Welcome to The Indian Awaaz   Click to listen highlighted text! Welcome to The Indian Awaaz

इंद्र वशिष्ठ, 

नई दिल्ली, भारतीय सेना के ऑपरेशन सिंदूर ने पाकिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में स्थित आतंकियों के 9 अड्डों को पूरी तरह तबाह/बर्बाद करके आतंकी गतिविधियों की रीढ़ तोड़ दी। 

भारतीय सशस्त्र बलों ने 6-7 मई की रात के एक बज कर पांच मिनट से डेढ़ बजे के बीच आतंक के 9 अड्डों को निशाना बनाया और उनको पूरी तरह तबाह/बर्बाद कर दिया। 

भारतीय सेना ने बुधवार को बताया कि पाकिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में स्थित आतंक के 9 अड्डों का चयन विश्वनीय खुफ़िया सूचनाओं के आधार पर किया गया। ताकि आतंकी गतिविधियों की रीढ़ तोड़ी जा सके। 

पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में निम्न 5 कैम्प नष्ट किए गए। 

सवाई नाला कैम्प- आपरेशन सिंदूर के दौरान सबसे पहला हमला पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर के मुजफ्फराबाद में सवाई नाला  स्थित आतंक के अड्डे पर किया गया। ये लश्कर ए तोएबा का ट्रेनिंग सेंटर था। लाइन ऑफ कंट्रोल से 30 किलोमीटर दूर है। 20 अक्टूबर 2024 सोनमर्ग, 24 अक्टूबर 2024 गुलमर्ग और  22 अप्रैल 2025 पहलगाम, इन हमलों में शामिल आतंकियों ने यहीं से प्रशिक्षण लिया था। 

सईदना बिलाल कैम्प- मुजफ्फराबाद में जैश ए मोहम्मद का यह अड्डा हथियार, विस्फोटक और जंगल सरवाइवल की ट्रेनिंग का केंद्र भी था। 

गुलपुर कैम्प, कोटली- एलओसी से 30 किलोमीटर दूरी पर ये लश्कर ए तोएबा का बेस था, जो रजौरी और पूंछ में सक्रिय था। 20 अप्रैल 2023 को पूंछ में और 9 जून 2024 को रियासी में तीर्थ यात्रियों की बस पर हमले में शामिल आतंकियों को यहीं से ट्रेंड किया गया था। 

बरनाला कैम्प, भीमबर- ये एलओसी से 9 किलोमीटर दूर है। यहां पर हथियार चलाने, आईईडी/ बम बनाने और जंगल सरवाइवल प्रशिक्षण का केंद्र था

अब्बास कैम्प, कोटली- यह एलओसी से 13 किलोमीटर दूर है। लश्कर ए तोएबा के फिदायीन यहां पर तैयार होते थे। इस कैम्प की क्षमता 15 आतंकियों को प्रशिक्षित करने की थी।

पाकिस्तान के अंदर मौजूद निम्न 4 कैम्प नष्ट किए।

सरजल कैम्प, स्यालकोट- अंतराष्ट्रीय सीमा से 6 किलोमीटर की दूरी पर सांबा, कठुआ के सामने। मार्च 2025 में जम्मू कश्मीर पुलिस के चार जवानों के हत्यारे आतंकियों को यहां पर प्रशिक्षित किया गया था। 

मेहमूना जोया कैम्प, स्यालकोट- अंतराष्ट्रीय सीमा से 12-18 किलोमीटर दूर, यह हिजबुल मुजाहिद्दीन का बहुत बड़ा कैम्प था। ये कठुआ, जम्मू क्षेत्र में आतंक फैलाने का नियंत्रण केंद्र था। पठानकोट एअरबेस पर किया गया हमला भी इसी कैम्प से प्लान और डायरेक्ट किया गया था।

मरकज़ तोएबा, मुरीदके- यह अंतराष्ट्रीय सीमा से 18-25 किलोमीटर दूर था। 2008 मुंबई हमले के आतंकियों को यहां पर प्रशिक्षित किया गया था। मुंबई हमले में शामिल अजमल कसाब और डेविड हेडली को भी यहीं पर प्रशिक्षित किया गया था। 

मरकज़ सुभानअल्लाह , बहावलपुर- यह अंतराष्ट्रीय सीमा से 100 किलोमीटर दूर था। 

ये जैश ए मोहम्मद का मुख्यालय था। यहां पर आतंकियों की भर्ती और प्रशिक्षण का केंद्र भी था। शीर्ष आतंकी यहां पर अक्सर आते थे। 

भारतीय सेना द्वारा अंजाम दिया गया

ऑपरेशन सिंदूर  पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए वीभत्स आतंकी हमले के शिकार मासूम नागरिकों और उनके परिवारों को न्याय देने के लिए किया गया। 

भारतीय सेना के प्रवक्ता ने बताया कि पहलगाम हमला स्पष्ट रूप से कश्मीर में बहाल हो रही सामान्य स्थिति को बाधित करने के उद्देश्य से किया गया। हमले का ये तरीका कश्मीर और देश भर में साम्प्रदायिक दंगे भड़काने के उद्देश्य से भी प्रेरित था। 

जांच में पाकिस्तान के साथ आतंकियों के संबंध उजागर हुए। जांच और सूचनाओं के आधार पर की गई इस नपी तुली कार्रवाई का उद्देश्य आतंक के ढांचे को समाप्त करना और भारत भेजे जाने वाले संभावित आतंकियों को अक्षम बनाने पर था। 

22 अप्रैल 2025 को पहलगाम के बैसरन घाटी में पाकिस्तानी और पाक प्रशिक्षित आतंकियों ने पर्यटकों पर बर्बरता पूर्ण हमला किया। हमले में 25 भारतीय और एक नेपाली नागरिक को कायरतापूर्ण मौत के घाट उतार दिया गया। 

26 नवंबर 2008 को मुंबई में हुए आतंकी हमले के बाद ये भारत में हुए किसी आतंकवादी हमले में मारे गए आम नागरिकों की संख्या की दृष्टि से पहलगाम सबसे गंभीर घटना है।

Click to listen highlighted text!