अशफाक कायमखानी / जयपुर

हालांकि 2022 के बाद अभी 2024 मे राजस्थान न्यायिक सेवा RJS के आये परिणाम पर कुछ संतोष जताया जा सकता है कि तब छ कंडिडेट की तरह अब भी छ कंडिडेट पास हुये है। जिनमे बेटियों की भागीदारी बराबर की है। लेकिन 2022 व 2024 की वेकेंसी नम्बर मे अंतर होने के कारण प्रतिशत मे छ से अधिक कंडिडेट पास होने चाहिए थे। जो हो नही पाया।

मुस्लिम समुदाय के कंडिडेट विभिन्न तरह की प्रतियोगिता परीक्षाओं मे मात्र सेंकड़ो कंडिडेट भाग लेते है। जबकि हजारों की तादाद मे उक्त तरह की विभिन्न प्रतियोगिता परीक्षाओं मे भाग लेने लगेगे तो छ कंडिडेट की बजाय अधिक तादाद मे कंडिडेट सफल होने लगेंगे। विभिन्न तरह की प्रतियोगी परीक्षाओं मे जीतनी तादाद मे कंडिडेट भाग लेगे उतने ही प्रतिशत मे अधिक कंडिडेट सफल होने लगेंगे।

मुस्लिम समुदाय शिक्षा के मुकाबले शादी-भात व मकान बनाने मे अनेक गुणा पैसा खर्च करते रहते है। शादी-भात व मकान बनाने पर आमद व हैशियत से अधिक उधार लेकर-ब्याज पर लेकर या किसी को चकमे मे डालकर पैसा लेकर खर्च करने की आदत आम लोगो मे पाई जाने लगी है। जबकि अधिकांश लोग शिक्षा पर खर्च करने से दूर भागते है। वो बच्चों की अच्छी शिक्षा के लिये उधार-ब्याज-ऐजुकेशन लोन लेने के साथ साथ जेवर व जायदाद बेचने का नाम तक नही लेते है।

मयारी शिक्षा के लिये मयारी शैक्षणिक संस्थान का चयन करने का भी मुस्लिम कभी सोचता भी नही है। अधिकांश लोग अच्छे शैक्षणिक संस्थान का चयन करने की बजाय कमजोर मयारी वाले शैक्षणिक संस्थान मे प्रवेश दिलवाते है जहां बच्चों का चहुंमुखी डवलपमेंट नही हो पाता है। मकान व शादी सहित अन्य कामो मे बिरादरी व परिवार मे नाक रखने के लिए फिजूलखर्ची करने के लिये सूद पर या अन्य तरीकों से लिया गया पैसा बडी मुश्किल पैदा करता है। अनेकों की सालो की कमाई ब्याज मे चली जाती है। कभी कभार तो उनको अपने मकान तब बेचने पड़ जाते है। जबकि ऐजुकेशन से बदलाव आता है। ऐजुकेशन से पैसा भी अच्छा कमाया जा सकता मै। मुस्लिम समुदाय के मदरसे/स्कूल का संचालन भी कम शैक्षणिक योग्यता वाले मठाधीश करते है। जिनकी सोच जदीद तालीम व बदलते हालत तक पंहुच ही नही होती।

कुल मिलाकर यह है कि मुस्लिम समुदाय को शिक्षा को लेकर अपने जेहन को बदला होगा। उन्हें मकान व शादी मे फिजूलखर्ची को वरियता ना देकर शिक्षा को वरियता देकर बच्चों की शिक्षा के लिए उधार या अन्य साधनो से पैसा जुटाकर खर्च करना चाहिए। शिक्षा के लिये जेवर व जायदाद बेचनी भी पड़े तो बेच देने के लिए वालदैन को हमेशा तैयार रहना चाहिए।