
AMN / BIZ DESK
भारतीय रिज़र्व बैंक (आरबीआई) ने अपने ताज़ा मासिक बुलेटिन में कहा है कि वित्त वर्ष 2025-26 की दूसरी तिमाही (Q2) में भारतीय अर्थव्यवस्था ने पिछली छह तिमाहियों में सबसे तेज़ वृद्धि दर दर्ज की है। यह मजबूती मुख्य रूप से घरेलू मांग में निरंतर मजबूती के कारण देखने को मिली है।
‘स्टेट ऑफ द इंडियन इकॉनमी’ शीर्षक से जारी बुलेटिन में आरबीआई ने बताया कि नवंबर के उच्च-आवृत्ति संकेतक यह दर्शाते हैं कि समग्र आर्थिक गतिविधियां बनी हुई हैं और मांग की स्थिति मजबूत है। हालांकि हेडलाइन सीपीआई महंगाई में हल्की बढ़ोतरी हुई है, लेकिन यह अब भी निचली सहनशील सीमा से नीचे बनी हुई है, जिससे महंगाई के मोर्चे पर राहत बनी हुई है। बैंक के अनुसार, वित्तीय हालात अनुकूल रहे और वाणिज्यिक क्षेत्र को ऋण प्रवाह मजबूत बना रहा।
बुलेटिन में कहा गया है कि वैश्विक अनिश्चितता के स्तर में और कमी आई है, हालांकि प्रमुख शेयर बाजारों में ऊंचे मूल्यांकन को लेकर चिंता के कारण उतार-चढ़ाव देखा गया। आरबीआई ने यह भी कहा कि वर्ष 2025 में वैश्विक व्यापार नीतियों में बड़ा बदलाव आया है, जहां कई देश द्विपक्षीय स्तर पर टैरिफ और व्यापार शर्तों पर पुनः बातचीत कर रहे हैं। इससे वैश्विक वृद्धि को लेकर आशंकाएं बनी हुई हैं और उभरते बाजारों में पोर्टफोलियो निवेश की गति भी हाल के महीनों में धीमी हुई है।
आरबीआई ने माना कि इन बाहरी चुनौतियों का असर भारत पर भी पड़ा, लेकिन समन्वित राजकोषीय, मौद्रिक और नियामकीय नीतियों ने अर्थव्यवस्था की सहनशीलता बढ़ाई है। मजबूत घरेलू मांग के बल पर विकास दर मजबूत बनी हुई है, वहीं अनुकूल महंगाई परिदृश्य ने मौद्रिक नीति को विकास के समर्थन के लिए पर्याप्त गुंजाइश दी है।
बाहरी क्षेत्र पर बात करते हुए केंद्रीय बैंक ने कहा कि Q2: 2025-26 में भारत का चालू खाता घाटा (करंट अकाउंट डेफिसिट) पिछले वर्ष की समान अवधि की तुलना में कम हुआ है। इसका कारण कम वस्तु व्यापार घाटा, सेवाओं के निर्यात में मजबूती और प्रवासी भारतीयों से प्राप्त रेमिटेंस में वृद्धि रहा।
आरबीआई ने कहा कि मौद्रिक स्थिरता, मजबूत बुनियादी आर्थिक ढांचे और सुधारों पर निरंतर ध्यान से दक्षता और उत्पादकता बढ़ेगी तथा तेजी से बदलते वैश्विक माहौल के बीच भारत को उच्च विकास पथ पर बनाए रखने में मदद मिलेगी।
