लखनऊ

समाजवादी पार्टी (सपा) के अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने सोमवार को कार्यकर्ताओं से आह्वान किया कि मिल्कीपुर उपचुनाव में पार्टी की जीत लोकतंत्र के लिए जरूरी है। लखनऊ में सपा के प्रदेश मुख्यालय में फैजाबाद, अयोध्या और मिल्कीपुर क्षेत्र के नेताओं और कार्यकर्ताओं की बैठक को संबोधित करते हुए अखिलेश ने कहा, “मिल्कीपुर उपचुनाव हमें जरूर जीतना है। लोकतंत्र के लिए यह आवश्यक है। उपचुनाव में सत्तादल बीजेपी को मनमानी नहीं करने दी जाएगी।”

निर्वाचन आयोग ने अयोध्या जिले की मिल्कीपुर विधानसभा सीट पर उपचुनाव के लिए मतदान के वास्ते पांच फरवरी की तारीख तय की है। यह सीट सपा के वरिष्ठ नेता अवधेश प्रसाद के 2024 के लोकसभा चुनाव में फैजाबाद (अयोध्या) संसदीय सीट से निर्वाचित होने के बाद खाली हुई। 2022 में प्रसाद ने मिल्कीपुर से सपा प्रत्याशी के रूप में चुनाव जीता था। अखिलेश ने कहा, “अयोध्या की हार को बीजेपी पचा नहीं पा रही है। अपनी हार का बदला लेने के लिए पार्टी अनैतिक हथकंडे अपना रही है।”

प्रशासन के दुरुपयोग से बीजेपी ने उपचुनाव में सात सीट जीती थी: अखिलेश

समाजवादी पार्टी अध्यक्ष ने आरोप लगाया, “बीजेपी ने मतदाताओं को धमकाकर और प्रशासन तंत्र के दुरुपयोग से उपचुनाव में सात सीटों पर जीत दर्ज की थी। बीजेपी की चालों को सभी समझ गए हैं। समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ता अब भाजपाई साजिशों का वाजिब जवाब देंगे।”

नवंबर 2024 में उत्तर प्रदेश की नौ विधानसभा सीटों के लिए हुए उपचुनाव में भाजपा और उसकी सहयोगी राष्ट्रीय लोकदल ने सात सीटें जीती थीं, जबकि सपा को केवल दो सीटें मिली थीं।

बीजेपी ने मिल्कीपुर सीट पर चंद्रभान पासवान को घोषित किया प्रत्याशी

लखनऊ : उत्तर प्रदेश की मिल्कीपुर विधानसभा सीट पर होने वाले उपचुनाव के लिए बीजेपी ने उम्मीदवार की घोषणा कर दी है। बीजेपी ने चंद्रभान पासवान को अपना प्रत्याशी घोषित किया है। बीजेपी प्रत्याशी चंद्रभान पासवान पेशे से वकील हैं। मिल्कीपुर के उपचुनाव में प्रमुख दावेदारों में शामिल थे। वह बीजेपी की जिला इकाई में कार्य समिति के भी सदस्य हैं। उनकी पत्नी रुदौली से दो बार से जिला पंचायत सदस्य हैं। उनके पिता बाबा राम लखन दास ग्राम प्रधान है।

सपा के अजीत प्रसाद से है सीधी टक्कर

इससे पहले सपा ने इस सीट पर सांसद अवधेश प्रसाद के बेटे अजीत प्रसाद को अपना उम्मीदवार घोषित कर दिया है। कांग्रेस ने इस सीट पर अपना उम्मीदवार न उतारकर गठबंधन के प्रत्याशी को समर्थन देने का एलान किया है। वहीं बसपा ने इस सीट पर चुनाव न लड़ने का एलान कर दिया था। कांग्रेस और बसपा के इस चुनाव में सीधे तौर पर न आने से बीजेपी और सपा के उम्मीदवार में सीधी टक्कर होगी।

अब देखना यह होगा कि जनता किसे अपना नेता चुनती है।