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AMN / NEW DELHI
कांग्रेस संसदीय दल की अध्यक्ष सोनिया गांधी ने गाज़ा में इज़राइल की सैन्य कार्रवाई और ईरान के खिलाफ हालिया हमलों पर मोदी सरकार की चुप्पी को कड़ी आलोचना का निशाना बनाते हुए इसे भारत की नैतिक और कूटनीतिक परंपराओं से “चौंकाने वाला विचलन” करार दिया है।

द हिंदू अख़बार में प्रकाशित अपने लेख “अभी भी भारत की आवाज़ उठाना बहुत देर नहीं हुई है” में गांधी ने कहा कि भारत ने दशकों पुरानी दो-राष्ट्र समाधान की नीति को छोड़ दिया है — जिसमें एक स्वतंत्र फिलिस्तीन को इज़राइल के साथ शांतिपूर्वक सह-अस्तित्व में मान्यता दी जाती थी।

“गाज़ा में तबाही और अब ईरान के खिलाफ बिना उकसावे की कार्रवाई पर नई दिल्ली की चुप्पी सिर्फ आवाज़ खोने का मामला नहीं है, यह हमारे मूल्यों का समर्पण है,” उन्होंने लिखा। गांधी ने कहा कि भारत की विदेश नीति हमेशा नैतिक स्पष्टता, गुटनिरपेक्षता और अंतरराष्ट्रीय शांति के समर्थन पर आधारित रही है, और अब इससे हटना देश की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचा सकता है।

उन्होंने सरकार से आग्रह किया कि वह अपनी नीति में बदलाव लाए। “अभी भी देर नहीं हुई है। भारत को स्पष्ट बोलना चाहिए, ज़िम्मेदारी से व्यवहार करना चाहिए और पश्चिम एशिया में तनाव कम करने तथा संवाद बहाल करने के लिए सभी कूटनीतिक रास्तों का इस्तेमाल करना चाहिए,” उन्होंने लिखा।

गांधी ने अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप पर भी कटाक्ष किया, जिन्होंने कभी “अंतहीन युद्धों” के खिलाफ बयान दिए थे। उन्होंने लिखा, “यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि डोनाल्ड ट्रंप — जिन्होंने कभी अमेरिका के अंतहीन युद्धों और सैन्य-औद्योगिक गठजोड़ की आलोचना की थी — अब उसी विनाशकारी राह पर चलते दिख रहे हैं।”

सोनिया गांधी का यह लेख ऐसे समय में आया है जब गाज़ा में मानवीय संकट गहराता जा रहा है और ईरान के साथ तनाव वैश्विक स्तर पर चिंता बढ़ा रहा है। उनकी टिप्पणी इस बात को रेखांकित करती है कि भारत की चुप्पी कहीं इसे सहमति या उदासीनता के रूप में न देखा जाए।

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