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AMN / नई दिल्ली
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने 16 नवंबर 2025 को दिल्ली के रामलीला मैदान में वक्फ संशोधन कानून के खिलाफ एक विशाल जनसभा आयोजित करने की घोषणा की है। इस कार्यक्रम में देशभर से धार्मिक, सामाजिक और राजनीतिक नेताओं के साथ-साथ सांसद, अल्पसंख्यक समुदायों के प्रतिनिधि और सिविल सोसाइटी के प्रमुख व्यक्ति शामिल होंगे।
बोर्ड की “तहफ़्फ़ुज़-ए-औक़ाफ़” मुहिम के ऑल इंडिया कन्वीनर डॉ. सैयद क़ासिम रसूल इलियास ने बताया कि यह जनसभा इस अभियान के दूसरे चरण का महत्वपूर्ण हिस्सा है। उन्होंने कहा कि चूंकि यह कार्यक्रम दिल्ली में हो रहा है, इसलिए दिल्ली, उसके आसपास के क्षेत्रों, पश्चिमी उत्तर प्रदेश और मेवात (हरियाणा) के मुसलमानों की विशेष जिम्मेदारी है कि वे बड़ी संख्या में शामिल होकर इस विवादित वक्फ संशोधन कानून के खिलाफ अपनी आवाज़ बुलंद करें।
डॉ. इलियास ने बताया कि इस ऐतिहासिक जनसभा की अध्यक्षता मौलाना ख़ालिद सैफ़ुल्लाह रहमानी, अध्यक्ष ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड, करेंगे। इस अवसर पर जिन प्रमुख धार्मिक और सामुदायिक नेताओं ने शामिल होने की सहमति दी है, उनमें शामिल हैं —
- मौलाना सैयद अरशद मदनी, अध्यक्ष, जमीअत उलेमा-ए-हिंद
- मौलाना असगर अली इमाम महदी सुलफी, अमीर, केंद्रीय जमीयत अहले हदीस
- मौलाना उबैदुल्लाह खान आज़मी, पूर्व सांसद व उपाध्यक्ष, पर्सनल लॉ बोर्ड
- सैयद सादतुल्लाह हुसैनी, अमीर, जमात-ए-इस्लामी हिंद
- मौलाना मोहम्मद अली मुहसिन तक़वी, शिया जामा मस्जिद कश्मीरी गेट के इमाम व उपाध्यक्ष, बोर्ड
- मौलाना सैयद महमूद असअद मदनी, अध्यक्ष, जमीअत उलेमा
इसके अतिरिक्त जामा मस्जिद दिल्ली के शाही इमाम मौलाना सैयद अहमद बुखारी और फतेहपुरी मस्जिद के शाही इमाम मौलाना डॉ. मुफ़्ती मकरम अहमद की भी उपस्थिति की उम्मीद है।
राजनीतिक दलों में कांग्रेस, एनसीपी, समाजवादी पार्टी, आरजेडी, आम आदमी पार्टी, डीएमके, तृणमूल कांग्रेस, शिवसेना और बीजद के नेताओं और सांसदों के शामिल होने की संभावना है।
बोर्ड के प्रवक्ता डॉ. इलियास ने दिल्ली, पश्चिमी यूपी, मेवात और आसपास के राज्यों के मुसलमानों से अपील की है कि वे बड़ी संख्या में इस सम्मेलन में भाग लें और अपने वक्फ़ी संस्थानों — मस्जिदों, मदरसों, ईदगाहों, इमामबाड़ों, दरगाहों, ख़ानकाहों और अन्य धर्मार्थ संपत्तियों — की रक्षा के लिए आगे आएं।
उन्होंने खास तौर पर क्षेत्र के इमामों, धार्मिक संगठनों और समुदायिक संस्थाओं के जिम्मेदारों से अपील की कि वे जुमे के खुत्बों और अन्य भाषणों के माध्यम से मुसलमानों को इस ऐतिहासिक जनसभा में शामिल होने के लिए प्रेरित करें।
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