स्टाफ रिपोर्टर

राहुल गाँधी ने आज अपने प्रेस कांफेरेंस दौरान बिहार के जमुई ज़िले के धर्मपुर गांव के कुछ लोगों को रूबरू करवाया – उनका कहना था उनके साथ जो हो रहा है, वह लोकतंत्र के लिए सबसे दुखद और शर्मनाक त्रासदी है।

फॉर्म और ज़रूरी दस्तावेज़ जमा करने के बावजूद, गांव के कई लोगों के नाम बिना किसी सूचना या कारण के मतदाता सूची से हटा दिए गए।

दिलीप यादव, एक दिव्यांग नागरिक, जिनका कहीं आना-जाना तक मुश्किल है – उनका नाम “अनुपस्थित” बताकर पूरे परिवार समेत हटा दिया गया। सुनीता देवी, बंटी कुमार, क्यूम अंसारी, सबकी कहानी एक जैसी है – न सुनवाई, न कार्रवाई।

कई पुराने नाम जबरन मिटाए गए, कई पहली बार के युवा मतदाताओं के नाम जोड़े ही नहीं गए – सैकड़ों लोग लोकतंत्र से बाहर कर दिए गए हैं। क्योंकि वे दलित, पिछड़े या अल्पसंख्यक वर्ग से हैं। क्योंकि वे शायद BJP और उसके NDA सहयोगियों को वोट नहीं देंगे।

यही है असली वोट चोरी – लोगों की आवाज़, अधिकार और मौजूदगी मिटा देना।
और ये सिर्फ धर्मपुर नहीं, बिहार के हर गांव की कहानी बन चुकी है।

मगर, ये लड़ाई रुकेगी नहीं। संविधान द्वारा दिए गए सबसे बड़े अधिकार, लोकतंत्र के सबसे बड़े हथियार – एक व्यक्ति, एक वोट – की रक्षा के लिए यह संघर्ष जारी रहेगा।