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रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की ओर बड़ा कदम, भारतीय नौसेना बनाएगी अपना डीजल इंजन

भारतीय नौसेना ने स्वदेशी डीजल इंजन बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाया है। नौसेना ने किर्लोस्कर ऑयल इंजन्स लिमिटेड के साथ मरीन डीजल इंजन के विकास के लिए एक समझौते पर सहमति जताई है। यह समझौता‘मेक-1’ कैटेगरी के तहत किया गया है। इसे स्वदेशी रक्षा उत्पादन को बढ़ावा देने की दिशा में बड़ा कदम माना जा जा रहा है।

इसके तहत 50% से अधिक स्वदेशी सामग्री के साथ डीजल इंजन का प्रोटोटाइप तैयार किया जाएगा। इस परियोजना की कुल लागत 270 करोड़ रुपये है, जिसमें से 70% फंडिंग सरकार द्वारा दी जाएगी।

अब तक, भारत को हाई-कैपेसिटी डीजल इंजनों के लिए विदेशी कंपनियों (OEMs) पर निर्भर रहना पड़ता था। लेकिन यह परियोजना समुद्री इंजनों के विकास में स्वदेशी क्षमताओं को मजबूत करने के लिए शुरू की गई है। इस परियोजना के तहत 3MW से 10MW तक की क्षमता के डीजल इंजनों को डिजाइन और विकसित किया जाएगा। ये इंजन भारतीय नौसेना और भारतीय तटरक्षक बल द्वारा जहाजों के मुख्य प्रणोदन (प्रोपल्शन) और बिजली उत्पादन के लिए इस्तेमाल किए जाएंगे।

यह पहल न केवल घरेलू रक्षा उद्योग के विकास को बढ़ावा देगी, बल्कि तकनीकी नवाचार और अनुसंधान को भी प्रोत्साहित करेगी।

गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सरकार रक्षा तकनीकों के स्वदेशीकरण को बढ़ावा देने के लिए लगातार काम कर रही है। भारतीय नौसेना और किर्लोस्कर ऑयल इंजन्स लिमिटेड के बीच हुआ यह समझौता भारत को आत्मनिर्भर रक्षा निर्माण की ओर आगे बढ़ाने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। इससे देश की सुरक्षा क्षमता भी और अधिक मजबूत होगी।

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