डॉ. स्वरूप गोपाल ग्रुप डायरेक्टर – एस्टर इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूरोसाइंसेज़ एंड स्पाइन केयर

जब लोग उम्र बढ़ने के साथ अपनी सेहत की सुरक्षा की बात करते हैं, तो चर्चा अक्सर दिल, वजन या हड्डियों के इर्द-गिर्द घूमती है। लेकिन दिमाग का क्या? आखिरकार, यही तो हमारे शरीर का नियंत्रण केंद्र है। सच्चाई यह है कि मानसिक क्षमताओं में गिरावट अचानक नहीं आती, बल्कि यह जीवनशैली की आदतों का दशकों तक बना रहने वाला परिणाम होती है। अच्छी खबर यह है कि दिमाग को स्वस्थ रखने के लिए महंगे ऐप्स, उपकरण या विदेशी सुपरफूड्स की जरूरत नहीं होती। अक्सर सबसे साधारण और नियमित दिनचर्याएं ही सबसे असरदार साबित होती हैं।

व्यायाम: सिर्फ जिम तक सीमित नहीं

नियमित शारीरिक गतिविधि मानसिक उम्र बढ़ने को रोकने के लिए सबसे प्रभावी उपायों में से एक है। इसका मतलब यह नहीं कि आपको घंटों जिम में बिताने या मैराथन की तैयारी करने की जरूरत है। सिर्फ तेज़ चलना भी याददाश्त, मूड और दिमागी सेहत को बेहतर बनाता है। एक अच्छा विकल्प है कि आप रोज़ाना 30 मिनट अपने मोहल्ले में टहलें या किसी समूह के साथ वॉक करें। शारीरिक गतिविधि दिमाग में रक्त प्रवाह बढ़ाती है, नींद को बेहतर बनाती है और तनाव को कम करती है — ये सभी तत्व लंबे समय तक न्यूरॉन्स की रक्षा करते हैं।

योग भी इसी दिशा में एक बेहतरीन अभ्यास है। यह न केवल लचीलापन और ताकत बढ़ाता है, बल्कि मानसिक जागरूकता को भी बढ़ावा देता है और तनाव हार्मोन (कॉर्टिसोल) को कम करता है। तनाव दिमाग के लिए बेहद नुकसानदायक होता है, इसलिए कोई भी अभ्यास जो तनाव प्रतिक्रिया प्रणाली को शांत करता है, वह याददाश्त और ध्यान के लिए लाभकारी होता है। हल्की स्ट्रेचिंग या गहरी सांस लेने की क्रियाएं भी बेहद फायदेमंद होती हैं।

दिमाग को ऊर्जा देने वाला भोजन

“आप वही हैं जो आप खाते हैं” — यह कहावत दिमाग के लिए पूरी तरह सही बैठती है। सब्जियां, फल, साबुत अनाज, मेवे, बीज और मछली जैसे खाद्य पदार्थ ओमेगा-3 फैटी एसिड, एंटीऑक्सीडेंट और विटामिन प्रदान करते हैं जो न्यूरॉन्स को पोषण देते हैं और सूजन को कम करते हैं। इसे मेडिटेरेनियन डाइट कहा जाता है — जिसमें जैतून का तेल, हरी पत्तेदार सब्जियां, बेरीज़, दालें और मछली शामिल होती हैं। शोध से पता चला है कि यह अल्ज़ाइमर रोग की संभावना को कम करती है।

साथ ही, अति-प्रोसेस्ड खाद्य पदार्थ, मीठे पेय और शराब का अत्यधिक सेवन हटाना भी ज़रूरी है। ये चीजें शरीर और दिमाग को रक्त पहुंचाने वाली प्रणाली को नुकसान पहुंचाती हैं और सूजन को बढ़ाती हैं। इसके अलावा, हम अक्सर पानी पीने की आदत को नज़रअंदाज़ कर देते हैं। हल्का निर्जलीकरण भी हमें थका हुआ और भ्रमित महसूस करा सकता है। हां, आपकी डेस्क पर रखा पानी का बोतल सिर्फ प्यास बुझाने से कहीं ज़्यादा काम करता है।

मानसिक व्यायाम: न्यूरॉन्स को सक्रिय रखें

दिमाग को चुनौतियां पसंद होती हैं। जैसे मांसपेशियां बिना उपयोग के कमजोर हो जाती हैं, वैसे ही दिमाग भी निष्क्रिय हो सकता है। पहेलियां, क्रॉसवर्ड, नई भाषा सीखना या कोई नया शौक अपनाना — जैसे पेंटिंग या वाद्य यंत्र बजाना — दिमागी कनेक्शन को सक्रिय और विकसित बनाए रखता है। विविधता ज़रूरी है; अगर आप सालों से एक ही सुडोकू हल कर रहे हैं, तो आपका दिमाग उसे समझ चुका है। कुछ नया आज़माएं और अपने न्यूरॉन्स को नई दिशा में प्रेरित करें।

सामाजिक संपर्क भी एक कम आंका गया मानसिक व्यायाम है। अच्छी बातचीत, बहस या दोस्तों के साथ हंसी-मज़ाक दिमाग के कई हिस्सों को एक साथ सक्रिय करता है। यही कारण है कि अकेलापन मानसिक गिरावट से जुड़ा हुआ है, जबकि सामाजिक जीवन से जुड़े लोग उम्र बढ़ने के बावजूद अधिक सतर्क रहते हैं।

नींद और विश्राम का महत्व

नींद दिमाग के लिए रात का “रीसेट बटन” होती है। गहरी नींद के दौरान दिमाग विषैले तत्वों को साफ करता है और यादों को स्थायी बनाता है। जो लोग नियमित रूप से नींद से समझौता करते हैं, वे न केवल थकान महसूस करते हैं बल्कि उनकी याददाश्त और एकाग्रता भी प्रभावित होती है। एक नींद दिनचर्या बनाना — जैसे स्क्रीन बंद करना, रोशनी मंद करना या किताब पढ़ना — नींद की गुणवत्ता और मात्रा को बेहतर बनाता है।

दिन के समय का विश्राम भी उतना ही ज़रूरी है। लगातार मल्टीटास्किंग और अत्यधिक उत्तेजना हमारी एकाग्रता को कम करती है और तनाव हार्मोन को बढ़ाती है। छोटे-छोटे ब्रेक — 5 मिनट की वॉक, धीमी सांस लेना, चाय की चुस्की लेते हुए फोन को एक तरफ रखना — दिमाग को खुद को पुनर्स्थापित करने का मौका देते हैं।

रोज़ाना की दिमागी सुरक्षा योजना

दिमाग की सुरक्षा के लिए आपको अपनी पूरी जीवनशैली बदलने की ज़रूरत नहीं है। छोटे-छोटे रोज़मर्रा के कदम भी बड़ा फर्क ला सकते हैं:

  • सुबह योग क्लास या वॉकिंग ग्रुप से जुड़ें
  • मीठे स्नैक्स की जगह मेवे या ताजे फल खाएं
  • कोई नई कला या कौशल सीखें — जैसे गिटार, मिट्टी के बर्तन बनाना या स्पेनिश बोलना
  • पर्याप्त नींद लें और दिन में दिमाग को आराम दें
  • सामाजिक रूप से जुड़े रहें — किसी दोस्त को कॉल करें, पड़ोसी से मिलें या स्वयंसेवक बनें

ये “तुरंत असर” देने वाले उपाय नहीं हैं, बल्कि वे आदतें हैं जो दशकों तक आपके दिमाग को लचीला और मजबूत बनाती हैं। इन्हें निवेश समझें — हर छोटा कदम भविष्य की दिमागी सेहत के लिए बचत है।

यह मान लेना स्वाभाविक है कि उम्र के साथ दिमाग की गिरावट अपरिहार्य है, लेकिन जीवनशैली इस प्रक्रिया की गति को काफी हद तक प्रभावित करती है। जीन और जैविक कारक ज़रूरी हैं, लेकिन रोज़ाना के चुनाव — जैसे हम कैसे चलते हैं, क्या खाते हैं, कैसे सोते हैं और किससे जुड़ते हैं — यही हमारे मानसिक स्वास्थ्य पर असली नियंत्रण रखते हैं।