
कांग्रेस अध्यक्ष चुनाव में खड़गे की जीत, कुल 9385 में से 7897 वोट मिले, थरूर 1072 पर सिमटे
AMN / NEW DELHI
80 साल के मल्लिकार्जुन खड़गे कांग्रेस के नए अध्यक्ष चुने गए हैं. खड़गे ने सीधे मुकाबले में शशि थरूर को भारी मतों से हराया. मल्लिकार्जुन खड़गे को 7897 वोट मिले, जबकि शशि थरूर को महज 1072 वोट मिले. इस बार गांधी परिवार की तरफ से कोई भी सदस्य अध्यक्ष पद की रेस में शामिल नहीं था. ऐसा पिछले 24 साल में पहली बार हुआ है जब गांधी परिवार के बाहर का कोई नेता अध्यक्ष पद तक पहुंचा है. इससे पहले सीताराम केसरी ऐसे अध्यक्ष थे, जो गांधी परिवार से नहीं थे.
सोनिया ने खड़गे के आवास पर पहुंचकर बधाई दी
कांग्रेस की निवर्तमान अध्यक्ष सोनिया गांधी ने बुधवार को पार्टी के नवनिर्वाचित अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के आवास पर पहुंचकर उन्हें बधाई दी। चुनाव नतीजे घोषित होने के बाद सोनिया गांधी खड़गे के 10 राजाजी मार्ग स्थित आवास पर पहुंचीं। उनके साथ पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी वाद्रा भी थीं।
दिल्ली स्थित कांग्रेस मुख्यालय में आज सुबह 10 बजे से ही वोटों की गिनती शुरू हो गयी थी। हालांकि इस बीच शशि थरूर की ओर से चुनाव समिति के अध्यक्ष मधुसूदन मिस्त्री को चिट्ठी लिखकर आपत्ति जताई थी कि वोटिंग सही से नहीं हुई है। सूत्रों का कहना है कि उनकी शिकायत का निपटारा कर दिया गया था और वोटों की गिनती फिर से शुरू हो गई थी। इस बीच शुरुआती रुझान आने लगे थे, जिससे साफ था कि मल्लिकार्जुन खड़गे ही कांग्रेस के बिग बॉस बनने वाले हैं। पोलिंग एजेंट प्रमोद तिवारी ने इसके संकेत देते हुए कहा कि 90 फीसदी वोट खड़गे को ही पड़े हैं।
दरअसल यह चुनाव कांग्रेस के लिए ऐतिहासिक है। 137 साल पुरानी पार्टी में छठी बार अध्यक्ष पद के लिए चुनाव हुआ है और 24 सालों के बाद कोई गैर-गांधी नेता पार्टी की कमान संभालेगा। मल्लिकार्जुन खड़गे यदि अध्यक्ष बनते हैं तो कांग्रेस को एक साथ कई फायदे मिल सकते हैं।
हालांकि इसमें कांग्रेस की ओर से कैसे प्रचार किया जाता सकता है और आम लोगों में उसे लेकर क्या धारणा बनती है, यह अहम है। मल्लिकार्जुन खड़गे गरीब दलित परिवार से आते हैं। छात्र जीवन से राजनीति की है। ऐसे में कांग्रेस के पास यह मौका होगा कि वह परिवारवाद के टैग से बाहर निकलते हुए दलित समाज के एक शख्स को अध्यक्ष बनाने की बात को भुनाए।
क्या पुराने वोटबैंक को फिर मजबूत कर पाएगी कांग्रेस
कांग्रेस पर भाजपा और खासतौर पर पीएम नरेंद्र मोदी की ओर से वंशवाद को लेकर हमला बोला जाता रहा है। अब गांधी परिवार बैक सीट पर चला गया है तो कांग्रेस जरूर इसे प्रचारित करना चाहेगी। इसके अलावा कांग्रेस के लिए बड़ा फायदा यह भी हो सकता है कि वह देश भर में दलितों को लुभाने की कोशिश करे। एक दौर में कांग्रेस को दलित, ब्राह्मण और मुस्लिमों के बीच पैठ रखने वाला दल माना जाता था। लेकिन आज के दौर में ऐसी स्थिति नहीं है। वह किसी भी समुदाय में पहले जैसी पैठ नहीं रखती है। ऐसे में मल्लिकार्जुन खड़गे के जरिए वह दलित वोटों पर भी दावेदारी कर सकती है।
दलित वोटों में क्यों स्पेस देख रही है कांग्रेस
ऐसे में दौर जब मायावती कमजोर पड़ रही हैं, तब दलित वोटों में कांग्रेस एक स्पेस देख सकती है। इस तरह मल्लिकार्जुन खड़गे के अध्यक्ष बनने से कांग्रेस को फायदा मिल सकता है। कांग्रेस अध्यक्ष चुनाव के बहाने आंतरिक लोकतंत्र की मिसाल पेश करने की कोशिश कर रही है। इससे भाजपा समेत अन्य दलों पर भी वह दबाव बनाने की कोशिश करेगी।
