अशफाक कायमखानी / जयपुर
राजस्थान लोकसेवा आयोग द्वारा उर्दू कालेज लेक्चरार के कल जारी किये गये रेज़ल्ट मे टॉपर रहे झुंझूनु के नुआ गावं के गुदड़ी के लाल जावेद खान की कामयाबी के पिछे उनके जीवन की बडी रोचक व संघर्षपुर्ण की कहानी छुपी हुई है।
2002-2005 तक सीकर के कायमखानी छात्रावास के अनुशाशीत छात्र रहकर सीकर के सरकारी कालेज मे प्रवेश लेकर स्नात्तक करने बाद फिर उर्दू मे स्नातकोत्तर करने वाले जावेद खान तभ बडे खुश हुये थे जब उन्होने उर्दू मे MA पास किया। जावेद MA पास करने के बाद वो गावं नुवा गावं जाकर मदरसा पेरा टिचर बनने के बावजूद उन्होनै पढाई को आगे जारी रखने का इरादा जो मन मे ठान रखा था। उसको व कुछ कर गुजरने की मन मे ठान कर वो लगातार बैचेन रहते थे। उनके दिल मे एक मात्र कालेज लेक्चरार बन कर खिदमत करने का जज्बा हमेशा मन मे हिचोले मारने से उन्होने उसके लिये पहले अनिवार्य नेट पास करने का तय करके जब नेट के लिये अप्लाई करने का सोचा तो उन्हे मालुम चला की पीजी मे 55 % नम्बर होना अनिवार्य है। जबकि जावेद के MA मे 54.88 % अंक यानि केवल 1 नम्बर कम होने के चलते अपने आफको बेबस समझते नजर आये। पर हिम्मत नही मारने वालो की तरह उनके इधर उधर मालुमात करने पर उन्हे पता चला कि यूनीवरसीटी के एक नियमानुसार पीजी के सभी नो पेपर की परीक्षा एक साथ दुबारा देकर अंक सुधार किया जा सकता है।
इस मालुमात पर जावेद ने फिर से फार्म भरकर विश्वविधालय मे अप्लाई करने पर परीक्षा के दो दिन पहले उन्हे जो प्रवेश पत्र मिला वो केवल MA प्रिवेस का था। वो प्रवेश पत्र पाकर एक दफा तो घबराऐ लेकिन दुसरे ही पल अगले दिन उन्होने गावं से जयपुर जाकर यूनीवरसीटी जाकर उसमे सुधार कराने का तय किया। अगले दिन वो जयपुर मे यूनीवरसीटी मे सात घंटे की भागदोड़ के बाद दुसरा प्रवेश पत्र बनवाने मे कामयाब होकर देर रात घर आकर, पुरी रात अगले दिन की परीक्षा पढाई करके जब वो मोतीलाल कोलेज झुंझूनु नामक परीक्षा सेंटर पर सुबह गयै तो वहां उनके रोल नम्बर की सिटिंग का संदेश नही होनै से एक बारगी वो काफी दुखी व निराश हुये। लेकिन अगले पल ही उन्होने परीक्षा नियंत्रक से मिलकर उनको पुरी हकीकत बया करके परीक्षा दिलवाने की गुजारीस की। पहले तो परीक्षा नियंत्रक ने आना कानी की लेकिन एक दरख्वास्त लिखकर देने को कहा ओर फिर अलाऊ तो कर दिया लेकिन उसका सिटिंग अरेंजमेंट नही होने के कारण उसे वहां अन्य छात्र-छात्राओ के बेठने के बाद रोज इजाजत वहा मिलती जहा पर कोई कंडीडेट गैर हाजीर होता था। इस तरह नो रोज हमेशा नई अर्जी लिखना ओर अलग अलग कमरो मे अलग विषयो की परीक्षा दे रहे कंडिडेटो के मध्य हर रोज अलग अलग रुम मे बैठकर परीक्षा देना एक अजीब अनुभव था। हां इस तरह जावेद खान का फिर अंक सुधार करके करीब 59 % से PG पुरी होकर वो नेट पास करने के लिये पहली अनिवार्यता पुरी कर पाये।
जावेद खान कालेज लेक्चरार बनने से पहले 2nd ग्रेड उर्दू टिचर बने फिर 1st ग्रेड उर्दू टिचर बनकर सरकारी सेवा मे अपनी हिस्सेदारी तय की। अभी वो सरदारशहर मे 1st ग्रेड उर्दू टिचर के पद पर पोस्टेड है। जावेद खान ने आज सीकर के कायमखानी छात्रावास मे अपने सम्मान समारोह मे बताया कि उन्होने सरदारशहर मे नोकरी करते हुये कोलेज लेक्चरार की तैयारी की। वो चार टिचर एक साथ एक मकान किराये पर लेकर रहते है। गरमियो की 45-दिन की छुट्टी पर वो तीनो तो अपन गावं घरवालो के पास चले गये। लेकिन जावेद घर से दूर सरदारशहर मे पुरी 45-दिन की छुट्टियो मे रहकर लेक्चरार की तैरारी करके परीक्षा दी ओर वो RPSC के interview के काबील बने। फिर इंटरव्यू की तैयारी नेट से विडियो व सामग्री लोड करके तैयारी करके अच्छा Interview दिया। जब कल लेक्चरार का फायनल रजल्ट आने पर उन्हे टोपर होने की सुचना मिली तो उन्होने सबसे पहले अल्लाह पाक का शुक्रीया अदा किया।
कुल मिलाकर यह है कि हाल ही मे उर्दू कालेज लेक्चरार के आये रजल्ट मे नुआ गावं के लाडले जावेद खान को टोपर होने की संघर्ष की कहानी बडी रोचक व संघर्ष के साथ साथ युवावो के लिये बडी ही शिक्षा देने वाली कहानी है। इस सफर मे उन्होने काफी ज्वार-भाटा का अनुभव करते हुये किनारा पार करने मे कामयाब होने वाले कुछ लोगो मे से वो एक है।