
डॉ. बसवराज एस. कुम्बार
तीस की उम्र अक्सर जीवन के नए अध्याय की तरह महसूस होती है। करियर स्थिर होने लगता है, ज़िम्मेदारियाँ बढ़ती हैं और स्वास्थ्य कई बार पीछे छूट जाता है। लेकिन यही वह समय है जब शरीर चुपचाप मेटाबॉलिक असंतुलन के शुरुआती संकेत देने लगता है। ये संकेत इतने हल्के होते हैं कि अक्सर अनदेखे कर दिए जाते हैं, लेकिन इन्हें गंभीरता से लेना ज़रूरी है। अगर इन्हें नज़रअंदाज़ किया गया तो आने वाले वर्षों में डायबिटीज़, हाई ब्लड प्रेशर और हृदय रोग जैसी गंभीर समस्याएँ सामने आ सकती हैं।
कौन-कौन से संकेत हैं ख़तरे की घंटी?
- पर्याप्त नींद के बावजूद थकान
अगर पूरी नींद लेने के बावजूद थकान बनी रहती है, तो यह केवल तनाव नहीं बल्कि इंसुलिन रेज़िस्टेंस या थायरॉयड जैसी समस्याओं का संकेत हो सकता है। - पेट के आसपास अचानक वज़न बढ़ना
उम्र के साथ थोड़ा वज़न बढ़ना सामान्य है, लेकिन अगर पेट के आसपास चर्बी जमा होने लगे तो यह मेटाबॉलिक असंतुलन की ओर इशारा करता है। - मीठा खाने की बार-बार इच्छा या एनर्जी क्रैश
अगर दिन में बार-बार शुगर क्रेविंग होती है या अचानक ऊर्जा घट जाती है, तो यह ब्लड शुगर स्तर के असंतुलन का संकेत हो सकता है। - कम उम्र में हाई ब्लड प्रेशर
आजकल 30 की उम्र में भी लोग रूटीन चेक-अप में बढ़ा हुआ ब्लड प्रेशर पा रहे हैं। यह एक ‘साइलेंट कंडीशन’ है जो दिल और किडनी पर दबाव डालती है। - बिना कारण वज़न या मांसपेशी घटना
जहाँ वज़न बढ़ना चिंता का विषय है, वहीं बिना कोशिश के वज़न या मांसपेशी घटना भी गंभीर है। यह थायरॉयड या डायबिटीज़ जैसी बीमारियों का संकेत हो सकता है। - नींद का असंतुलन और रात में बार-बार जागना
अगर नींद लगातार टूट रही है, खर्राटे बढ़ गए हैं या अनिद्रा है, तो यह केवल तनाव नहीं बल्कि स्लीप एपनिया का संकेत भी हो सकता है, जो मोटापा और हृदय रोग से जुड़ा है। - कोलेस्ट्रॉल और ट्राइग्लिसराइड स्तर बढ़ना
अक्सर रूटीन ब्लड टेस्ट में यह समस्या सामने आती है। बढ़ा हुआ कोलेस्ट्रॉल और ट्राइग्लिसराइड मेटाबॉलिक सिंड्रोम का शुरुआती संकेत है।
क्यों ज़रूरी है समय रहते ध्यान देना?
विशेषज्ञों का कहना है कि मेटाबॉलिक बीमारियाँ अचानक नहीं होतीं, बल्कि कई वर्षों में धीरे-धीरे विकसित होती हैं। जब तक लक्षण गंभीर होते हैं, तब तक शरीर को नुकसान पहुँचना शुरू हो जाता है। लेकिन अच्छी बात यह है कि शुरुआती संकेतों पर ध्यान देकर इन्हें उल्टा भी किया जा सकता है।
नियमित स्वास्थ्य जांच, संतुलित आहार, पर्याप्त नींद, तनाव प्रबंधन और शारीरिक गतिविधि से मेटाबॉलिक स्वास्थ्य को मज़बूत बनाया जा सकता है।
तीस की उम्र में शरीर के ये छोटे-छोटे संकेत दरअसल चेतावनी हैं। इन्हें अनदेखा करना आसान है, लेकिन समय रहते ध्यान देना ही आने वाले दशकों में स्वस्थ और ऊर्जावान जीवन की कुंजी है।
