आज़ादी की लड़ाई से उत्कृष्ट विश्वविद्यालय बनने तक की कहानी
अहमद अज़ीम
आज यानि 29 अक्टूबर 2020 को जामिया मिल्लिया इस्लामिया Jamia Millia Islamia ने अपने वजूद के 100 साल मुकम्मल कर लिए. जामिया की स्थापना उस ब्रिटिश हुकूमत की शैक्षिक व्यवस्था के खिलाफ एक बग़ावत थी, जो अपना औपनिवेशिक शासन चलाने के लिए सिर्फ ‘‘बाबुओं’ को बनाने तक सीमित थी। अपनी इस भूमिका को बखूबी अंजाम देने के पश्चात, आज़ादी के बाद से आज यह यूनिवर्सिटी सीढ़ी दर सीढ़ी चढ़ते हुए देश के दस शीर्ष विश्वविद्यालयों में शामिल है। हाल ही में केन्द्रीय शिक्षा मंत्रालय ने 40 केन्द्रीय विश्वविद्यालयों का प्रदर्शन आंकलन किया जिसमें जामिया को सर्वोच स्थान मिला
जामिया मिल्लिया इस्लामिया असहयोग आंदोलन और खिलाफत आंदोलन से उपजा एक विश्वविद्यालय है I महात्मा गांधी ने अगस्त 1920 में असहयोग आंदोलन का ऐलान करते हुए भारतवासियों से ब्रिटिश शैक्षणिक व्यवस्था और संस्थानों का बहिष्कार करने का आह्वान किया था। गांधी जी के आह्वान पर, उस समय अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के कुछ अध्यापकों और छात्रों ने 29 अक्तूबर 1920 को जामिया मिल्लिया इस्लामिया की बुनियाद अलीगढ़ में रखी। इसको बनाने में स्वत्रंता सेनानी, मुहम्मद अली जौहर, हकीम अजमल खान, डॉक्टर ज़ाकिर हुसैन, डॉक्टर मुख्तार अहमद अंसारी, अब्दुल मजीद ख्वाजा, मौलाना महमूद हसन जैसे लोगों का प्रमुख योगदान रहा।
1925 में जामिया, अलीगढ़ से दिल्ली स्थानांतरित हो गई । जामिया के अध्यापक और छात्र पढ़ाई के साथ ही आज़ादी की लड़ाई के हर आंदोलन में हिस्सा लेते थे। इसके चलते उन्हें अक्सर जेल भी जाना पड़ता था।
ब्रिटिश शिक्षा और व्यवस्था के विरोध में बने, जामिया मिल्लिया इस्लामिया को धन और संसाधनों की बहुत कमी रहती थी। रजवाड़े और पैसे वाले लोग, अंग्रेज़ी हुकूमत के डर से इसकी आर्थिक मदद करने से कतराते थे। इसके चलते 1925 के बाद से ही यह बड़ी आर्थिक तंगी में घिर गया। ऐसा लगने लगा कि यह बंद हो जाएगा। लेकिन गांधी जी ने कहा कि कितनी भी मुश्किल आए, स्वदेशी शिक्षा के पैरोकार, जामिया को किसी कीमत पर बंद नहीं होना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘‘जामिया के लिए अगर मुझे भीख भी मांगनी पड़े तो मैं वह भी करूंगा ।‘‘
गांधी जी ने जमनालाल बजाज, घनश्याम दास बिड़ला और बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के संस्थापक पंडित मदन मोहन मालवीय सहित कई लोगों से जामिया की आर्थिक मदद करने को कहा और इन लोगों की मदद से जामिया मुश्किल दौर से बाहर निकाल आया । इसीलिए, जामिया का कुलपति ऑफिस कंपाउंड में फ़ाइनेंस ऑफिस की इमारत ‘जमनालाल बजाज हाउस‘ के नाम से जानी जाती है।
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के बेटे देवदास ने जामिया में एक शिक्षक के रूप में काम किया। गांधी जी के पोते रसिकलाल ने भी जामिया में पढ़ाई की ।
महान् साहित्यकार, मुंशी प्रेमचंद का भी जामिया से ख़ास रिश्ता रहा। वह अक्सर वहां आकर ठहरा करते थे। उनके गहरे दोस्त, डा ज़ाकिर हुसैन ने उनसे आग्रह किया कि क्यों नहीं वह जामिया में रहते हुए एक कहानी लिखें। मुंशी प्रेमचंद ने रात भर जग कर अपनी कालजयी कहानी ‘कफ़न‘ यहीं लिखी, जिसे पहली बार ‘जामिया पत्रिका’ में प्रकाशित किया गया।
साल 2004 में जामिया में ‘मुंशी प्रेमचंद अभिलेखागार और साहित्य केंद्र‘ की स्थापना की गई। इसमें प्रेमचंद की प्रकाशित, अप्रकाशित और अधूरी कहानियों सहित अखबारों-पत्रिकाओं में छपे उनके लेखों का संग्रह है। प्रेमचंद के अलावा अन्य भारतीय सहित्कारों के दुर्लभ कार्य भी यहां उपलब्ध हैं।
स्वतंत्रता आंदोलन का हिस्सा रहे, जामिया ने आज़ादी के बाद देश की ज़रूरतों के अनुरूप, आधुनिक शिक्षा पर ख़ास ध्यान देना शुरू किया।
जामिया देश का अकेला ऐसा विश्वविद्यालय है जो भारत की तीनों सेनाओं, थल सेना, वायु सेना और नौसेना के जवानों और अधिकारियों के लिए, आगे की पढ़ाई के अवसर मुहैया कराता है। उल्लेखनीय है कि सेना के जवान कम उम्र में भर्ती होते हैं और अन्य सेवाओं की तुलना में कम उम्र में ही रिटायर हो जाते हैं। ऐसे में सेना में रहते हुए आगे की पढ़ाई करके, अवकाशप्राप्ति के बाद उन्हें अच्छे रोज़गार पाने के अवसर मिल जाते हैं।
वर्ष 2010 में स्थापित, जामिया की रेज़िडेन्शल कोचिंग अकादमी (आरसीए) ने यूपीएससी सीविल सेवाओं में सभी समुदायों की महिलाओं, अल्पसंख्यकों, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति के उम्मीदवारों को बढ़ावा देने में अहम भूमिका निभाई है। यहां मुफ्त कोचिंग पाने वाले छात्रों में अब तक 230 से अधिक यूपीएससी सेवाओं के लिए कामयाब हो चुके हैं। इसके अलावा 250 से ज़्यादा अन्य केन्द्रीय एवं प्रांतीय सीविल सेवाओं में शामिल हुए हैं।
जामिया में दी जा रही शिक्षा की गुणवत्ता को आज देश-विदेश हर जगह मान्यता मिल रही है। इस साल नेशनल इन्स्टिटूट रैंकिंग फ्रेमवर्क (एनआईआरएफ) में जामिया को केन्द्रीय विश्वविद्यालयों में 10 वां और देश के सभी शिक्षण संस्थानों में 16 वां स्थान मिला है। लंदन के टाइम्स हायर एजुकेशन रैंकिंग में जामिया को भारत में 12 वां और दुनिया के 1527 विश्वविद्यालयों में 601-800 की श्रेणी में रखा है। क्यूएस वर्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग में 751-800 के बीच, राउंड यूनिवर्सिटी वर्ल्ड रैंकिंग में जामिया को देश के 25 केन्द्रीय विश्वविद्यालयों में तीसरा स्थान दिया गया है। हाल ही में केन्द्रीय शिक्षा मंत्रालय ने 40 केन्द्रीय विश्वविद्यालयों का प्रदर्शन आंकलन किया जिसमें जामिया को सर्वोच स्थान मिला I
जामिया देश कि उन चुनिन्दा संस्थानों में से एक है जहां नर्सरी से लेकर पीएचडी तक कि पढ़ाई होती है I
केन्द्रीय शिक्षा मंत्रालय के आंकलन में शीर्ष स्थान पाने वाली जामिया मिल्लिया इस्लामिया में सभी आधुनिक विषयों पर उच्च दर्जे की शिक्षा और अनुसंधान सुविधाएं मुहैया कराई जाती है। मौजूदा वक़्त में जामिया में 9 फैकल्टी, 43 विभाग और 27 सेंटर ऑफ़ हायर स्टडीज एंड रिसर्च हैं जिनमे 270 से अधिक कोर्स पढाये जाते है, जिनमें डेंटल सर्जरी, फिजियोथेरेपी, बायोटेकनोलॉजी, बायोसाइंसेज, एयरोनॉटिक्स, इलेक्ट्रॉनिक्स एंड कम्युनिकेशन इंजीनियरिंग, सिविल, मैकेनिकल और इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग, नैनोसाइंस एंड नैनोटेक्नोलॉजी, आर्किटेक्चर, कानून, फाइन आर्ट्स, संस्कृत, फ़ारसी, हिन्दी, उर्दू, तुर्की, फ्रेंच भाषा, कोरियाई भाषा और आधुनिक यूरोपीय भाषाओँ के कोर्सेज शामिल हैं।
विभागों की लिस्ट में 4 नये विभाग अभी हाल में ही में जुड़े हैं जिनमे डिजाइन एंड इनोवेशन ,हॉस्पिटल मैनेजमेंट एंड होस्पीस स्टडीज, एनवायरनमेंटल साइंसेज और डिपार्टमेंट ऑफ़ फॉरेन लैंग्वेजेज शामिल हैंl
उच्च शिक्षा नहीं पा सकने वाले बच्चों के लिए भी जामिया, रोज़गार उन्मुख पढ़ाई के कई कार्स चलाता है। इनमें 8वीं 10वीं और 12वीं कक्षा पास छात्र-छात्राओं के लिए इलेक्ट्रीशियन, कढ़ाई, सिलाई, पैकेजिंग, बाॅटलिंग आदि के कोर्स शामिल हैं।
खेल-कूद में भी जामिया अग्रणी रहा है। वीरेन्द्र सहवाग जैसे दिग्गज क्रिकेटर और भरत चिखारा, गगन अजीत सिंह, दानिश मुजतबा, परबजोत सिंह, देवेश चौहान जैसे हॉकी खिलाड़ी और प्ररेणा भाम्बरी जैसी टेनिस खिलाड़ी जामिया ने दिए हैं।
इसके अलावा किरण राव, कबीर खान, शाहरूख खान, लवलीन टंडन, मौनी राय और निधि बिष्ट जैसी फिल्मी हस्तियां; बरखा दत्त जैसे पत्रकार भी जामिया के पूर्व छात्रों में शामिल हैं।