इंद्र वशिष्ठ

, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि नए आपराधिक कानून ‘नागरिक पहले, गरिमा पहले और न्याय पहले’ के सिद्धांत पर बनाए गए हैं और पुलिस को अब ‘डंडे’ के साथ काम करने के बजाए ‘डेटा’ के साथ काम करने की जरूरत है। प्रधानमंत्री ने जयपुर में पुलिस महानिदेशकों/पुलिस महानिरीक्षकों के 58वें अखिल भारतीय सम्मेलन में भाग लिया। 

प्रधानमंत्री ने नए आपराधिक कानूनों की शुरूआत पर चर्चा करते हुए कहा कि ये कानून आपराधिक न्याय प्रणाली में एक आदर्श बदलाव लाएंगे। नए आपराधिक कानून ‘नागरिक पहले, गरिमा पहले और न्याय पहले’ के सिद्धांत पर बनाए गए हैं और पुलिस को अब ‘डंडे’ के साथ काम करने के बजाए ‘डेटा’ के साथ काम करने की जरूरत है।

उन्होंने पुलिस प्रमुखों से नए लागू कानूनों के पीछे की भावना को समाज के विभिन्न वर्गों तक पहुंचाने के लिए रचनात्मक ढंग से सोचने की अपील की।प्रधानमंत्री ने नए आपराधिक कानून के तहत महिलाओं और लड़कियों को उनके अधिकार और सुरक्षा प्रदान करने पर ध्यान केंद्रित किया। पुलिस से महिला सुरक्षा पर ध्यान केंद्रित करने का आह्वान किया ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि महिलाएं निडर होकर ‘कभी भी और कहीं भी’ काम कर सकें।

प्रधानमंत्री ने कहा कि साल 2047 तक विकसित भारत का लक्ष्य हासिल करने के लिए भारतीय पुलिस को खुद को आधुनिक बनाकर विश्व स्तरीय पुलिस बल बनाना होगा।प्रधानमंत्री ने नागरिकों के बीच पुलिस की सकारात्मक छवि को मजबूत करने की आवश्यकता पर प्रकाश डाला। नागरिकों के लाभ के लिए सकारात्मक जानकारी और संदेश प्रसारित करने के लिए पुलिस स्टेशन स्तर पर सोशल मीडिया का उपयोग करने का सुझाव दिया। प्राकृतिक आपदाओं और आपदा राहत पर अग्रिम जानकारी प्रसारित करने के लिए सोशल मीडिया का उपयोग करने का भी सुझाव दिया।नागरिक-पुलिस संबंधों को मजबूत करने के लिए विभिन्न खेल आयोजनों का भी सुझाव दिया। चूंकि सीमावर्ती गांव भारत के ‘पहले गांव’ हैं, इसलिए उन्होंने सरकारी अधिकारियों से स्थानीय लोगों के साथ बेहतर ‘संपर्क’ स्थापित करने के लिए इन गांवों में रहने का आग्रह किया। 6-7 जनवरी 2024 को राजस्थान इंटरनेशनल सेंटर, जयपुर में आयोजित इस सम्मेलन में राष्ट्रीय सुरक्षा के महत्वपूर्ण कारकों पर चर्चा की गई। इनमें नए प्रमुख आपराधिक कानून, आतंकवाद विरोधी नीतियां, वामपंथी कट्टरपंथ, उभरते साइबर खतरे, दुनिया भर में कट्टरवाद विरोधी उपाय आदि शामिल हैं।