
Staff Reporter / Patna
भाजपा ने बिहार में नई सरकार के गठन से पहले अपने विधायक दल के नेता और उपनेता के नामों की आधिकारिक घोषणा कर दी है। पार्टी ने सम्राट चौधरी को नेता और विजय सिन्हा को उपनेता चुना है। भाजपा प्रदेश मुख्यालय में हुई विधानमंडल दल की महत्वपूर्ण बैठक में दोनों नेताओं के मनोनयन की घोषणा की गई। इस फैसले के बाद यह लगभग तय है कि सम्राट चौधरी प्रथम उपमुख्यमंत्री और विजय सिन्हा पुनः दूसरे उपमुख्यमंत्री के रूप में जिम्मेदारी संभालेंगे।
इन दोनों चेहरों के चयन से भाजपा ने स्पष्ट संदेश दिया है कि नई सरकार में पार्टी की हिस्सेदारी पहले से कहीं अधिक मजबूत, निर्णायक और प्रभावी होगी। सम्राट चौधरी और विजय सिन्हा के प्रस्तावक के रूप में वरिष्ठ विधायक प्रेम कुमार, राम कृपाल यादव, कृष्ण कुमार ऋषि, संगीता कुमारी, अरुण शंकर प्रसाद, मिथिलेश तिवारी, नितिन नवीन, वीरेन्द्र कुमार, रमा निषाद, मनोज शर्मा और कृष्ण कुमार मंटू जैसे अनुभवी नेता सामने आए।
भाजपा के भीतर यह माना जा रहा है कि इन पदों पर सहमति बनाते समय बिहार की सामाजिक और जातीय संरचना को विशेष ध्यान में रखा गया है। हालिया चुनाव में भाजपा को मिली बड़ी जीत का प्रमुख कारण विभिन्न जातीय समूहों का एकजुट होकर पार्टी के पक्ष में मतदान करना रहा। इसी सामाजिक संतुलन को बनाए रखने और आगे और मजबूत करने के लिए पार्टी अपने शीर्ष नेतृत्व के चयन में सावधानी बरत रही है।
भाजपा की रणनीति स्पष्ट है—हर वर्ग और हर क्षेत्र को उचित प्रतिनिधित्व दिया जाए, ताकि सरकार में सबकी भागीदारी का भाव सुदृढ़ हो। नेता और उपनेता पद पर पहले से आजमाए हुए चेहरों को दोबारा मौका देकर पार्टी ने एक स्थिर और अनुभवी नेतृत्व को आगे बढ़ाने का संकेत दिया है। इस कदम से पुराने और अनुभवी विधायकों की मंत्रिमंडल में वापसी की संभावना भी बढ़ गई है।
ये वे नेता हैं जो लंबे समय से संगठन और सरकार में सक्रिय भूमिका निभाते रहे हैं। प्रशासनिक अनुभव, जनसंपर्क कौशल और राजनीतिक संतुलन के आधार पर ऐसे नेताओं को शामिल कर पार्टी शासन में स्थिरता और परिपक्वता लाने की तैयारी में है।
बिहार की राजनीति में जातीय संतुलन हमेशा महत्वपूर्ण रहा है। इसी कारण दलित, पिछड़ा, अतिपिछड़ा, सवर्ण—हर वर्ग से प्रतिनिधित्व दिए जाने की पूरी उम्मीद है। भाजपा चाहती है कि कोई भी समुदाय खुद को राजनीतिक तौर पर उपेक्षित महसूस न करे।
पार्टी बैठक के संकेत साफ बताते हैं कि भाजपा किसी प्रयोगात्मक मॉडल के बजाय एक स्थिर, संतुलित और दूरगामी दृष्टि वाली सरकार देने के प्रयास में है। कल होने वाला शपथ ग्रहण इस नए राजनीतिक अध्याय की शुरुआत करेगा, जिसका केंद्र होगा भाजपा का मजबूत नेतृत्व और व्यापक सामाजिक संतुलन।
