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देश में कोविड-19 मरीजों के स्वस्थ होने की दर 26 प्रतिशत से ज्यादा हो गई है। अभी तक दस हजार आठ सौ 87 लोग स्वस्थ हो चुके हैं और इन्हें अस्पताल से छुट्टी दे दी गई है। पिछले 24 घंटे के दौरान छह सौ 82 रोगी स्वस्थ हो गए हैं। देश में फिलहाल 40 हजार दो सौ 63 लोग कोरोना वायरस से संक्रमित हैं। इनमें से एक हजार तीन सौ छह रोगियों की मृत्यु हो गई है। शेष 28 हजार 70 का इलाज चल रहा है।
स्वास्थ्य मंत्री डॉक्टर हर्षवर्धन ने लोगों से लॉकडाउन की बढ़ी अवधि के दौरान इसका सही अर्थों में पालन करने की अपील की जिससे संक्रमण की श्रंखला तोड़ी जा सके।
उन्होंने कोविड-19 के मरीजों का इलाज कर रहे डॉक्टरों के काम में बाधा नहीं डालने और स्वस्थ हो चुके लोगों के प्रति भेद-भाव नहीं करने को कहा।
केन्द्रीय मंत्री ने आज नई दिल्ली के लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज अस्पताल का दौरा किया और कोविड-19 के प्रबंधन की समीक्षा की। इस अवसर पर वे निदेशक के कार्यालय, आपात विभाग, ओपीडी, नमूना संग्रहण केन्द्र, कोविड ब्लॉक तथा डॉक्टर तथा स्वास्थ्य कर्मियों के चेंजिंग रूम में भी गए।
डॉक्टर हर्षवर्धन ने संतोष व्यक्त किया कि डॉक्टरों और स्वास्थ्य कर्मियों को खुद को संक्रमण मुक्त करने की सुविधा उपलब्ध कराई जा रही है।
उन्होंने कहा कि देश में कोविड-19 रोगियों की स्वस्थ होने की दर में लगातार इज़ाफा हो रहा है और लोग अपने घरों को वापस जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि यह भारत में स्वास्थ्य कर्मियों की सेवा की गुणवत्ता को प्रदर्शित करता है। देश उनकी सेवाओं का ऋणी है।
डॉक्टर हर्षवर्धन ने कहा कि देश में कोविड-19 से बचाव, रोकथाम की प्रक्रिया और प्रबंधन की उच्च स्तर पर लगातार निगरानी की जा रही है। यह राज्यों के सहयोग से संभव हो पा रहा है।
उन्होंने कहा कि आज मिले आंकड़ों के अनुसार पिछले तीन दिनों में संक्रमित व्यक्ति की दोगुना होने की दर बढ़कर 12 दिन, पिछले सात दिन में 11 दशमलव सात और पिछले 14 दिन में दस दशमलव चार रही है। उन्होंने कहा कि लॉकडाउन के तीसरे चरण को तर्कसंगत परिणति तक पहुंचाने के लिए परस्पर शारीरिक दूरी और बार-बार हाथ धोने जैसे मानकों का सख्ती से पालन करना अनिवार्य है।
स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि अभी तक दस लाख से ज्यादा कोरोना वायरस के परीक्षण हो चुके हैं। प्रतिदिन 74 हजार से ज्यादा परीक्षण किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि सरकार ने पूरे देश में 22 लाख से ज्यादा पी.पी.ई किट वितरित की हैं और दुनिया भर में सौ से अधिक देशों के हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन और पेरासिटामोल दवाईयों की आपूर्ति की गई है।