ठान है, बल्कि एक सामूहिक उत्सव भी है—जिसमें भगवान गणेश से प्रार्थना की जाती है कि वे जीवन से सभी विघ्न दूर करें और देश को शांति, समृद्धि और सौहार्द प्रदान करें।