वक़्फ पर निर्णायक लड़ाई की तैयारी.
सेराज अनवर
वक़्फ पर निर्णायक लड़ाई की तैयारी. मुल्की हालात को देखते हुए हिंदुस्तानी मुसलमानों की नुमाइंदा तंज़ीम ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड अपने सुस्त और ढीले खोल से बाहर निकलने की तैयारी कर ली है.बोर्ड के चुनावी सत्र में अमूलचूल परिवर्तन किया गया है.कमाल फ़ारूक़ी को इस बार बोर्ड के कार्यकारिणी कमिटी में जगह नहीं मिली है.कमाल फ़ारूक़ी ने गत महीने आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत की तारीफ़ की थी.कमाल बोर्ड पर वर्चस्व बना कर रखने का प्रयास करते रहते थे.बोर्ड ने अपने इतिहास का सख़्त फैसला लेते हुए इमारत ए शरिया के अमीर ए शरीयत अहमद फैसल रहमानी को सचिव पद से ही नहीं हटाया बल्कि कार्यकारिणी सदस्य तक नहीं बनाया और बोर्ड की सदस्यता भी उनकी ख़त्म कर दी.बोर्ड द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है कि फैसल रहमानी हिंदुस्तानी नहीं हैं.वह अमेरिकी नागरिक हैं.बोर्ड के ज़ाब्ता के मुताबिक़ भारतीय नागरिक ही बोर्ड के सदस्य या ज़िम्मेवार पद पर रह सकते हैं.फैसल के समर्थकों का कहना है कि उन्हें हटाया नहीं गया बल्कि उन्होंने ख़ुद इस्तीफ़ा दे दिया मगर वे नहीं बता रहे कि इस्तीफ़ा देने की क्या वजह है?
इधर जानकारों का कहना है कि अमेरिकी नागरिकता को आधार बना कर इमारत ए शरिया के अमीर ए शरीयत के पद से भी उन्हें हाथ धोना पड़ेगा.सोशल मीडिया पर मुहिम चल रही है कि थूक्कम फ़ज़ीहत से पहले जिस तरह बोर्ड से उन्होंने इस्तीफ़ा दिया है उसी तरह बाइज़्ज़त तौर से अमीर ए शरीयत के ओहदा से इस्तीफ़ा दे देना चाहिए.बहरहाल,
बिहार दरभंगा के रहने वाले मौलाना सैफुल्लाह रहमानी को अध्यक्ष चुन लिया गया है.महासचिव मौलाना फ़ज़लुर्रहीम मुजद्दीदी की अगुआई में बोर्ड अपने ढीले-ढाले खोल से बाहर निकल कर सशक्त बनने की तरफ़ बढ़ रहा है.इसी लिए पूर्व राज्यसभा सदस्य और ओजस्वी वक्ता को उपाध्यक्ष की कुर्सी सौंपी गयी है.इसी तरह अपने बेबाक और तार्किक तक़रीरों के लिए प्रसिद्ध मौलाना अबु तालिब रहमानी को वर्किंग कमिटी में जगह दी गयी है.वक़्फ संशोधन बिल पर बोर्ड किसी भी समझौता के मूड में नहीं है.यह परिवर्तन बता रहा है कि शाह बानो केस की तर्ज़ पर जम्हूरी आंदोलन के लिए बोर्ड खड़ा हो रहा है.80 के दशक में सड़क के रास्ते शाह बानो मुक़दमा को वापस लेने पर सरकार को मजबूर कर दिया गया था.बोर्ड के आह्वान पर लाखों लाख मुसलमान सड़क पर उतर गये थे.बोर्ड कह चुका है कि ज़रूरत पड़ने पर वक़्फ संशोधन बिल पर जेल भरो अभियान कर सकते हैं,सड़क पर उतर सकते हैं.