AMN / नई दिल्ली
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने आज राजधानी दिल्ली में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में घोषणा की कि पूर्व सुप्रीम कोर्ट न्यायाधीश बी. सुधर्शन रेड्डी को आईएनडीआईए गठबंधन की ओर से उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के रूप में चुना गया है। खड़गे ने बताया कि सभी विपक्षी दलों ने इस नाम पर सहमति जताई है और माना है कि यह एक वैचारिक लड़ाई है, इसी वजह से वे इस चुनाव में उतर रहे हैं।

उन्होंने यह भी जानकारी दी कि न्यायमूर्ति रेड्डी 21 अगस्त को अपना नामांकन दाखिल करेंगे

कांग्रेस अध्यक्ष खड़गे ने न्यायमूर्ति रेड्डी की प्रशंसा करते हुए उन्हें भारत के सबसे प्रतिष्ठित और प्रगतिशील न्यायविदों में से एक बताया। उन्होंने कहा, “न्यायमूर्ति रेड्डी सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय के निरंतर और साहसी पैरोकार रहे हैं। उन्होंने हमेशा गरीबों के पक्ष में निर्णय लिए हैं और संविधान व मौलिक अधिकारों की रक्षा की है।”

उपराष्ट्रपति पद के लिए चुनाव 9 सितंबर को होगा।
नामांकन की अंतिम तिथि 21 अगस्त है। 22 अगस्त को नामांकन पत्रों की जांच होगी, और 25 अगस्त नाम वापसी की अंतिम तिथि होगी।

यह उपचुनाव पूर्व उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के अचानक इस्तीफे के बाद हो रहा है। आधिकारिक तौर पर स्वास्थ्य कारणों को इस्तीफे का कारण बताया गया, लेकिन सूत्रों का कहना है कि बीजेपी नेतृत्व से मतभेदों के चलते उन्हें पद छोड़ना पड़ा।


न्यायमूर्ति बी. सुधर्शन रेड्डी का परिचय:

  • जन्म: 8 जुलाई 1946, किसान परिवार में, गांव अकुला मैलारम, इब्राहिमपट्टनम तालुका (वर्तमान रंगारेड्डी ज़िला, तेलंगाना)।
  • शिक्षा: 1971 में हैदराबाद की उस्मानिया यूनिवर्सिटी से कानून की डिग्री प्राप्त की।
  • कानूनी करियर: आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट में रिट और सिविल मामलों की पैरवी।
  • सरकारी सेवा:
    • 1988-90: आंध्र प्रदेश सरकार के लिए सरकारी वकील।
    • 1990: केंद्र सरकार के लिए अस्थायी स्टैंडिंग काउंसिल।
    • उस्मानिया यूनिवर्सिटी के लिए लीगल एडवाइज़र और स्टैंडिंग काउंसिल भी रहे।
  • न्यायिक पद:
    • 1995: आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट के स्थायी न्यायाधीश नियुक्त।
    • 2005: गुवाहाटी हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश।
    • 2007: सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश बने।
    • 2011: सुप्रीम कोर्ट से सेवानिवृत्त।
  • 2013: गोवा के पहले लोकायुक्त नियुक्त हुए, लेकिन सितंबर 2013 में व्यक्तिगत कारणों से इस्तीफा दे दिया।

आईएनडीआईए गठबंधन द्वारा उन्हें उम्मीदवार बनाए जाने को विपक्ष की एकजुटता और संविधान की रक्षा के प्रति उनकी प्रतिबद्धता का प्रतीक माना जा रहा है।