स्टाफ रिपोर्टर / नई दिल्ली

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी 2 अगस्त को दिल्ली में आयोजित होने वाले एक राष्ट्रीय सम्मेलन को संबोधित करेंगे। इस सम्मेलन में पार्टी न केवल भारतीय संविधान को गढ़ने में अपनी ऐतिहासिक भूमिका को रेखांकित करेगी, बल्कि मौजूदा सरकार के तहत संघीय ढांचे पर बढ़ते खतरे और लोकतांत्रिक संस्थाओं के क्षरण पर भी गंभीर सवाल उठाएगी।

इस सम्मेलन में देशभर से लगभग 1,500 कानूनी विशेषज्ञों और सूचना के अधिकार (RTI) कार्यकर्ताओं के शामिल होने की संभावना है। इसके अलावा कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया, तेलंगाना के मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी और हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू भी मंच साझा करेंगे। वरिष्ठ कांग्रेस नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री भी इस आयोजन में भाग लेंगे।

कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा भी सम्मेलन को संबोधित करेंगी। पार्टी का कहना है कि यह आयोजन संविधान निर्माण में कांग्रेस की मूलभूत भूमिका, डॉ. भीमराव अंबेडकर के नेतृत्व को रेखांकित करने और वर्तमान में संविधान को दरपेश चुनौतियों पर ध्यान केंद्रित करने का एक महत्वपूर्ण प्रयास होगा।

पिछले कुछ वर्षों में राहुल गांधी ने कई बार भाजपा नीत केंद्र सरकार पर संविधानिक संस्थाओं को कमजोर करने का आरोप लगाया है। उनके ‘संविधान बचाओ’ अभियान में दलितों, आदिवासियों और अन्य वंचित वर्गों के अधिकारों में हो रही कटौती, सीबीआई, ईडी और आयकर विभाग जैसी एजेंसियों के दुरुपयोग जैसे मुद्दे प्रमुख रहे हैं।

राहुल गांधी ने बिहार, महाराष्ट्र और हरियाणा जैसे राज्यों में मतदाता सूचियों में कथित हेराफेरी और चुनाव आयोग की स्वतंत्रता पर भी सवाल उठाए हैं।

हाल के दिनों में 1975 की इमरजेंसी की निंदा करने वाले सरकारी प्रस्ताव और संविधान की प्रस्तावना से “समाजवादी” व “पंथनिरपेक्ष” शब्द हटाने के भाजपा नेताओं के सुझावों को लेकर कांग्रेस और भाजपा के बीच टकराव तेज हुआ है।

कांग्रेस नेताओं का आरोप है कि केंद्र सरकार द्वारा विपक्ष-शासित राज्यों को वित्तीय सहायता में देरी करना और केंद्रीय एजेंसियों के माध्यम से हस्तक्षेप करना, भारत की संघीय व्यवस्था को कमजोर करने का प्रमाण है।

2 अगस्त का यह सम्मेलन संविधानिक लोकतंत्र, सामाजिक न्याय और सशक्त संघीय शासन के प्रति कांग्रेस की विचारधारा और प्रतिबद्धता को दोहराने का एक मंच होगा—विशेषकर ऐसे समय में जब ये मूल्य खतरे में माने जा रहे हैं।